जरा हटके

ये गांव काफी महीनों तक रहता था अंधेरे में, फिर बनाया खुद का सूरज

Gulabi
3 Nov 2021 3:28 PM GMT
ये गांव काफी महीनों तक रहता था अंधेरे में, फिर बनाया खुद का सूरज
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दुनिया के हर कोने में सूरज की रौशनी देखने को मिलती है, लेकिन

दुनिया के हर कोने में सूरज की रौशनी देखने को मिलती है, लेकिन कुछ हिस्से ऐसे भी हैं जहां कई महीनों तक सूरज की रोशनी नहीं पड़ती. इस कड़ी में इटली का एक गांव है, जहां सूरज की रौशनी नहीं पहुंचती. आपको बता दें इस गांव में कभी सूरज नहीं निकलता. जिसके बाद लोगों के अपनी समस्या का हल निकाला और अपना ही एक सूरज बना लिया. हमें यकीन है आप इस बात को जानकार हैरान तो जरूर हुए होंगे, लेकिन ये सच है.


दरअसल ,यहां सूरज की रोशनी न पहुंचने पर लोगों ने जुगाड़ लगाकर अपना ही एक आर्टीफिशियल सूरज बना लिया. जी हां, आपने अब तक इंसान को साइंस एंड टेक्नोलॉजी की मदद से नकली आंख, हाथ पांव बनाते हुए सुना होगा, पर इटली के इस गांव के लोगों ने अपना सूरज ही बना लिया.

इटली का विगल्लेना (Viganella ) गांव चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा हुआ है, जिसकी वजह से सूरज की रोशनी गांव के अंदर तक पहुंच नहीं पाती. यह गांव मिलान के उत्तरी भाग में करीब 130 किमी नीचे बसा है. यहां करीब 200 लोग रहते हैं. यहां के लोगों ने लंबे अरसे से सूरज के दर्शन नहीं किए. नवंबर से फरवरी तक तक यहां सूरज की रोशनी की एक किरण भी नहीं पहुंचती. जिसके बाद गांव के एक आर्किटेक्ट और इंजीनियर ने गांव वालों की इस परशानी को हल करने का एक रास्ता निकाला. उन्होंने गांव के मेयर की मदद से साल 2006 में विगल्लेना गांव का अपना आर्टिफीशियल सूरज बना दिया.

गांव के लोगों ने अपने लिए खुद ही सूरज बना लिया
आर्किटेक्ट ने 1 लाख यूरो खर्च कर 40 वर्ग किलोमीटर का शीशा खरीदा और उसे पहाड़ की चोटी पर लगवा दिया. ये सीशा कुछ इस तरह लगाया गया जिससे सूरज की रोशनी सीधे शीशे पर पड़े और वह गांव पर घूप बनकर गिरे. ये शीशा दिन में 6 घंटे लाइट रिफ्लेक्ट करता है जिससे गांव में रोशनी रहती है. ये शीशा पहाड़ की दूसरी तरफ 1,100 मीटर की ऊंचाई पर लगाया गया है. शीशे का वजन तकरीबन 1.1 टन है.

जानकारी के लिए आपको बता दें कि इसे कंप्यूटर के जरिए ऑपरेट किया जाता है. इस तरह से विगल्लेना गांव के लोगों ने अपने लिए खुद ही नया सूरज बना लिया है. शायद आपने भी पहली बार ऐसे सूरज के बारे में सुना होगा जो कुदरत ने नहीं बल्कि खुद इंसानों ने बनाया है. अपने दिमाग और लगन का सही इस्तेमाल करते हुए गांव वालों ने अपनी समस्या से निजात पाने का ये अनोखा तरीका अपनाया.


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