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अगर कैंसर का जल्दी से पता लग जाता है तो इसका इलाज होने की संभावना बढ़ जाती है. ब्लड टेस्ट कराने से कैंसर का जल्द पता लगाने में मदद मिल सकती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अगर कैंसर का जल्दी से पता लग जाता है तो इसका इलाज होने की संभावना बढ़ जाती है. ब्लड टेस्ट कराने से कैंसर का जल्द पता लगाने में मदद मिल सकती है. एनआईएचआर की रिपोर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक शरीर में प्लेटलेट्स का बढ़ जाना भी कैंसर का संकेत हो सकता है. एक सामान्य प्लेटलेट काउंट प्रत्येक लीटर ब्लड में 150-400 x10⁹ प्लेटलेट्स के रूप में मापा जाता है.
प्लेटलेट्स आपस में चिपककर ब्लड क्लॉट बन जाते हैं, जिसकी वजह से बॉडी से ब्लीडिंग बंद हो जाती है. बॉडी में प्लेटलेट्स बढ़ जाने पर शरीर में थ्रोम्बोसाइटोसिस की प्रॉब्लम शुरू हो सकती है. इसके कारण दिल का दौरा भी पड़ सकता है. बढ़ी हुई प्लेटलेट भी कैंसर की और इशारा करती है. इन सभी का खतरा समय से ब्लड टेस्ट करवाने से कम हो सकता है, क्योंकि ऐसा करने से किसी भी स्थिति को उसकी शुरुआती स्टेज में पकड़ा जा सकता है. आइए जानते हैं नियमित ब्लड टेस्ट कराने से कैंसर का खतरा कैसे कम हो सकता है.
ब्लड टेस्ट के फायदे
– थ्रोम्बोसाइटोसिस के शिकार लोगों में कैंसर का खतरा अधिक होता है.
-उम्र के साथ कैंसर की आशंका बढ़ती है. 60 साल या उससे अधिक उम्र के पुरुषों में यह रिस्क ज़्यादा होता है.
-अधिक प्लेटलेट काउंट वाले रोगियों को फेफड़े और कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा सबसे अधिक होता है.
-शोधकर्ताओं का कहना है कि प्लेटलेट काउंट की पहचान करना, जो कैंसर के बढ़ते जोखिम का संकेत देते हैं, आगे की जांच के लिए रोगियों को बेहतर इलाज कराने में मदद कर सकता है.
-इनके अलावा नियमित ब्लड टेस्ट करवाने से अपने सेहतमंद होने का पता चलता है.
कैंसर में ब्लड टेस्ट के प्रकार
-ब्लड सेल काउंट टेस्ट.
-ब्लड प्रोटीन टेस्ट.
-ब्लड केमिकल टेस्ट (कैंसर सेल पता करने के लिए.)
-सर्कुलेटिंग ट्यूमर सेल टेस्ट.
-जेनेटिक मैटेरियल टेस्ट.
इन टेस्ट से लोगों की कैंसर का पता अर्ली स्टेज में लगाया जा सकता है. इन टेस्ट के आधार पर रोगी को बेहतर इलाज मिल सकता है और समय रहते अगर बिमारी पकड़ में आ गई, तो रोगी का ट्रीटमेंट हो सकता है और वह पहले की तरह अपनी ज़िंदगी जी सकता है.
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