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Phalsa : फालसा शीतल एवं शांतिदायक प्रकृति का फल माना जाता है। यह खाने में बहुत स्वादिष्ट एवं पाचन शक्ति में वृद्धि करने वाला होता है। स्वास्थ्यवर्धक गुणों से लबालब इस फल की अन्य विशेषताएं जानें लेख से। प्रकृति ने अपनी कई अनमोल नियामतों से मनुष्य को नवाजा है। मनुष्य यदि उनका उचित उपयोग करे तो वह कई व्याधियों से बच सकता है। ऐसा ही एक फल है फालसा। यह एक ऐसा फल है, जिसमें कई प्रकार के खनिज पाए जाते हैं तथा यह कई पोषक तत्त्वों की खान है। फालसा बहुत ही छोटा मटर के दाने के आकार का लाल-बैंगनी फल है, जो बहुत कम प्रचलित है। इसका कच्चा फल हरा होता है और पका फल स्वाद में खट्टा-मीठा होता है।
फालसा को पोषक तत्त्वों की खान और एंटी ऑक्सीडेंट कहना गलत न होगा। देखा जाए तो फालसा का 69 प्रतिशत भाग ही खाने लायक होता है, बाकी हिस्से में गुठली होती है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम, पोटैशियम, सोडियम, फास्फोरस, कैल्शियम, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, लोहा, विटामिन ए और विटामिन सी जैसे पोषक तत्त्व इसे हमारे लिए सेहत का खजाना बना देते हैं।
आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र के सभी ग्रंथों में फालसा के गुण धर्मों का उल्लेख किया गया है। कैयदेव निघंटु में वर्णित है कि फालसा का कच्चा फल अल्पमधुर, वात व पित्त दोषनाशक है, जबकि पका हुआ फालसा शीतवीर्य, वीर्यवर्धक, हृदय के लिए हितकारी, मांसवर्धक व ज्वरहर होता है। यूनानी मत में फालसे को छाती और हृदय को ताकतवर बनाने वाला माना गया है। औषधीय कार्य के लिए फालसा के फल, जड़, पत्ते एवं छाल का उपयोग किया जाता है। फालसा का प्रयोग करके निम्न समस्याओं को दूर किया जा सकता है-
मूत्र विकार पके फालसे- 25 ग्राम, आंवले का चूर्ण- 5 ग्राम, काली द्राक्ष- 10 ग्राम, खजूर 10 ग्राम लें। फिर खजूर, द्राक्ष और फालसा को आधा कूट लें। रात्रि में इन सबको पानी में भिगो दें। सुबह उसमें 20 ग्राम शक्कर डालकर अच्छी तरह से मिश्रित करके छान लें। उसके दो भाग करके सुबह-शाम दो बार पिएं। यह महिलाओं का रक्त गिरना, अति मासिक स्राव होना तथा पुरुषों की प्रमेह आदि समस्याएं भी दूर करता है।
पित्तविकार गर्मी के दोष, नेत्रदाह, मूत्रदाह, छाती या पेट में दाह, खट्टी डकार आदि की तकलीफ में फालसा के रस का शर्बत बनाकर पीना तथा अन्य सब खुराक बन्द कर केवल सात्त्विक खुराक लेने से पित्तविकार मिटते हैं।
हृदय की कमजोरी फालसा का रस 50 मि.ली, नींबू का रस 5 मि.ली., सेंधा नमक एक चुटकी, काली मिर्च एक चुटकी लेकर उसमें स्वाद के अनुसार मिश्री या शक्कर मिलाकर पीने से हृदय की कमजोरी में लाभ होता है।
गर्मी में पहुंचाए ठंडक फालसे के रस को शांत, ताजा और आसानी से पचने और गर्मी में प्यास से राहत पहुंचाने वाला ठंडा टॉनिक भी कहा जाता है। इसका उपयोग शारीरिक विकारों और बिमारियों के इलाज के लिए किया जाता रहा है। यह पित्ताशय और जिगर की समस्याओं को दूर करता है। फालसा में थोड़ा कसैलापन भी होता है जो शरीर से अतिरिक्त अम्लता कम करके पाचन संबंधी विकार को दूर करता है। यह अपच की समस्या भी दूर करता है।
कैंसर से लड़ने में मददगार विटामिन सी और खनिज तत्त्वों से भरपूर इस फल के सेवन से रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है। अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के रोगियों को फालसा खाने से सांस की तकलीफ में राहत मिलती है।
दिमाग की कमजोरी कुछ दिनों तक नाश्ते की जगह फालसा का रस 50 मि.ली. पीने से दिमाग की कमजोरी तथा सुस्ती दूर होती है और फुर्ती व शक्ति प्राप्त होती है।
मूढ़ या मृत गर्भ में कई बार गर्भवती महिलाओं के गर्भाशय में स्थित गर्भ मूढ़ या मृत हो जाता है। ऐसी अवस्था में गर्भ को जल्दी निकालना तथा मां की जान बचाना आवश्यक होता है। ऐसी परिस्थिति में अन्य कोई उपाय न हो, तो फालसा के मूल को पानी में घिसकर उसका लेप गर्भवती महिला की नाभि के नीचे पेड़ू, योनि और कमर पर लगाने से पिण्ड जल्दी बाहर आ जाएगा।
एनीमिया से बचाव इससे मस्तिष्क की गर्मी और खुश्की भी दूर होती है। खनिज लवणों की अधिकता होने के कारण इसे खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन भी बढ़ता है और एनीमिया से बचाव भी होता है। इसके सेवन से मूत्र संबंधी समस्याओं से भी राहत मिलती है।
लू से सुरक्षा फालसे का रस गर्मियों में चलने वाली लू और उससे होने वाले बुखार से बचाने में खास भूमिका निभाता है। अगर आपका स्वभाव चिड़चिड़ा है तो फालसे को किसी भी रूप में खाएं, लाभ होगा। यह उल्टी और Nervousnessदूर करता है। धूप में रहने के कारण शरीर के खुले अंगों पर होने वाली लालिमा, जलन, सूजन और कालेपन को दूर करने में भी यह मदद करता है। विटामिन सी से भरपूर फालसे का खट्टा-मीठा रस खांसी-जुकाम को रोकने और गले में होने वाली समस्याओं से निजात पाने के लिए काफी प्रभावशाली होता है।
अन्य रोगों में लाभकारी फालसा की छाल का 40 ग्राम रस दस ग्राम pure honey के साथ मिलाकर सेवन करने से मधुमेह में लाभ मिलता है। फालसा के पेड़ की जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया रोग दूर होता है। इसके पत्ते को पीसकर गिल्टी पर लेप करने से गिल्टी ठीक हो जाती है। श्वास, हिचकी, कफ, कफ दोष से होने वाले श्वास, सर्दी तथा हिचकी में फालसा का रस थोड़ा गर्म करके उसमें थोड़ा अदरक का रस और सेंधा नमक डालकर पीने से कफ बाहर निकल जाता है तथा सर्दी, श्वास की तकलीफ और हिचकी मिट जाती है। फालसा गर्मियों में पित्तनाशक एवं गर्मीनाशक माना जाता है। फालसा खाने से यौवन शक्ति और वीर्य उत्पादन में वृद्धि होती है।
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Deepa Sahu
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