लाइफ स्टाइल

गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर को न करें नजरअंदाज

Bhumika Sahu
24 Jun 2022 7:57 AM GMT
ब्लड प्रेशर को न करें नजरअंदाज

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मां बनना हर महिला का सपना होता है। शिशु जो शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हो। उसे जन्म देना मां का सौभाग्य होता है, लेकिन वर्तमान समय में एक स्वस्थ शिशु को जन्म देने के लिए बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आजकल परिवेश बदल चुका है। महिलाएं घरेलू कामों के अतिरिक्त बाहर भी काम करने लगी हैं और खानपान भी पहले जैसे नहीं रहा जिससे प्रेग्‍नेंसी में कई तरह की समस्याएं आने लगी हैं। इन समस्याओं में सबसे अधिक होने वाली परेशानी ब्लड प्रेशर की है जो कि लगभग 10 महिलाओं में से 8 महिलाओं में देखी जाती है। कुछ महिलाओं में हाइपरटेंशन या हाइपोटेंशन की भी समस्या होती है। यह सामान्य समस्या नहीं है बल्कि इससे महिलाओं को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। जैसे कि सिजेरियन डिलीवरी, प्रीमैच्योर डिलीवरी, लो बर्थ वेट जैसी परेशानी मां और बच्चे को हो सकती हैं।

प्रेग्‍नेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर की समस्या दो प्रकार की होती है – क्रॉनिक ब्लड प्रेशर और जेस्टेशनल ब्लड प्रेशर। इन दोनों प्रकार के ब्लड प्रेशर प्रेग्‍नेंसी को प्रभावित जरूर करते हैं, लेकिन क्रॉनिक ब्लड प्रेशर में प्रेग्‍नेंसी के पहले या फिर प्रेग्नेंसी के 20 सप्ताह पूर्व ही ब्लड प्रेशर 140/ 90 एमएम एचजी होता है जबकि जेस्टेशनल ब्लड प्रेशर प्रेग्‍नेंसी के 20 सप्ताह के बाद हाई ब्लड प्रेशर होने पर होता है, हालांकि यह डिलीवरी के बाद ठीक हो जाता है।
​बीपी के लक्षण
जिन महिलाओं को जेस्टेशनल ब्लड प्रेशर की प्रॉब्लम है उन्हें ब्लड प्रेशर के दौरान शरीर में सूजन, नींद का बार-बार टूटना, वेट बढ़ जाने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हालांकि, प्रेग्‍नेंसी के दौरान वजन बढ़ने की स्थिति होती है लेकिन ब्लड प्रेशर के कारण से वेट एकाएक अधिक बढ़ जाता है। इसी प्रकार क्रॉनिक ब्लड प्रेशर से प्रभावित प्रेग्नेंट महिलाओं में ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर से उन्हें भी नींद में दिक्कत होना, सिरदर्द, चक्कर आने जैसी समस्याएं बनी रहती हैं।
​ब्‍लड प्रेशर को नियंत्रण करने के उपाय
सप्ताह में लगभग 3 दिन ब्लड प्रेशर चेक करना चाहिए। जिन महिलाओं को प्रेग्‍नेंसी में ब्लड प्रेशर की समस्या है, उन्हें सप्ताह में 3 दिन ब्लड प्रेशर को चेक करना जरूरी होता है, ताकि ब्लड प्रेशर की स्थिति सामान्य बनी रहे। ब्लड प्रेशर की स्थिति बॉडी में 140/90 एमएमएचजी होना चाहिए। हालांकि, दो पॉइंट बढ़ने या घटने पर शरीर प्रभावित नहीं होता है, लेकिन ब्लड प्रेशर में 10 या 20 पॉइंट का अंतर होगा तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
​डाइट
ब्लड प्रेशर से प्रभावित प्रेग्नेंट महिलाओं को अपनी डाइट का ख्याल रखना चाहिए। जैसे कि सफेद नमक की जगह गुलाबी नमक, सेंधा नमक या रॉक साल्ट का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा उन फल-सब्जियों का उपयोग अधिक से अधिक करना चाहिए जिनमें की अलग-अलग तरह के विटामिन, मिनरल्स, आयरन अधिक मात्रा हो। अपने भोजन में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम कर विटामिंस, मिनरल्स इत्यादि की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। पर्याप्त मात्रा में पानी और लिक्विड भोज्य पदार्थ लेना चाहिए। चाय, कॉफी या कैफीन युक्त पदार्थों से दूरी बनाना चाहिए।
​डॉक्टर के संपर्क में बने रहना
प्रेग्‍नेंसी के दौरान होने वाले ब्लड प्रेशर की समस्याओं को कम करने में डॉक्टरों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयों का सही तरीके से और दवाइयों का रेगुलर उपयोग करना आवश्यक होता है, क्योंकि इनका उपयोग असामान्य तरीके से करने से ब्लड प्रेशर की संभावनाएं बढ़ सकती हैं। अगर प्रेग्नेंट महिला को अपने शरीर में हाइपरटेंशन या हाइपोटेंशन के लक्षण दिखे तो तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें ताकि शिशु का गर्भ में सही तरीके से विकास हो सके और प्रेग्‍नेंसी के दौरान होने वाली ब्लड प्रेशर की स्थिति भी सामान्य बनी रहे।


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