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इन टिप्स को अपनाकर बढ़ा सकते है अपने शरीर में हैप्पी हॉर्मोन

Admin4
25 Feb 2021 3:52 PM GMT
इन टिप्स को अपनाकर बढ़ा सकते है अपने शरीर में हैप्पी हॉर्मोन
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सेरोटोनिन मस्तिष्क में पाया जाने वाला एक ऐसा तत्व है, जो मूड, खुशी और चिंता को नियंत्रित करता है। इसे हैप्पी हार्मोन भी कहा जाता है

जनता से रिश्ता वेबडेसक | सेरोटोनिन मस्तिष्क में पाया जाने वाला एक ऐसा तत्व है, जो मूड, खुशी और चिंता को नियंत्रित करता है। इसे हैप्पी हार्मोन भी कहा जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो सेरोटोनिन इंसान के व्यवहार में बदलाव के लिए जिम्मेदार होता है। आसान शब्दों में कहें तो मस्तिष्क से खुशी और गम दोनों ही प्रकार के हार्मोन निकलते हैं। इनसे आपका व्यवहार सुनिश्चित होता है। इसके लिए सेरोटोनिन को महत्वपूर्ण हार्मोन माना जाता है। इस हार्मोन से न केवल दिमाग, बल्कि पूरा शरीर कंट्रोल में रहता है। मानसिक रूप से सेहतमंद रहने में सेरोटोनिन अहम भूमिका निभाता है। हालांकि, सेरोटोनिन के कम अथवा अधिक रहने से सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसके लिए शरीर में संतुलित मात्रा में सेरोटोनिन रहना चाहिए। कम मात्रा में रहने से व्यक्ति तनाव में जीने लगता है। वहीं, अधिक मात्रा में रहने से रक्तचाप बढ़ जाता है। अगर आप भी सेरोटोनिन को कंट्रोल में रखना चाहते हैं, तो इन टिप्स को जरूर अपनाएं-

एक्सरसाइज करें
एक्सरसाइज करने से शरीर में ट्रिप्टोफन रिलीज होता है। इससे दिमाग को एनर्जी मिलती है। इसके लिए आप एरोबिक और जुंबा एक्सरसाइज कर सकते हैं। वर्कआउट करने से हैप्पी हार्मोन रिलीज होता है।
धूप सेंके
धूप सेंकने से शरीर में सेरोटोनिन बढ़ता है। इससे मन-मस्तिष्क सुचारू रूप से काम करता है। इसके लिए रोजाना 30 मिनट धूप में बैठें। अगर आप इस टिप को अपनाते हैं, तो आप तनाव से छुटकारा पा सकते हैं।
संतुलित आहार लें
भोजन से सेरोटोनिन प्राप्त करना बेहद मुश्किल होता है। इसके लिए अपनी डाइट में ट्रिप्टोफन फूडस् ब्राउन राइस, दूध पनीर, व्हाइट ब्रेड और अनानास को जोड़ सकते हैं। इससे हैप्पी हार्मोन बढ़ता है।
मेडिटेशन करें
मेडिटेशन करने से मन और मस्तिष्क शांत रहता है। इससे आप आराम महसूस करते हैं और आपका मस्तिष्क अच्छे से काम करने लगता है। इससे सेरोटोनिन लेवल भी बढ़ता है और आप अंदर ही अंदर खुश रहते हैं।
डिस्क्लेमर: स्टोरी के टिप्स और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।


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