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शरीर में होने वाली हर छोटी से बड़ी गतिविधि का सीधा संबंध दिमाग से होता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शरीर में होने वाली हर छोटी से बड़ी गतिविधि का सीधा संबंध दिमाग से होता है। पैरों को कब आगे बढ़ाना है, शरीर में कब खुजली करनी है, सोने-जागने से लेकर, खाने की इच्छा तक सब कुछ दिमाग द्वारा संचालित होता है। यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ मस्तिष्क को शांत और स्वस्थ रखने वाले उपाय करते रहने की सलाह देते हैं। तनाव जैसी मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि अधिक तनाव लेने वाले लोगों में समय के साथ डायबिटीज का भी जोखिम बढ़ जाता है।
तनाव की स्थिति में मस्तिष्क में कुछ ऐसी क्रियाएं होती हैं जो मधुमेह रोग विकसित करने का कारण बन सकती हैं। तनाव की स्थिति में मीठी चीजें खाने की तीव्र इच्छा होना इसी का एक उदाहरण है।
क्या आपको भी तनाव या गुस्से की स्थिति में मीठा खाने का बहुत मन करता है? आपने सोचा, आखिर इसका क्या कारण है? हाल ही में प्रकाशित एक लेख में चेलाराम डायबिटीज इंस्टीट्यूट, पुणे में एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ उन्नीकृष्णन ने तनाव की स्थिति में मीठी चीजें खाने की होने वाली तीव्र इच्छा के कारणों के बारे में स्पष्ट किया है। आइए इस बारे में विस्तार से समझते हैं।
तनाव के कारण बढ़ सकता है डायबिटीज का खतरा
शोधकर्ताओं का कहना है कि जिन लोगों में आनुवांशिक रूप से डायबिटीज का जोखिम होता है, उन्हें इससे बचाव के उपाय करते रहने चाहिए। पर तनाव की स्थिति में डेजर्ट की इच्छा पर अक्सर ध्यान नहीं दिया जाता है, यह भी डायबिटीज को विकसित करने का कारण हो सकती है। पर आखिर तनाव का मीठे से क्या संबंध है?
इस बारे में डॉ उन्नीकृष्णन बताते हैं, तनाव की स्थिति में मस्तिष्क में कुछ ऐसी रसायनिक गतिविधियां होती है, जो आपकी मीठा खाने की चाहत को बढ़ा देती हैं। इसमें भी आपको खुशी महसूस कराने वाले न्यूरोट्रांसमीटर डोपामाइन का योगदान माना जाता है। कैसे आइए जानते हैं?
मीठा खाने की इच्छा
डॉ उन्नीकृष्णन बताते हैं, जब भी हम कुछ मीठा खाते हैं तो जीभ पर मौजूद स्वाद का एहसास कराने वाले रिसेप्टर्स उत्तेजित हो जाते हैं, जो तंत्रिका तंत्र के माध्यम से मस्तिष्क को विद्युत संकेत देते हैं। इसका परिणाम स्वरूप स्वाभाविक रूप से डोपामाइन का स्तर बढ़ जाता है जो हमें खुशी का एहसास करता है। यह हमें और अधिक मीठा खाने के लिए उत्तेजित करता है। इसको और बेहतर तरीके से समझने के लिए हमें मस्तिष्क के कार्यों के बारे में जानना आवश्यक है।
भावनात्मक स्थितियों में क्रेविंग
जब भी हम भावनात्मक क्षणों में होते हैं, जैसे तनाव-चिंता, क्रोध-दुख जैसी अनुभूतियों के दौरान शरीर एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल स्ट्रेस हार्मोन को रिलीज करता है। ये हार्मोन हृदय गति और रक्तचाप को बढ़ाने के साथ मेटाबॉलिज्म को भी गति देने का प्रयास करते हैं। इन स्थितियों में आपकी कमजोरी और थकान महसूस होती है जिससे छुटकारा पाने और शरीर को ऊर्जा के लिए कार्बोहाइड्रेट वाली चीजों की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि ऐसी भावनात्मक स्थितियों में हमें मीठी चीजें और कार्बोहाइड्रेट युक्त चीजों को खाने की तीव्र इच्छा महसूस होती है।
डोपामिन कैसे बढ़ाता है मीठे की इच्छा?
कार्बोहाइड्रेट के पाचन के साथ ही रक्त में शर्करा का उत्पादन होने लगता है। शोध में पाया गया है कि मस्तिष्क की कोशिकाएं रक्त में मौजूद ग्लूकोज के प्रति सीधे प्रतिक्रिया करती हैं। शरीर में डोपामिन हिट होने की स्थिति में इसे मीठी चीजों के अधिक सेवन की इच्छा के कारण के तौर पर भी देखा जाता है। अधिक तनाव लेने की स्थिति में वजन बढ़ने या डायबिटीज होने की समस्या के जोखिम को लिए भी इसे कारक के तौर पर देखा जाता है। जब हम तनाव की स्थिति में अधिक मीठी चीजें या कार्बोहाइड्रेट का सेवन करते हैं तो यह वजन और मधुमेह दोनों को बढ़ाने का कारण बनती है।
अध्ययन में क्या पता चला?
साइंटफिक अमेरिकन जर्नल में भी वैज्ञानिकों ने बताया कि किस तरह से भावनात्मक स्थितियों में कार्बोहाइड्रेट की इच्छा अधिक होती है। शोधकर्ता बताते हैं, तनाव और भूख जैसी स्थितियों में मस्तिष्क क्षेत्रों का पूरा नेटवर्क सक्रिय हो जाता है। सेंटर में वेंट्रोमेडियल हाइपोथैलेमस (वीएमएच) और लेटरल हाइपोथैलेमस होती हैं। ऊपरी मस्तिष्क के ये दो क्षेत्र मेटाबॉलिज्म, भोजन व्यवहार और पाचन कार्यों को विनियमित करने में महत्वपू्र्ण भूमिका निभाते हैं।
हाइपोथैलेमस को ब्रेन के गेटकीपर के तौर पर देखा जा सकता है। यदि इसे लगता है कि मस्तिष्क में ग्लूकोज की कमी है, तो यह शरीर के बाकी हिस्सों से जानकारी को अवरुद्ध कर देता है। इसलिए जैसे ही मस्तिष्क ऊर्जा की आवश्यकता का संकेत देता है, हमें कार्बोहाइड्रेट वाली चीजों के सेवन की तीव्र इच्छा होने लगती है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
डॉ उन्नीकृष्णन कहते हैं, मस्तिष्क की इन क्रियाओं को ध्यान में रखते हुए हमें भावनात्मक स्थितियों में आहार के चयन को लेकर विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। तनाव की स्थिति में चाहे-अनचाहे कार्बोहाइड्रेट का अधिक सेवन वजन और डायबिटीज दोनों के खतरे को बढ़ा देता है।डायबिटीज वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिससे बचाव को लेकर सभी लोगों को सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
Tara Tandi
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