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लाइफ स्टाइल
प्लांट बेस्ड मीट पोषक तत्वों से भरपूर होती है, जानिए फायदे
Tara Tandi
30 July 2022 6:41 AM GMT
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्लांट बेस्ड मीट इन दिनों एनिमल प्रोडक्ट का एक बेहतर विकल्प बनकर उभर रही है. प्लांट बेस्ड मीट को प्लांट्स से तैयार किया जाता है और यह लोगों को एनिमल मीट जैसा स्वाद देती है. खास बात यह है कि यह बिलकुल मीट की तरह नजर आती है. इसमें फैट और कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है, जिसकी वजह से स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद मानी जाती है. इसे बनाने में कोकोनट ऑयल, वेजिटेबल प्रोटीन एक्सट्रैक्ट और बीट जूस का इस्तेमाल किया जाता है. ब्रिटेन में की गई एक स्टडी में प्लांट बेस्ड मीट को लेकर चौंकाने वाली बात सामने आई हैं. इसमें बताया गया है कि यह लोगों की हेल्थ के साथ पर्यावरण के लिए भी काफी फायदेमंद होती है.
नई स्टडी में इन बातों का हुआ खुलासा
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ बाथ के शोधकर्ताओं ने प्लांट बेस्ट प्रोडक्ट्स के फायदों को लेकर एक स्टडी की है. इसमें पता चला है कि प्लांट बेस्ड मीट एनिमल प्रोडक्ट्स की तुलना में ज्यादा फायदेमंद होती है. यह एनिमल प्रोडक्ट्स को रिप्लेस करने के लिए बनाई गई है. प्लांट बेस्ड मीट की बनावट, स्वाद को विशेष रुप से डिजाइन किया जाता है ताकि इसे खाने पर एनिमल मीट जैसा अनुभव हो. इन प्रोडक्ट्स में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व होते हैं. ऐसे प्रोडक्ट मीट और डेयरी प्रोडक्ट की मांग को कम करने में प्रभावी साबित हो रहे हैं. इससे लोग शाकाहारी खाने के लिए उत्साहित हो रहे हैं. ब्रिटेन की एक रिसर्च में प्लांट बेस्ट प्रोडक्ट्स की तुलना एनिमल मीट वाले प्रोडक्ट्स 40 फीसदी तक अनहेल्दी पाए गए.
नॉन-वेजिटेरियन लोगों का बढ़ रहा रुझान
बाथ यूनिवर्सिटी के साइकोलॉजिस्ट ने इस स्टडीज में निष्कर्ष निकाला है कि प्लांट बेस्ड मीट एनिमल और डेयरी प्रोडक्ट का हेल्दी सोलूशन है. यह पर्यावरण के लिहाज से ज्यादा सस्टेनेबल है और इन प्रोडक्ट्स को बनाते समय लोगों के व्यवहार को वरीयता दी जाती है. शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकालने के लिए 43 स्टडीज का भी रिव्यू किया. इसमें प्लांट बेस्ड मीट खाने वाले 90 फीसदी लोग ऐसे थे, जो नॉन- वेजिटेरियन थे. इन लोगों का रुझान अब प्लांट बेस्ड मीट की तरफ बढ़ रहा है.
पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद
स्टडी में पता चला है कि प्लांट बेस्ड प्रोडक्ट तैयार करने में एनिमल प्रोडक्ट्स की अपेक्षा ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन कम होता है. 5% जर्मन बीफ को अगर इससे रिप्लेस कर दिया जाए तो CO2 उत्सर्जन में हर साल 8 मिलियन टन की कमी आ सकती है, जिससे पर्यावरण काफी बेहतर हो जाएगा. खास बात यह है कि ऐसे प्रोडक्ट तैयार करने के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती और पोलूशन भी काफी कम होता है. प्लांट बेस्ड बर्गर तैयार करने में बीफ बर्गर की अपेक्षा ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन 98 प्रतिशत कम होता है.
Tara Tandi
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