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लाइफ स्टाइल
अल्सर को रोकने में मददगार हैं हरी मिर्च, जानिए इसके फायदे
Tara Tandi
17 Jun 2022 12:32 PM GMT
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भारतीय भोजन में कुछ ऐसे मसाले और अवयव हैं, जिनसे स्वाद पैदा होता है और भोजन को रंगत भी मिलती है. इनमें एक हरी मिर्च (सूखने के बाद लाल मिर्च) भी शामिल है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारतीय भोजन में कुछ ऐसे मसाले और अवयव हैं, जिनसे स्वाद पैदा होता है और भोजन को रंगत भी मिलती है. इनमें एक हरी मिर्च (सूखने के बाद लाल मिर्च) भी शामिल है. इसका तीखापन (तिक्त या कटु स्वाद) भोजन के साथ-साथ शरीर के लिए भी लाभकारी है. इसके कुछ गुण खास हैं. हरी मिर्च विदेशी पौधा है, जिसने 700 साल पूर्व ही भारत में प्रवेश किया है. फिर सवाल यह है कि पुराने समय में भारतीय भोजन में तीखापन कहां से आता था. बड़ी बात यह भी है कि प्राचीन भारत में रसों (स्वाद) को लेकर बहुत ही विस्तार से वर्णन किया गया है.
हरी मिर्च का इतिहास बहुत ही पुराना है. ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी (अमेरिका) स्थित वनस्पति विज्ञान व प्लांट पैथोलॉजी विभाग की प्रोफेसर सुषमा नैथानी ने अपने रिसर्च में फसलों के उत्पत्ति केंद्रों (भूमिक्षेत्र) की विस्तार से जानकारी दी है.
मेक्सिको में हुई है हरी मिर्च की उत्पत्ति
प्रोफेसर सुषमा नैथानी का कहना है कि हरी मिर्च की उत्पत्ति भूभाग केंद्र मेक्सिको व मिजो है और वहां यह 5 हजार ईसा पूर्व से उगाई जा रही है. मेक्सिकन लोग अपने भोजन व मसालों में इसका प्रयोग करते थे. कहते हैं कि मिर्च का परिचय बाकी दुनिया से तब हुआ जब समुद्री नाविक व खोजकर्ता क्रिस्टोफर कोलंबस (जीवन-काल वर्ष 1451-1506) समुद्री मार्ग से भारत की खोज करते हुए अमेरिका पहुंच गया. वहां से यह हरी मिर्च बाकी यूरोपीय देशों में पहुंची और भोजन के लिए जरूरी मसाला बन गई.
पेंच यह है कि हरी मिर्च के मेक्सिको से अमेरिका पहुंचने के बीच हजारों साल में मिर्च का क्या हुआ? क्या वह इतने सालों में मेक्सिको में ही रही. दूसरी बात यह है कि कोलंबस समुद्री नाविक व खोजकर्ता था, व्यापारी नहीं. तीसरी बात यह भी है कि कोलंबस के बारे में अभी तक पुख्ता जानकारी नहीं है कि वह स्पेन, पुर्तगाल, इटली में से किस देश का निवासी था, इसलिए उसके साथ हरी मिर्च का संबंध सवाल खड़े करता है?
वास्को डी गामा हरी मिर्च लाया
अब बात करते हैं हरी मिर्च के भारत में पहुंचने और यहां के भोजन में जरूरी अवयव बनने की. रिपोर्ट कहती हैं कि पुर्तगाली सौदागर वास्को डी गामा (जीवन-काल वर्ष 1460-1524) भारत में जब काली मिर्च लेने आया था, तब वह हरी मिर्च लेकर दक्षिण भारत के तट पर पहुंचा था. इसके बाद भारत में हरी मिर्च का सफर शानदार रहा है. आज भारत हरी मिर्च (लाल मिर्च) को अमेरिका, जर्मनी, कनाडा, ब्रिटेन, सऊदी अरब, जर्मनी व अन्य देशों को बेचता है. दुनिया में मिर्च का जितना भी उत्पादन होता है, उसमें 25 प्रतिशत हिस्सेदारी भारत की है.
हरी मिर्च से पहले थे कई तीखे मसाले
अब बड़ा प्रश्न यह है कि हरी मिर्च (कटु-तीखा स्वाद) के भारत में आने से पहले क्या इस देश का भोजन 'नीरस' था? सवाल इसलिए भी बनता है कि हजारों साल पूर्व भारत के रसायन शास्त्र व प्राचीन ग्रंथों में छह रसों (स्वाद) जैसे मधुर (मीठा), अम्ल (खट्टा), लवण (खारा), कटु (तीखा), तिक्त (कड़वा) व कषाय (कसैला) की विस्तार से जानकारी दी गई है. इनमें कटु स्वाद हरी मिर्च से ही पैदा होता है. इसका अर्थ यही है कि तीखा स्वाद उत्पन्न करने वाले तत्व भारत में हजारों वर्षों से विद्यमान थे. इस विषय पर आयुर्वेदिक ग्रंथों को खंगाला गया तो वहां पर गण्डीर, गंधतृण, काली मिर्च, पिप्पली, कालशाक आदि ऐसे मसाले व शाक थे, जिनसे तीखापन पैदा होता था और यह भोजन के अंग थे. इसलिए हम कह सकते हैं हरी मिर्च का भारत में आना बस इतना ही है कि इस देश को तीखेपन का एक और अवयव मिल गया.
हरी और लाल दोनों हैं उपयोगी
वैसे हरी मिर्च के गुणों की बात करें तो वह लाजवाब हैं. मिर्च अपने तीखे स्वभाव के कारण जानी जाती है, यह कटु रस और लार निकलने वाले द्रव्यों में प्रधान है. कच्ची अवस्था में इसके हरे फलों का उपयोग अचार और शाक बनाने में होता है, और पके और सुखाई गई अवस्था में मसाले के लिए उपयोग में लाई जाती है. मिर्च में कई औषधीय गुण होते हैं, जैसे पाचन को उत्तेजित करना और दर्द को दूर करने के लिए एक प्राकृतिक दर्द निवारक मसाला.
मोटापे से बचना है तो हरी मिर्च खाएं
फूड एक्सपर्ट व न्यूट्रिशियन कंसलटेंट नीलांजना सिंह के अनुसार भोजन के साथ रोजाना हरी मिर्च का सेवन शरीर के अनावश्यक फैट को बर्न करने में सहायक होता है. इसमें बहुत कम कैलोरी होती है, जो मोटापे को बढ़ने नहीं देती है. हरी मिर्च में विटामिन सी और बीटा-कैरोटीन काफी मात्रा में होता है जो आंखों के लिए लाभकारी है. इसमें पाया जाने वाला पोटैशियम हृदय गति व ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है और धमनियों को कठोर होने ये बचाता है. इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं, जो शरीर को संक्रमण से बचाते हैं.
हरी मिर्च में फाइबर भी होता है जो भोजन को पचान में मदद करता है. ज्यादा हरी मिर्च के सेवन से कुछ नुकसान भी हैं, जैसे यह पेट में गर्मी बढ़ा देती है, जिससे जी मितलाने और दर्द हो सकता है. इसका ज्यादा सेवन स्किन में एलर्जी पैदा कर सकता है. ज्यादा हरी मिर्च खाने से मुंह में जलन हो सकती है और इसका तीखापन जीभ की संवेदनशीलता को प्रभावित कर सकता है.
Tara Tandi
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