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नींद की कमी के कारण युवाओं में बढ़ रही हाई बीपी की समस्या
खराब जीवनशैली की आदतें, मोटापा, नींद की कमी के अलावा जंक और प्रोसेस्ड फूड का सेवन युवाओं के साथ ही किशोरों में भी रक्तचाप (BP) के महत्वपूर्ण कारण हैं. यह प्रमुख चिकित्सक डॉ. वी. जगदीश कुमार का कहना है. सिकंदराबाद के केआईएमएस हॉस्पिटल के सलाहकार चिकित्सक का कहना है कि 'लो-बीपी' नाम की कोई बीमारी नहीं है. उनका तर्क है कि अगर किसी व्यक्ति में बहुत ज्यादा पानी की कमी है तो उसका बीपी कम हो सकता है. लेकिन, 'लो-बीपी' नामक बीमारी की कोई चिकित्सीय परिभाषा नहीं है.रक्तचाप रक्त वाहिकाओं की दीवारों पर रक्त के स्तंभ द्वारा लगाए गए दबाव की डिग्री है. चूंकि हमारा पूरा शरीर और अंग तंत्र विभिन्न क्षमताओं की रक्त वाहिकाओं से भरा हुआ है, रक्तचाप जितना अधिक होगा और अवधि लंबी होगी, रक्त वाहिकाओं को नुकसान होगा, संरचनात्मक और कार्यात्मक रूप से विभिन्न अंग संरचनाओं से संबंधित विभिन्न समस्याएं पैदा होंगी.इस स्थिति में बीपी, जो असामान्य रूप से बढ़ा हुआ होता है, उन वाहिकाओं और अंगों को नुकसान पहुंचाता है, जिन्हें लंबे समय तक पहचाना नहीं जाता है. जब तक क्षति बड़ी ना हो, जैसे हार्ट स्ट्रोक, ब्रेन स्ट्रोक, लॉस ऑफ विजन या किडनी फेल्योर। यही कारण है कि बीपी को साइलेंट किलर कहा जाता है. क्योंकि किसी भी बुखार या संक्रमण की तरह इसके कोई लक्षण नहीं होते हैं, जिन्हें पहचाना जा सके.