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अपने बच्चे के स्वस्थ्य का ध्यान रखना हर एक माता-पिता की जिम्मेदारी है और नवजात शिशु को संभालना बड़ी जिम्मेदारी और सावधानी का काम है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अपने बच्चे के स्वस्थ्य का ध्यान रखना हर एक माता-पिता की जिम्मेदारी है और नवजात शिशु को संभालना बड़ी जिम्मेदारी और सावधानी का काम है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आप कैसे अपने नवजात शिशु की देखभाल बेहतर तरीके से कर सकते हैं। अगर आप भी अपने बच्चे का स्वस्थ जीवन चाहते हैं तो इन बातों का खास ध्यान रखें।
नवजात को किसी भी तरह का झटका लगने से बचाएं: नवजात को कभी भी जोर से हिलाए या झकझोरे नहीं। एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि ऐसा करने पर बच्चों पर SIDS (Sudden Infant Death Syndrome) का खतरा बढ़ जाता है। इससे बच्चे के सिर में खून रिसने लगता है और जिससे उसकी मौत भी हो सकती है। वहीं अगर आप बच्चे को नींद से जगाना चाहते हैं तो बेहतर तरीका यह है कि आप उसके पैर में हल्की चिकोटी काटें।
स्तनपान कराने का तरीका (breastfeeding): सिर्फ मां का दूध ही नवजात के लिए सबसे अच्छा आहार होता है। प्रसव के तुरंत बाद मां का दूध पीलेपन वाला और गाढ़ा होता है और यह बच्चे की इम्यूनिटी को बढ़ाता है। वहीं स्तनपान के लिए शिशु और मां का सही पोजिशन में होना जरुरी है।
मां दोनों बाजुओं में शिशु को उठाकर उसके पूरे शरीर को अपनी ओर करें। इसके बाद स्तनपान कराएं। स्तनपान कराते समय एक बात का ध्यान जरूर रखें। बच्चे को बहुत जोर से अपनी छाती पर न लगाएं। ऐसा करने से उसका दम घुट सकता है। बच्चा स्तनपान करते समय नाक से ही सांस लेता और छोड़ता है क्योंकि उसका मुंह बंद रहता है। ऐसे में उसकी नाक के छेद बंद नहीं होने चाहिए वरना उसे सांस लेने में तकलीफ होगी।
खान-पान: अगर नवजात की मां को दूध नहीं आता तो वह बच्चे को बेबी फूड खिलाएं लेकिन किसी भी हाल में कोई भी ठोस खाने की चीज गलती से भी बच्चे के मुंह में न डाले। बच्चे के 6 महीने का होने तक उसे पानी भी न पिलाएं। 6 महीने का होने तक ठोस खाना या पानी देने से बच्चे की तबीयत बिगड़ सकती है जिससे उसकी जान पर भी खतरा बन सकता है। इसके अलाव नवजात को अगर उसकी मां स्तनपान करा रही है तो मां भी अपने खान-पान का ध्यान रखें। मां जो खाती है वहीं नवजात को स्तनपान के जरिए मिलता है। एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि अगर मां खाने में करेला खाती है तो हो सकता है उसके बच्चे को स्तनपान के समय दूध कड़वा लगे। अगर आप स्तनपान करा रहीं है तो कुछ भी उल्टा-सीधा न खाएं। दाल का सेवन ज्यादा करें और पोषक आहार खाएं।
नवात शिशु को संभालने का तरीका: नवजात शिशु बहुत ही नाजुक और कोमल होते हैं। इसलिए उन्हें संभालने के लिए बहुत सावधानी और सही तरीका बरतना चाहिए। इसके लिए नवजात को गोद में उठाने से पहले हाथ को एंटी-सेप्टिक सेनेटाइजर लिक्विड से अच्छी तरह धो लें ताकि बच्चे को कोई संक्रमण का खतरा न हो।
