शहरी क्षेत्र के स्कूलों में बच्चों के हीमोग्लोबिन की होगी जांच
रेवाड़ी न्यूज़: जिले में एनीमिया पीडि़तों की संख्या कम करने के लिए एनीमिया मुक्त अभियान की शुरुआत शहर के 46 स्कूलों से कर दी गई है। विशेषकर महिलाओं और छात्राओं में हिमोग्लोबिन की ज्यादा कमी है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जिले में करीब 60 प्रतिशत लड़कियां एनीमिया से पीडि़त है। शरीर में जब रेड ब्लड सेल्स की मात्रा कम होने लगती है तो शरीर में टिश्यूज तक ऑक्सीजन पहुंचने में कठिनाई होने लगती है, जिससे नया खून बनने में बाधा उत्पन्न हो जाती है। खून की इसी कमी को एनीमिया कहा जाता है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से एनीमिया मुक्त अभियान की रूपरेखा तैयार कर ली गई है, जिसके प्रथम चरण में शहरी क्षेत्र के 46 स्कूलों में बच्चों में हीमोग्लोबिन की जांच की जाएंगी। इसके बाद सभी खंडों के स्कूलों में एनीमिया जांच अभियान शुरू किया जाएगा। अभियान के तहत विद्यार्थियों में खून की कमी पाए जाने पर पोष्टिक आहार के प्रति जागरूक करने के साथ आयरन की टेबलेट भी वितरित की जाएगी।
अभियान में यह रहेंगे शामिल: स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ एनीमिया मुक्त अभियान में फिलहाल शिक्षा विभाग, आईएमए, एनजीओ सहयोग कर रहे है। 12 से 15 सदस्यों की टीम शहर के प्रत्येक स्कूलों का विजिट करके बच्चों में हीमोग्लोबिन की मात्रा की जांच कर रही है। इसमें प्रत्येक स्कूल से एक टीचर टीम का सहयोग कर रहा है। इसके बाद खंड स्तर पर स्कूलों के चार नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। जो अभियान की मॉनिटरिंग करेंगे। आशा वर्कर व एएनएम स्कूलों में बच्चों को पोष्टिक आहार के प्रति जागरूक करेंगी। अभियान को लेकर प्रत्येक सप्ताह बैठक करके समीक्षा की जाएगी। अभियान के तहत जिले के निजी व प्राइवेट करीब 650 स्कूलों के पौने दो लाख से अधिक बच्चों को कवर किया जाएगा।
60 प्रतिशत लड़कियों में 8 से 9 हिमोग्लोबिन: शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाने से कई प्रकार के एनीमिया हो जाते है, लेकिन ज्यादातर तीन प्रकार के एनीमिया लोगों में पाए जाते है। जिनमे माइल्ड, मॉडरेट व सीवियर प्रमुख है। माइल्ड में एचबी 10 से 11, मॉडरेट में 8 से 9 व सीवियर में एचबी 8 से कम हो जाता है। स्वास्थ्स विभाग के अनुसार जिले में करीब 60 प्रतिशत लड़कियां मॉडरेट एनीमिया से पीडि़त है।
एनीमिया के लक्षण व उपाय: अभियान के तहत छात्राओं में सामान्य रूप से एनीमिया एवं किशोरावस्था में होने वाली अन्य बीमारियों, उनके लक्षण, बचाव एवं इलाज के बारे में जागरूक किया जाएगा। शरीर में खून की कर्मी होने पर कमजोरी होना, थकान होना, काम में मन न लगना, चक्कर आना, भूख न लगना व सांस की तकलीफ हो जाती है। एनीमिया का मुख्य कारण पोष्टिक आहार न लेना, पेट में कीडे़ होना, दूषित पानी व खाद्य पदार्थो का सेवन है। इससे बचाव के लिए पोष्टिक आहार के साथ विटामिन व आयरन की टेबलेट जरूरी है। अभियान के तहत आयुवर्ग में एनीमिया की दर में कमी लाने के लिए स्कूलों में विद्यार्थियो के हिमोग्लोबिन की जांच की जाएगी तथा मरीज का पूरा डाटा रखा जाएगा।
स्कलों में विद्यार्थियों में खून की कमी पाए जाने के बाद उनका उपचार किया जाएगा। विद्यार्थियों को मौके पर ही आयरन की टेबलेट वितरित की जाएगी तथा मरीज की मॉनटरिंग भी की जाएंगी। एनीमिया मरीजों का डाटा भी तैयार किया जाएगा। जिले को एनीमिया मुक्त बनाना ही स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य है, जिसके लिए शहर के 46 स्कूलों से शुरूआत कर दी गई है। - डा. सुदर्शन पंवार, सिविल सर्जन रेवाड़ी।