नालंदा: देह को जला देने वाली तपिश के कारण घरों में भी चैन नहीं मिल रही है. हीट वेव की मार से जनजीवन प्रभावित है. उसपर बिजली कट लोगों के लिए मुसीबत बन गयी है. खासकर रात में बिजली गुल होने पर लोगों की नींद खराब हो रही है. हद तो यह कि ग्रामीण इलाकों में तेज पछुआ बयार चलते ही बत्ती गुल कर दी जाती है. कभी ट्रीपिंग तो कभी फ्यूज कॉल के कारण कई बार बिजली कटती है. जबकि, मेंटेनेंस के नाम पर गर्मी आने से पहले लाखों रुपए खर्च किये गये थे. दावा किया गया था कि घंटे निर्बाध बिजली बहाल रहेगी. लेकिन, बढ़ती गर्मी के साथ बिजली आपूर्ति का हाल भी बेहाल हो रहा है. शहर में दो से ढाई तो गांवों में तीन से चार घंटे किस्तों में बिजली कट रही है. उपभोक्ताओं का कहना है कि दिन हो या रात, एक नहीं कई बार बिजली कटती है. गांवों में बिजली सप्लाई की स्थिति तो और भी दयनीय है. वह भी तब, जब पिछले कुछ सालों में बिना रुकावट बिजली बहाल रखने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किये गये हैं. कवर्ड वायर लगाया गया है. दावा किया गया था कि बार-बार तार टूटने की समस्या अब नहीं होगी. सुचारू रूप से बिजली हर मोहल्ले व गांव में मिलेगी. हकीकत यह कि हल्की हवा के झोंके से संचरण व्यवस्था तार-तार हो जाती है. सच्चाई यह भी कि नालंदा में मांग के अनुसार बिजली दी जा रही है. लेकिन, आपूर्ति की लुंज-पुंज व्यवस्था उपभोक्ताओं के लिए जी का जंजाल बन गयी है. हवा चली नहीं कि बत्ती गुल
ग्रामीण इलाकों की स्थिति ऐसी कि तेज पछुआ हवा चलते ही दिन में कई घंटे बिजली का दर्शन नहीं हो पाता है. नूरसराय के किसान जगदीश महतो, रहुई के सरोज कुमार, अस्थावां के प्रेम प्रकाश व अन्य कहते हैं कि बिन बिजली रबी फसलों की थ्रेसरिंग प्रभावित होती है. गरमा फसलों की सिंचाई करने में परेशानी आती है. इधर, बिजली विभाग के अधिकारियों की सफाई यह कि हवा चलने पर तारों के आपस में टकराने और उससे निकली चिंगारी से आग लगनी की आशंका रहती है. इस वजह से तेज हवा चलने पर ग्रामीण इलाकों में एहतियात बिजली काट दी जाती है.