बीआरएबीयू में युवा शिक्षकों के कंधे पर होगा रिसर्च का जिम्मा
नालंदा: बीआरएबीयू में इस बार युवा शिक्षकों के कंधे पर रिसर्च का जिम्मा होगा. 2022 और 2023 पैट में ज्यादातर शोध वर्ष 2017 और 2019 बैच के शिक्षक कराएंगे. वरीय शिक्षकों ने बताया कि इस बार पुराने शिक्षकों के पास पीएचडी की जगह खाली नहीं है. कई शिक्षक रिटायर होने वाले हैं. शोध का जिम्मा युवा शिक्षकों के पास रहेगा.
बीआरएबीयू से जुड़े शिक्षकों ने बताया कि इन नों पैट में लगभग 90 प्रतिशत नये बैच के शिक्षक ही शोध कराएंगे. यूजीसी के नियम के अनुसार, प्रोफेसर से लेकर असिस्टेंट प्रोफेसर तक शोध कराने के लिए छात्रों की संख्या तय है. प्रोफेसर आठ, एसो. प्रोफेसर छह और असिस्टेंट प्रोफेसर छात्रों को पीएचडी करा सकते हैं. बीआरएबीयू से संबद्ध कॉलेजों के शिक्षक भी रिसर्च कराने के दावेदार हैं.
पिछली बार विवि प्रशासन ने निर्णय लिया था कि संबद्ध कॉलेजों में जो शिक्षक सरकार द्वारा स्वीकृत पद पर हैं, शोध करा सकते हैं. इस बार भी कई ऐसे शिक्षक रिसर्च कराने के लिए दावा करने जा रहे हैं. संबद्ध कॉलेजों के शिक्षकों की लंबे समय से यह मांग भी रही है.
पैट 2020 के छात्रों का शोध हो रहा है पूरा: पैट 2020 में जिन छात्रों ने शोध शुरू किया था, उनका शोध पूरा हो रहा है. इन छात्रों की थीसिस भी विवि में जमा हो रही है. थीसिस जमा होने से पैट 2022 और पैट 2023 के लिए कई सीटें खाली हो गई हैं. हालांकि, विवि प्रशासन ने अभी पैट के लिए सीटों का निर्धारण नहीं किया है. परीक्षा होने के बाद सीटों का निर्धारण किया जा सकता है. पैट 2022 नौ जून को होना है. पैट 2023 के लिए भी पोर्टल खोला जा रहा है.