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शरीर में ये बदलाव 'डायबिटिक रेटिनोपैथी' हैं लक्षण, इस तरह करें बचाव
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| डायबिटिक रेटिनोपैथी की बीमारी रक्त में शर्करा स्तर के बढ़ने से होती है। इस बीमारी से रेटिना प्रभावित होती है। रेटिना आंख के पर्दे को कहा जाता है। रेटिना में कोशिकाओं की मौजूदगी के चलते आंखों से दिखाई देता है, क्योंकि कोशिकाओं की मदद से रेटिना में रोशनी पहुंचती है। आंख की अधिकतर बीमारी रेटिना की वजह से होती है। वहीं, डायबिटीज रेटिनोपैथी में रेटिना की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। इसके चलते आंखों से दिखाई नहीं देती है। लापरवाही करने पर आंखों की रोशनी सदा के लिए जा सकती है। विशेषज्ञों की मानें तो रेटिनोपैथी के शुरूआती लक्षण को नॉन पॉलिफरेटिव डायबिटिक रेटीनोपैथी कहा जाता है। इस दौरान ब्लड लीकेज होने लगता है। इस स्थिति में आंखों से दिखाई देता है। हालांकि, खून के अधिक बहने पर आंखों पर प्रतिकूल असर पड़ता है और आंखों की रोशनी कम हो जाती है। इसके अतिरिक्त रेटीनोपैथी की वजह से रेटिना में सूजन पैदा होती है, जिससे आंखों में ऑक्सीजन की पूर्ति बाधित होती है। इससे मरीज के आंखों की रोशनी खत्म हो जाती है। डायबिटीज के 40 फीसदी मरीज रेटीनोपैथी के शिकार होते हैं।