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कब्ज में होने वाली कई बीमारियों का हल है ये आयुर्वेदिक उपचार, जानें इसके फायदे
जनता से रिश्ता बेवङेस्क| आशावादी बनें और उजले पक्ष को देखें. आपका विश्वास और उम्मीद आपकी इच्छाओं व आशाओं के लिए नए दरवाज़े खोलेंगी. पुराने निवेशों के चलते आय में बढ़ोतरी नज़र आ रही है. मुमकिन है कि आज आप ख़रीदारी करने बाहर जाएं, लेकिन आप ग़ैर-ज़रूरी चीज़ों पर ज़्यादा ख़र्च करके अपने साथी को दुखी कर सकते हैं. आपको पहली नज़र में किसी से प्यार हो सकता है. रचनात्मक काम में लगे लोगों के लिए सफलता से भरा दिन है, उन्हें वह शोहरत और पहचान मिलेगी जिसकी उन्हें एक अरसे से तलाश थी.आपके हंसने-हंसाने का अन्दाज़ आपकी असंतुलन की वजह से आंतों में विषाक्त पदार्थ (अमा) और मल (पुरिष) जमने लगता है.
कुछ मामलों में कफ और पित्त दोष के कारण भी कब्ज की शिकायत हो सकती है. कब्ज को नियंत्रित करने के लिए आयुर्वेद में कुछ जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है. अमा यानी विषाक्त पदार्थ के जमने पर कब्ज में कुछ लक्षण दिखाई देते हैं जिसमें पेट दर्द, सिर में जलन, प्यास लगना और बहती नाक शामिल है. वहीं पुरिष यानी मल जमने पर कब्ज हो तो बेहोशी, पेशाब और मल ना आना, एडिमा, तेज दर्द की शिकायत हो सकती है. आयुर्वेदिक इलाज के पहले यह जांच की जाती है कि कब्ज की समस्या किस वजह से है.
ये चार हैं आयुर्वेदिक उपचार
कब्ज के आयुर्वेदिक इलाज या उपचार में स्नेहन, स्वेदन, विरेचन और बस्ती शामिल हैं. स्नेहन में जड़ी-बूटियों के तेल से शरीर की मालिश करते हैं. किस दोष के असंतुलन के कारण कब्ज हुआ है इसी के अनुसार, जड़ी-बूटियों का चुनाव किया जाता है. अगर कब्ज का कारण वात असंतुलन है तो हल्की मालिश की जाती है. यदि पित्त की वजह से कब्ज हुआ है तो ऐसे मालिश की जाती है कि उसका असर ऊतकों की गहराई तक हो सके. स्वेदन में पसीना निकालने की प्रक्रियाओं को अपनाते हैं जिसमें सिकाई, गर्म भाप देना या पूरी शरीर पर औषधीय गर्म तेल को डालना शामिल है.
ये तरीका विषाक्त पदार्थों को उनकी जगह से हटाता है और उन्हें तरल में बदल देता है. विरेचन पंचकर्म की एक तकनीक है जिसमें विभिन्न जड़ी-बूटियों का उपयोग कर मल त्याग के जरिए शरीर की सफाई की जाती है. ये मल को बाहर निकालने और असंतुलित दोष को संतुलित कर कब्ज से राहत दिलाता है. बस्ती वास्तव में आयुवेर्दिक एनिमा चिकित्सा है. यह वात प्रकृति वाले व्यक्ति के लिए बेहतरीन उपाय है. बस्ती में पूरी आंत, मलद्वार और गुदा को साफ करने का काम करती है.
ये जड़ी-बूटियां हैं काम की
कब्ज की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में हरीतकी, विभीतकी और अरंडी शामिल हैं. ये पाचन तंत्र, तंत्रिका, श्वसन और उत्सर्जन प्रणाली पर कार्य करती हैं. इनमें रेचक, रोगाणुरोधक, कृमिनाशक, ऊर्जादायक और संकुचक गुण होते हैं.
ये हैं कब्ज की औषधियां
कब्ज के लिए आयुर्वेदिक औषधियों में दशमूल क्वाथ, त्रिफला, वैश्वनार चूर्ण, हिंगु त्रिगुणा तेल, अभ्यारिष्ट और इच्छाभेदी रस शामिल हैं. व्यक्ति की प्रकृति और वजहों के आधार पर चिकित्सा पद्धति चुनी जाती है. उचित औषधि और रोग के निदान के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए.