Patna: पैकेट बंद वस्तुओं से शरीर में पहुंच रहा प्लास्टिक: डॉ.डीके शुक्ला
पटना: हमारे भोजन में प्लास्टिक की मात्रा कितनी है, पैकेट बंद वस्तुओं के माध्यम से यह हमारे शरीर में पहुंच रहा है, इन सब बातों का अध्ययन बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद कराएगा. माइक्रो प्लास्टिक की गिनती एक प्रबल प्रदूषकों में की गई है. हमारे भोजन शृंखला में शामिल होकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का प्रमुख कारण बन सकता है. जैव विविधता अंतरराष्ट्रीय दिवस के मौके पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में प्रत्येक महीने आयोजित होने वाले वैज्ञानिक व्याख्यान में बोर्ड के अध्यक्ष डॉ.डीके शुक्ला में ये जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की पहल पर केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पर्यावरण में माइक्रो प्लास्टिक पर अध्ययन कराने और हमारे भोजन शृंखला में इसकी मात्रा कितनी है या निर्धारित कराने पर सहमति प्रदान की है. साथ देशभर के सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को इसकी जिम्मेवारी दी है. उन्होंने बताया कि माइक्रो प्लास्टिक के अतिरिक्त अर्सेनिक, लेड, कैडमियम जैसी भारी धातुएं भी हमारे भोजन शृंखला में आ रही है जो एक गंभीर समस्या का विषय है. मिट्टी प्रदूषण भी लगातार बढ़ रहा है. प्रदूषित मिट्टी के माध्यम से भी हमारे भोजन शृंखला में रासायनिक खाद, कीटनाशक आदि शामिल हो रहा है, जिससे पर्यावरण के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है.
वनों को आग से बचाने के लिए बनानी होगी योजना: डॉ. डीके शुक्ला ने कहा कि वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी से जंगलों में आग लगने की घटना तेजी से बढ़ रही है. बिहार राज्य में भी जैव-विविधता से भरे कई वन है. जिन्हें तापमान में वृद्धि के कारण आग से रक्षा के लिए एक रणनीति बनाने की जरूरत है. अग्नि प्रभावित वनों में जल और मिट्टी संरक्षण के लिए अग्निशमन योजना बनाकर इसपर अमल किया जाना चाहिए. इसके लिए ड्रोन, वायुमंडलीय आर्द्रता के सेंसरों, नासा से प्राप्त सेटेलाइट डेटा से अग्नि की घटनाओं का ब्योरा प्राप्त कर तत्काल योजना बनाने की जरूरत है.
उन्होंने बताया कि संयुक्त वन प्रबंधन समिति और इको डेवलपमेंट समिति को वन अग्नि मुक्त राज्य बनाने का प्रयास करना होगा.