बच्चों ने खत लिखा, मम्मी-पापा के पास मेरे लिए वक्त नहीं, वे रोज लड़ते हैं
पटना न्यूज़: मेरे पापा हमेशा मां के साथ झगड़ते रहते हैं. मुझे घर में बहुत डर लगता है. गलती नहीं करने पर भी डांट पड़ती है. मां से कुछ कहने जाते हैं तो कहती है, तुम्हारी बातों के लिए मेरे पास वक्त नहीं है. रिजल्ट अच्छा होता है फिर भी दूसरे बच्चों के साथ तुलना करके डांटा जाता है. मां-पापा की हर दिन लड़ाई होती है. ये बातें बच्चों ने किलकारी बाल भवन को लिखे पत्र में साझा की है. 90 फीसदी बच्चों ने अपने अभिभावकों के बारे में ऐसा ही लिखा है. किलकारी बाल भवन पटना की ओर से मूल्यांकन परीक्षा ली जा रही है. जिन बच्चों का नामांकन एक साल पहले हुआ है, उन बच्चों को किलकारी के नाम पत्र लिखने को कहा गया. इनमें एक हजार बच्चे शामिल हुए. इसमें आठ सौ से अधिक बच्चे अभिभावकों के व्यवहार से असंतुष्ट हैं. मूल्यवर्द्धन परीक्षा के साथ अभिभावकों की बैठक भी आयोजित की जा रही है. इसमें अभिभावकों की काउंसिलिंग की जा रही है. बच्चों के मन की बातें बताकर घर में खुशनुमा माहौल बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.
बच्चों के पत्र की खास बातें
● मम्मी-पापा के पास हमारे लिए समय नहीं होता
● बात-बात में रोक-टोक करते हैं
● मां-पापा से कुछ न कहें, इसके लिए हमें मोबाइल देते हैं
● हम कुछ कहना चाहते हैं तो अभी समय नहीं हैं कहकर टाल देते हैं
● कहीं घुमाने नहीं ले जाते
● अपने साथ स्कूल नहीं लेकर जाते हैं
● किलकारी बाल भवन की ओर से ली गई मूल्यांकन परीक्षा में सामने आई बात
● अभिभावकों के साथ बैठक कर उनकी काउंसिलिंग की जा रही है
इस बार मूल्यवर्द्धन प्रक्रिया में बदलाव किया गया है. बच्चों से किलकारी परिसर के अनुभव को साझा करने में किलकारी के नाम पत्र लिखने को कहा गया. बच्चों ने खुलकर लिखा है. ज्यादातर बच्चों ने अपने अभिभावक और घर के माहौल के बारे में भी लिखा है.
-ज्योति परिहार, निदेशिका, किलकारी बाल भवन पटना
किलकारी की ओर से परीक्षा के पहले चार श्रेणी अंकुर, डोपल, तरुण और सारथी में बच्चों को बांटा गया. अंकुर में जो बच्चे थे, उन्हें किलकारी के नाम पत्र लिखने को कहा गया. वहीं डोपल में शामिल बच्चों को परीक्षा के लिए खुद ही प्रश्न तैयार करने को दिया गया. बच्चों ने जो प्रश्न तैयार किया, उसी का उत्तर देने को उन्हें कहा गया. तीसरे स्थान पर तरुण श्रेणी के बच्चे शामिल हैं. इन बच्चों से प्रश्नों का सेट तैयार करने को कहा गया. जो प्रश्न बच्चे तैयार करके लाए, उनमें से छांट कर उत्तर देने को कहा गया. चौथी श्रेणी यानी सारथी वाले बच्चों को रिसर्च वर्क करने को दिया गया है. यह परीक्षा पूरी जनवरी तक चलेगी.