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Lifestyle: गर्दन पर है ज्यादा कालापन तो तत्काल करवाएं शुगर टेस्ट
मुरादाबाद: गर्दन का रंग काला पड़ने को अक्सर लोग चिलचिलाती धूप में त्वचा के झुलसने से जोड़कर देखते हैं, लेकिन चिकित्सक कह रहे हैं कि गर्दन का काला रंग खून में शुगर का स्तर खतरनाक तौर से बढ़ जाने का लक्षण हो सकता है. इस स्थिति में समय पर जांच अवश्य कराएं जिससे शुगर की स्थिति का पता चल सके. ऐसी परिस्थिति में लापरवाही भारी पड़ सकती है. मुरादाबाद में अंतस्रावी रोग विशेषज्ञ डॉ. सैयद मोहम्मद रजी ने बताया कि गर्दन का रंग काला पड़ने की समस्या चिकित्सा विज्ञान में केन्थोसिस निग्रीगेंस के रूप में जानी जाती है, जो शरीर में इंसुलिन की खपत बेतहाशा बढ़ जाने का संकेत देती है. खून में शुगर का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ने पर उसे अवशोषित करने के लिए अतिरिक्त मात्रा में इंसुलिन की जरूरत पड़ती है. यह स्थिति शरीर में कई गंभीर समस्याओं का सबब बन सकती है. वयस्कों के साथ ही बच्चों की गर्दन का रंग भी काला पड़ने की समस्या सामने आ रही है.
डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को खून में शुगर का लेवल घटाने के लिए कसरत धीरे-धीरे करने की सलाह दी. बताया कि शुगर कम करने के लिए एकाएक तेजी से और पहली ही बार में ज्यादा देर तक कसरत करना हार्ट अटैक का कारण बन सकता है. मसलन, वॉकिंग शुरू कर रहे हैं तो शुरुआत में धीरे-धीरे चलें. पहली या दूसरी बार में ही बहुत तेज न टहलें या दौड़ें. -डॉ.सैयद मोहम्मद रजी, अंतस्रावी रोग विशेषज्ञ
शुगर नियंत्रित होने पर दोबारा एडजस्ट कराएं दवा: चिकित्सकों का कहना है कि नियमित रूप से दवा खाने और जरूरी परहेज करने के चलते अगर लंबे समय तक खून में शुगर का लेवल नियंत्रित रहता है तो यह बीमारी ठीक होना समझकर दवा बंद न करें और न ही शुगर को कंट्रोल मानकर ऐसी चीजों का सेवन बढ़ाएं जिनसे शुगर बढ़ती है बल्कि, इस स्थिति में चिकित्सक की सलाह से शुगर की दवा को दोबारा एडजस्ट करा लें.
शुगर पीड़ित मरीजों का इलाज अब जल्द शुरू होने लगा है. डायबिटीज पीड़ित मरीजों के परिवारों में ग्लूकोमीटर की मौजूदगी आम हो गई है. नियमित रूप से शुगर टेस्ट करने की जागरूकता बढ़ी है. परिवार में किसी सदस्य का शुगर लेवल बढ़ा मिलने पर जल्द इलाज शुरू कराने या फिर जरूरी परहेज करके शुगर को नियंत्रित रखने पर फोकस किया जा रहा है. -डॉ. राकेश कुमार, फिजीशियन
डायबिटीज से पीड़ित जिन मरीजों के खून में शुगर का अत्यधिक बढ़ा हुआ लेवल दवा से नियंत्रित नहीं हो रहा है उन्हें इंसुलिन लगाई जा रही है. टाइप वन डायबिटीज से पीड़ित करीब आधा दर्जन बच्चों को अस्पताल में नियमित रूप से इंसुलिन लगाई जा रही है. एक ही परिवार के दो बच्चे नियमित रूप से इंसुलिन लगवाने वाले बच्चों में शामिल हैं. -डॉ. राजेंद्र कुमार, चिकित्साधीक्षक, जिला अस्पताल