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क्या आपने भी पाल रखें हैं जानवर, सावधान स्वस्थ कुत्ते-बिल्लियों से मिलेगा सुपरबग
हाल ही में हुए एक शोध से सामने आया है कि पालतू जानवरों से इंसानों में सुपर बग फैलता है,जिससे मौत भी हो सकती है। आजकल हर दूसरे घर में कोई न कोई पालतू जानवर देखने को मिल जाता है, विशेष रूप से कुत्ते और बिल्लियाँ। इन जानवरों से न सिर्फ आप अपितु आपके कॉलोनी के रहवासी बच्चे भी इन जानवरों के साथ खेलने की जिद करते हुए मिल जाते हैं। यही लव और अफेक्शन जानवरों को आपके पूरे घर में उछलने-कूदने की छूट देता है। इन्हें इस तरह से घर और बाहर उछलकूद करते हुए देखकर आप बहुत खुश होते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि आपके यही पालतू जानवर आपको बहुत ही खतरनाक सुपरबग से संक्रमित कर सकते हैं। यहां तक कि इन सुपरबग की वजह से आपकी जान भी जा सकती है। नहीं जानते तो जान लीजिए। आपके लिए यह पूरी जानकारी बहुत ही जरूरी है।
अगर आपको लग रहा है कि बीमार पालतू जानवरों से ऐसा सुपरबग आप तक पहुंच सकता है, तो आप गलत हैं। स्वस्थ कुत्ते और बिल्लियों से उनके साथ रहने वाले इंसानों में मल्टीड्रग रेजिस्टेंट ऑर्गेनिज्म पास हो सकते हैं। यही नहीं एक ताजा शोध के अनुसार इंसान भी अपने पालतू जानवरों को मल्टीड्रग रेजिस्टेंट ऑर्गेनिज्म पास कर सकते हैं। मल्टीड्रग रेजिस्टेंट ऑर्गेनिज्म ऐसे बैक्टीरिया होते हैं, जो एक से ज्यादा एंटीबायटिक के इलाज के खिलाफ प्रतिक्रिया दे सकते हैं और एंटीबायोटिक के बावजूद सर्वाइव कर सकते हैं।
जर्मनी में चैरिट यूनिवर्सिटी अस्पताल बर्लिन के कैरोलिन हैकमेन ने कहा, हमारे शोध के परिणामों के अनुसार इंसानों और उनके साथ रहने वाले पालतू जानवरों के बीच मल्टीड्रग रेजिस्टेंट ऑर्गेनिज्म ट्रेवेल कर सकते है। उन्होंने कहा, हालांकि, सिर्फ कुछ ही मामलों की पहचान हुई है, जिसमें न तो बिल्ली और न ही कुत्ते के मालिकों में मौजूद मल्टीड्रग रेजिस्टेंट ऑर्गेनिज्म अस्पताल में भर्ती मरीज को संक्रमित करते हैं।
बैक्टीरिया और वायरस कैसे बनते हैं ड्रग रेजिस्टेंट
पालतू जानवर मल्टीड्रग रेजिस्टेंट ऑर्गेनिज्म के लिहाज से रिजर्वेयर यानी उनका घर साबित हो सकते हैं और यही दुनियाभर के लोगों के लिए चिंता का विषय है। एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस तब पनपती है, जब माइक्रोब्स यानी बैक्टीरिया, वायरस और फंगस को मारने के लिए बनी दवाएं उन पर कोई असर नहीं दिखाती हैं या यह माइक्रोब्स उनके खिलाफ अपनी रेजिस्टेंस विकसित कर लेते हैं।
अपने शोध में शोधार्थी इस बात का पता लगाना चाहते थे कि अस्पताल के मरीज में कुत्ते-बिल्ली जैसे पालतू जानवर मल्टीड्रग रेजिस्टेंट इंफेक्शन में कोई भूमिका निभाते हैं या नहीं। अस्पतालों में भर्ती मरीजों में सबसे आम सुपरबग जो पाया जाता है उसका नाम मेथिसिलिन रेजिस्टेंट स्टैफिलोकोकस औरेयस, वैनकोमाइसिन रेजिस्टेंट एंटेरोकोक्की, थर्ड जेनरेशन सेफालोस्पोरिन रेजिस्टेंट एंटरोबैक्टेरल्स और कार्बापेनेम रेजिस्टेंट एंटेरोबैक्टेरल्स हैं। यह सभी सुपरबग पेनिसिलिन और सेफालोस्पोरिन्स सही मल्टीपल एंटीबायोटिक्स के प्रति रेजिस्टेंट हैं।
जून 2019 से सितंबर 2022 के बीच चेरिट यूनिवर्सिटी अस्पताल में भर्ती 2,891 मरीजों के नाक और गुदा स्वैब लिए गए थे। इनमें से 1,184 मरीज ऐसे थे, जो पहले से ही संक्रमित थे और 1,707 नए भर्ती लोग थे जिनके घरों में पालतू कुत्ते और बिल्लियां थीं। अस्पताल में भर्ती 30 फीसद लोग मल्टीड्रग रेजिस्टेंट ऑर्गेनिज्म से पॉजिटिव पाए गए। जिन लोगों में मल्टीड्रग रेजिस्टेंट ऑर्गेनिज्म पाए गए उनमें से 11 फीसदी ने घर में कुत्ता पाला हुआ था, जबकि 9 प्रतिशत के घर में बिल्लियां थीं।
पालतू जानवरों का भी किया गया टेस्ट
यही नहीं, 400 पालतू जानवरों के थ्रोट और स्टूल स्वैब सैंपल का भी टेस्ट किया गया। इनमें से 15 प्रतिशत कुत्ते और 5 फीसद बिल्लियां मल्टीड्रग रेजिस्टेंट ऑर्गेनिज्म से पॉजिटिव पाए गए। हालांकि, इस स्टडी में अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके पालतू जानवरों के बीच सुपरबग शेयरिंग का स्तर काफी कम पाया गया। इनके कैरियर महीनों तक एनवायरमेंट में बैक्टीरिया फैला सकते हैं और यह अस्पताल में मौजूद अन्य ऐसे लोगों को संक्रमित कर सकते हैं जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है।
Ashwandewangan
प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।