साफ सफाई का ध्यान रखना जरूरी है। किसी नवजात का इम्यूनिटी सिस्टम किसी बड़े के मुकाबले कमजोर होता है। बच्चों की हड्डियां भी बहुत नाजुक होती हैं इसलिए बच्चे को उठाते समय उसके सिर और गर्दन को ठीक से पकड़े और सपोर्ट दें। नवजात अपनी बॉडी की कई गतिविधियों को खुद नहीं संभाल सकते ऐसे में उन्हें सहारे की जरूरत होती है। जब तक बच्चा गोद में रहे उसके मूवमेंट पर पूरा ध्यान बनाकर रखें और उसके हिसाब से पोशिशन चेंज करें।
सुलाने के वक्त रखें इन बातों का ध्यान: नवजात को नर्म और गर्म कपड़े में लपेट कर ही रखना जरूरी है। इससे बच्चा काफी सुरक्षित महसूस करता है और यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि नवजात बच्चों को ठंड काफी लगती है। 0-2 महीने तक के शिशु को कपड़ों में लपेटकर ही रखें लेकिन इस बात का भी ध्यान रखिएगा कि आप नवजात को बहुत ज्यादा कपड़े भी न पहना दें। इससे उसे गर्मी भी ज्यादा लगेगी जो कि उसके दिमाग तक भी पहुंच सकती है और उसकी जान को खतरे में डाल सकती है।
नवजात 16 से 20 घंटे तक सोकर ही आराम करता है। बच्चे की ग्रोथ के लिए उसे सही नींद मिलना बहुत जरूरी होता है। इसके अलावा कोशिश यह करें कि बच्चे को बिना तकिए के सुलाएं लेकिन अगर आप उसके सिर के नीचे तकिया लगा रही हैं तो फिर वह काफी हल्का और नर्म होना चाहिए। साथ ही तकिये पर एक ही जगह पर बच्चे का सिर ज्यादा देर तक नहीं रहना चाहिए। इसके अलावा कुछ बच्चे रात भर जागते हैं और पूरा दिन सोते हैं। ऐसी स्थिति में रात के समय बच्चे को सुलाने के लिए कमरे में पूरा अंधेरा कर दें।
बोतल से दूध पिलाने का तरीका (bottel feeding): अगर आप शिशु को स्तनपान नहीं करा सकतीं तो बेबी फूड या पाउडर के दूध की बोतल से उसकी फीडिंग करें। इसमें भी आपको कई सावधानियां बरतने की जरूरत है। शिशु को पाउडर वाला दूध सही मात्रा में देना जरूरी है। दूध के डिब्बे पर लिखे गए निर्देशों को सही से पढ़ें और उसके अनुसार ही दूध दें। इसके अलावा दूध की बोतल (फीडर) फीडिंग से पहले उसे उबले पानी से धोएं। उबले पानी से साफ नहीं की गई बोतल या गलत मात्रा में दूध का पाउडर मिलाने से बच्चा बीमार हो सकता है।
हर तीन घंटे पर या भूख लगने पर शिशु को बोतल फीडिंग कराएं। भूल कर भी बोतल में बचे दूध को फ्रीज में न रखें और उसी दूध को दोबारा न पिलाएं। हर बार ताजा बना हुआ दूध ही बच्चे को पिलाएं। शिशु को बोतल से दूध हमेशा 45 डिग्री के कोण में रख कर पिलाएं। ध्यान रहे बोतल खाली होने पर बच्चा हवा तो नहीं चूस रहा है।
इन परिस्थितियों में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें: अगर आपका शिशु काफी देर तक स्तनपान कर रहा है तो वो पूरे दिन में 6 से 8 बार डायपर गीला कर सकता है और इसकी वजह पेट में कोई गड़बड़ हो सकती है। मगर आपको किस समय डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है यह जानना जरूरी है। अगर बच्चा चार बार से ज्यादा डाइपर गीला करता है तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं। इसके अलावा नवजात और निमोनिया जैसी बीमारियों की चपेट में आसानी से आ जाते हैं। अगर आप बच्चे को एक सीमा से ज्यादा रोता हुआ देखें तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
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