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पोषक तत्वों से भरपूर हैं शहद, जानिए इससे जुड़ी रोचक बातें
Tara Tandi
7 Aug 2022 5:13 AM GMT
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मीठे खाद्य पदार्थों में शहद एक ऐसा आहार है जो शरीर में तुरंत ऊर्जा बढ़ाने का एक प्राकृतिक स्रोत है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मीठे खाद्य पदार्थों में शहद एक ऐसा आहार है जो शरीर में तुरंत ऊर्जा बढ़ाने का एक प्राकृतिक स्रोत है. मधु मक्खियों से प्राप्त शहद में कई तरह के विटामिन्स, मिनरल्स तो होते ही हैं, साथ ही यह एंटीऑक्सीडेंट और अमीनो से भी भरपूर होता है. यह इतना महत्वपूर्ण तत्व है कि दुनिया के प्रमुख ग्रंथों में इसका श्रद्धा से गुणगान किया गया है.
मनुष्य ने मिठास का पहला स्वाद शहद से ही जाना
आप हैरान होंगे कि पूरी दुनिया में शहद ही एक ऐसा आहार है जो कीट द्वारा तैयार किया जाता है और कीट और मनुष्यों द्वारा खाया जा सकता है. ऐसा खाद्य पदार्थ दुनिया में कोई और नहीं है. इस पृथ्वी पर जब मनुष्य का जन्म हुआ तो उसके लिए मिठास का सबसे विश्वसनीय स्रोत शहद ही था. आजकल शहद आसानी से मिलने वाली वस्तु है लेकिन विस्मयकारी तथ्य यह है कि मधुमक्खियों को एक पौंड (लगभग आधा किलो) शहद पाने के लिए करीब 20 लाख फूलों से पराग जुटाना पड़ता है. इसके लिए उनकी उड़ान हजारों किलोमीटर की होती है. मनुष्य सहित सभी जानवर शहद का स्वाद चख सकते हैं लेकिन बिल्लियां उसका स्वाद नहीं ले सकतीं क्योंकि उनके पास टेस्ट रिसेप्टर्स की कमी होती है. शहद जीवन में इतना महत्वपूर्ण है कि जब बच्चा पैदा होता है तो उसे शहद चटाया जाता है और जब मनुष्य मरता है तो उसके मुंह में शहद डाला जाता है.
दुनिया के प्रतिष्ठित धर्मग्रंथों में गुणगान
दुनिया के सभी प्रमुख धर्मों में शहद का श्रद्धापूर्वक वर्णन है. हिंदू धर्म में शहद पूजा/ धार्मिक अनुष्ठान में प्रयोग होने वाले पांच खाद्य पदार्थों में से एक है. पंचगव्य में शहद भी एक तत्व है. वेद-पुराणों में भी इसकी महिमा है. पुराणों में भगवान विष्णु व कृष्ण के नीले वर्ण को मधुमक्खी के साथ संलिप्त किया गया है. ईसाइयों के धर्मग्रंथ बाइबल में कहा गया है 'हे मेरे पुत्र, मधु खा, यह अच्छा है. जैसे मधुकोष का शहद जीभ पर मीठा होता है, वैसे ही तुम निश्चय कर सकते हो कि बुद्धि आत्मा के लिए अच्छी है.' इस्लामिक धर्म ग्रंथ कुरान में अल नहल (शहद की मक्खियां) नाम से एक पूरा अध्याय है, जिसमें उपचार व अन्य मसलों के लिए शहद की मजबूत सिफारिश की गई है. ग्रंथ में शहद को एक पौष्टिक और स्वस्थ भोजन माना गया है. बौद्ध धर्म में मनाए जाने वाले उत्सव 'मधु पूर्णिमा' में शहद महत्पूर्ण भूमिका निभाता है.
हजारों सालों से मक्खी 'गुनगना' रही है, शहद पैदा हो रहा है
शहद की उत्पत्ति पर जानकारी देना फिजूल है क्योंकि शहद की मक्खियां तो पूरे विश्व में हजारों सालों से 'भिनभिना' रही हैं और फूल भी 'खिल और महक' रहे हैं. बस इतना कहा जा सकता है कि जहां से शहद पाए जाने की पहले जानकारी (प्रमाण) मिली, वहीं इसकी उत्पत्ति मान ली गई. जैसे शहद पाए जाने का पहला रिकॉर्ड 3500 ईसा पूर्व के प्राचीन मिस्र में माना जाता है. वहां भोजन में शहद शामिल था और ममीकरण के लिए शहद का प्रयोग किया जा रहा था. वैसे स्पेन में एक पत्थर पर मिले शैल-चित्र ने इसे और प्राचीन घोषित कर दिया है. वहां वालेंसिया के क्यूवास डे ला अराना में पाई गई गुफा के चित्र में एक मनुष्य को मशक्कत से शहद इकट्ठा करते दिखाया गया है. इसे मैन ऑफ बिकॉर्प (man of bicorp) कहा गया है. यह गुफा 8000 साल पुरानी मानी गई है. ईसा पूर्व 2000-3000 में लिखे गए वेदों में भी शहद का वर्णन है चीन में भी 2000 ईसा पूर्व शहद लोकप्रिय था. ऐसा भी कहा जाता है कि ईसा पूर्व 323 में सिकंदर के शव को बेबीलोन से मैसेडोनिया (करीब 1800 मील की दूरी) पहुंचाने के लिए उसे शहद की बाल्टी में डुबोकर रखा गया था.
आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसके बारे में गजब जानकारी
भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में शहद की खोजपरक जानकारी व गुणों का विस्तार से वर्णन है. यह सभी ग्रंथ 2000 साल पहले लिखे गए थे. वाग्भट्ट के 'अष्टांगहृदयम्' ग्रंथ में शहद का उपयोग घाव को साफ करने व भरने के लिए किया जाता है. यह विभिन्न आंतरिक व बाहरी संक्रमणों के खिलाफ भी उपयोगी है. 'चरकसंहिता' व 'सुश्रतसंहिता' में आठ प्रकार के शहद की जानकारी व उनके गुण बताए गए हैं. ऐसी जानकारी विश्व के किसी भी ग्रंथ या किताब में उपलब्ध नहीं है. इन शहदों के नाम मक्षिकम, भ्रामाराम, क्षौद्रम, पौथिकम, चतरम आदि हैं. इनके गुण के साथ-साथ यह भी बताया गया है कि यह किस रोग में लाभकारी हैं. हैरानी की बात यह है कि इनमें क्षोद्रम शहद को मधुमेह के उपचार में लाभकारी माना गया है. इन ग्रंथों के अनुसार शहद वात कफ रोग का इलाज करता है. नेत्र रोगों, बवासीर, अस्थमा, खांसी और तपेदिक में लाभकारी है. रक्त संबंधी बीमारियां दूर करता है और तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है. आंतों को ठीक करता है और अपच को दूर रखता है. शहद पोषण से भरपूर है. यह शरीर का विष भी रोकता है. ग्रंथों के अनुसार शहद को गर्म कर खाना निषिद्ध है और ऐसा करने पर कभी-कभी यह विष में भी बदल सकता है.
पुराना शहद कब्ज के मोटापे से बचाता है
मनुष्य के लिए शहद आज भी लाभकारी है. इसकी खेती होनी लगी है, इसलिए यह सुलभ भी है. फूड एक्सपर्ट व न्यूट्रिशियन कंसलटेंट नीलांजना सिंह के अनुसार शहद तो अमृत समान है और इसमें कई तरह के विटामिन्स, मिनरल्स व अमीनो तो पाए ही जाते हैं, यह एंटीऑक्सीडेंट भी है. इसे गर्म करने से नुकसान हो सकता है. पुराना शहद कब्ज, चर्बी और मोटापा नष्ट करने वाला होता है. शहद में मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण तमाम तरह की बीमारियों से बचाते हैं. सुबह के वक्त इसका नियमित सेवन बहुत ही लाभकारी है. शहद त्वचा को नमी प्रदान कर उसे मुलायम बनाता है और क्षतिग्रस्त त्वचा का पुनः निर्माण कर घावों को भरता है.
गरम शहद का सेवन न करें तो बेहतर है
उनका कहना है कि शहद में ऐसे गुण होते हैं जो जमे हुए कफ को टुकड़ों में बाहर निकाल देते हैं. पेट में जो भोजन पच नहीं पाता, उससे जो विषाक्तता पैदा होती है, शहद उन्हें बाहर निकालने में मदद करता है. बड़ी विशेषता यह भी है कि शहद जठराग्नि को बढ़ाता है, जिससे भोजन आसानी से पचता है. साथ ही इसमें मौजूद पोषक तत्व भी शरीर को परेशान नहीं करते.
अगर लूज मोशन हो रहे हैं तो इसका सेवन फायदा पहुंचाता है. यह वायु प्रदूषण से भी शरीर को बचाता है. विशेष बात यह है कि आयुर्वेद में गर्म शहद खासा हानिकारक माना गया है, लेकिन आजकल चाइनीज व कॉन्टिनेंटल भोजन में गर्म शहद का प्रयोग खूब हो रहा है. हमारा मानना है कि गर्म से परहेज ही बेहतर है.
Tara Tandi
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