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महिलाओं को स्तनपान के शुरुआती हफ्ताे में क्यों होती है,मतली की परेशानी ?
Admin4
21 Aug 2021 9:40 AM GMT
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ब्रेस्टफीडिंग में क्यों होती है मतली
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कुछ महिलाओं को स्तनपान के शुरुआती हफ्तां में मतली की परेशानी हो सकती है। अगर किसी महिला को प्रेग्नेंसी में कभी मॉर्निंग सिकनेस नहीं हुई, तो उन्हें भी ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मतली हो सकती है। हालांकि, 6 से 8वें हफ्ते तक यह प्रॉब्लम खत्म हो जाती है।
ब्रेस्टफीडिंग में क्यों होती है मतली
इस समय मतली पैदा करने के लिए ऑक्सीटोसिन हार्मोन सबसे ज्यादा जिम्मेदार होता है। यह हार्मोन स्तनपान में मदद करता है लेकिन इसके कारण मतली हो सकती है। इसके अलावा डिहाइड्रेशन, आराम कम करने और नींद की कमी और खराब डाइट की वजह से भी मतली हो सकती है।
कुछ महिलाओं में आयरन की कमी हो सकती है जबकि कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान इस पोषक तत्व की कमी होती है। डिलीवरी के समय खून बहने की वजह से भी आयरन की कमी हो जाती है जिससे मतली होती है।
यूटीआई और हार्मोंस
प्रेग्नेंसी और इसके बाद यूटीआई की प्रॉब्लम हो सकती है। ये इंफेक्शन जलन भी कर सकता है और कुछ महिलाओं को इस इंफेक्शन के कारण मतली भी महसूस हो सकती है। डिलीवरी के बाद हार्मोंस में उतार-चढ़ाव आने की वजह से भी मतली होने लगती है।
मतली का घरेलू नुस्खा
मतली दूर करने के लिए अदरक लाभकारी नुस्खा है। आप अदरक की चाय पी सकती हैं या अदरक के रस में एक चुटकी नमक और काली मिर्च डालकर ले सकती हैं। इसकी जगह आप अदरक की कैंडी को भी मुंह में रखकर चूस सकती हैं।
अदरक के अलावा पुदीने की पत्तियां भी मतली को खत्म कर सकती हैं। इन पत्तियों को आप दांतों से चबाकर खा सकती हैं। पुदीने का रस भी मतली पैदा करने वाली एसिडिी को शांत करने में मदद करता है।
ये भी है घरेलू उपाय
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मतली को दूर करने के लिए प्रोबायोटिक मिल्क पी सकती हैं। यह एसिड रिफ्लक्स को ठीक करता है और ब्रेस्ट मिल्क को बढ़ाता है। इससे ब्रेस्ट मिल्क में पोषण की मात्रा भी बढ़ती है। प्रोबायोटिक मिल्क मतली को दूर करने में भी असरकारी है। इसे सुबह खाली पेट पीना चाहिए।
खूब पानी पिएं। थोड़ी-थोड़ी देर में सूप और जूस पीती रहें। शरीर को हाइड्रेट रखने पर मतली नहीं होती है।
डाइट पर रखें ख्याल
शिशु को दूध पिलाते समय लेट जाएं। इससे आप दोनों को कंफर्टेबल महसूस होगा और मतली भी महसूस नहीं होगा।
मतली होने पर कुछ भी खाने का मन नहीं करता है। यहां तक कि खाने का ख्याल आने पर भी उल्टी-सी आने लगती है। ऐसे में न खाने की वजह से कमजोरी आ जाएगी और बेबी को भी पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाएगा। थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ न कुछ खाती रहें। दिन में तीन बार की बजाय 5 से 6 बार खाएं।
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