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अलसी के सेवन से
अलसी के बीज मनुष्य द्वारा खाये जाने वाले सबसे पुराने खाद्य पदार्थों में से एक हैं। आज अलसी पूरे विश्व में विभिन्न प्रकार के व्यंजनों को बनाने के लिए इस्तेमाल की जाती है। इसका अखरोट जैसा स्वाद और सुगंध बहुत सारे लागों द्वारा पसंद किया जाता है। अलसी के बीज की लोकप्रियता के पीछे का कारण इसके पोषक एवं कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने वाले तत्व भी हैं। अलसी का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद है। इसमें ओमे-3 एसिड पाया जाता है, जो कि दिल के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। एक चम्मच अलसी में 1।8 ग्राम ओमेगा-3 पाया जाता है। अलसी के बीज लस मुक्त भी होते हैं, तो यदि आपको गेहूं से एलर्जी हैं, तो अलसी के बीज आपके लिए एक मूल्यवान विकल्प हैं। अलसी अमृत के सामान गुणों वाली है, आइये जानते हैं इसके गुणों के बारे में।
एक अध्ययन से यह बात साबित हो चुकी है कि अलसी के सेवन से ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और कोलोन कैंसर से बचाव करता है। इसमें पाया जाने वाला लिगनन हार्माेन के प्रति संवेदनशील होता है।
भूरे-काले रंग के यह छोटे छोटे बीज, हृदय रोगों से आपकी रक्षा करते हैं। इसमें उपस्थित घुलनशील फाइबर्स, प्राकृतिक रूप से आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने का काम करता है। इससे हृदय की धमनियों में जमा कोलेस्ट्रॉल घटने लगता है, और रक्त प्रवाह बेहतर होता है, नतीजतन हार्ट अटैक की संभावना नहीं के बराबर होती है।
अलसी के बीज में उपस्थित तीन मुख्य तत्व – ओमेगा -3 फैटी एसिड, फाइबर और लिगनन वजन कम करने में सहायक हैं। स्वस्थ वसा और फाइबर आपकी भूख को दबाने और आपके पेट को लंबी अवधि के लिए संतुष्ट एवं भरा हुआ रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा, अलसी विटामिन बी, पोटेशियम, मैग्नीशियम और जस्ता से भी भरपूर है, जो वजन घटाने में सहायक है।
अलसी में ओमेगा-3 भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो रक्त का थक्का बनने या उसे जमने से रोेकता है। क्योंकि रक्त का थक्का बनने से रक्त के प्रवाह में बाधा आती है और अटैक की संभवना बनती है ।अलसी इस संभावन को समाप्त करती है।
अलसी का सेवन मधुमेह के स्तर को नियंत्रित रखता है। अमेरिका में डायबिटीज से ग्रस्त लोगों पर रिसर्च से यह सामने आया है कि अलसी में मौजूद लिगनन को लेने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है।
अलसी के बीज फाइबर से निहित होते हैं जो स्वस्थ पाचन तंत्र के लिए आवश्यक हैं। यह आंतों के माध्यम से भोजन को जाने में मदद करते हैं। इसके अलावा जठरांत्र (gastrointestinal) स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं।
अलसी के बीजों का मिक्सी में तैयार किया गया दरदरा चूर्ण 15 ग्राम, मुलेठी पांच ग्राम, मिश्री 20 ग्राम, आधे नींबू के रस को उबलते हुए 300 ग्राम पानी में डालकर बर्तन को ढक दें। इस रस को तीन घंटे बाद छानकर पिएं। इससे गले व श्वास नली में जमा कफ पिघल कर बाहर निकल जाएगा।
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