भीड़ हिंसा से हर साल दुनिया में 10 जीडीपी के बराबर नुकसान, देश की छह फीसदी जीडीपी स्वाहा
चंडीगढ़ न्यूज़: देश में रामनवमी पर शुरू हुई हिंसा थम नहीं रही है. पश्चिम बंगाल से लेकर बिहार तक अशांति का माहौल है. विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के अनुसार हिंसा की आग से हर साल दुनिया की जीडीपी के 10 के बराबर नुकसान होता है. सीरिया, दक्षिणी सूडान समेत अन्य पिछड़े देशों में नुकसान वैश्विक अर्थव्यवस्था के 34 के बराबर है. यहां सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचने की दर सर्वाधिक है. पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के अनुसार भारत में किसान आंदोलन से 2020 की दिसंबर तिमाही में 70 हजार करोड़ की क्षति हुई थी.
ट्रिलियन डॉलर का नुकसान दुनिया की अर्थव्यवस्था को बीते पांच साल में
देश की छह फीसदी जीडीपी स्वाहा
ग्लोबल पीस इंडेक्स की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में देश की 6जीडीपी हिंसा, आंदोलन में बर्बाद हो गई थी. अनुमान के अनुसार 2021 में देश की अर्थव्यवस्था को करीब 64,600 करोड़ डॉलर की क्षति हुई थी. इसमें किसान आंदोलन, लाल किला हिंसा, लखीमपुर हिंसा समेत अन्य प्रदर्शनों से नुकसान हुआ था.
जीवन पर भारी हिंसा
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार वर्ष 2006 से 2020 तक विरोध प्रदर्शन के कुल 2809 मामले हुए थे. दुनियाभर में अलग-अलग प्रदर्शनों और हिंसा में कुल दो लाख से अधिक की जान गई थी. ईरान में 2022 में हुए प्रदर्शन में 448 लोगों की मौत हो चुकी है. दुनियाभर में विरोध और मांगों को लेकर सड़क पर उतरने वाले पांच फीसदी लोगों का जीवन जोखिम में रहता है.
इन देशों से सबक लेना होगा
आइसलैंड, कोसोवो और स्विट्जरलैंड दुनिया के ऐसे देश हैं जहां हिंसा और उपद्रव से जीडीपी को सिर्फ 2 तक नुकसान होता है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार यहां के लोग शांति पूर्ण प्रदर्शन करने में विश्वास रखते हैं. आगजनी, तोड़फोड़ यहां न के बराबर है.
प्रति व्यक्ति डेढ़ लाख की क्षति
ऑस्ट्रेलिया के इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस (आईईपी) के अनुसार बीते पांच वर्षों में हिंसा, विरोध, उपद्रव के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को 76 ट्रिलियन डॉलर की क्षति हुई है. नुकसान का प्रति व्यक्ति आकलन किया जाए तो ये करीब डेढ़ लाख के करीब है.
हिंसा और उपद्रव से आर्थिक चक्र को क्षति
1. हिंसा में बंदी से आर्थिक गतिविधि ठप होती है
2. उत्पादन और बिक्री के प्रभावित होने से मुद्रा के प्रवाह पर असर पड़ता है
3. सार्वजनिक संपत्ति जैसे बस, ट्रेन, वाहन, भवन आदि को नुकसान
4. सुरक्षाबलों की तैनाती में मोटी रकम का खर्च
5. शांति बनने के बाद आर्थिक गतिविधि धीमी होने से क्षति