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Just Rights for Children Alliance की तकनीकी पहल ‘टैक्ट’ से होगी बच्चों की ट्रैफिकिंग की रोकथाम

Gulabi Jagat
30 July 2024 6:18 PM GMT
Just Rights for Children Alliance की तकनीकी पहल ‘टैक्ट’ से होगी बच्चों की ट्रैफिकिंग की रोकथाम
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New Delhi नई दिल्ली: नई दिल्ली में राष्ट्रीय परामर्श ‘ट्रैफिकिंग से मुकाबले के लिए सुरक्षित प्रवासन’ में जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस ने बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकने के लिए किया ‘टैक्ट’ तकनीक का एलान। टैक्ट पहल में ट्रैफिकिंग की रोकथाम और सुरक्षित प्रवासन के लिए सभी स्तरों पर ट्रैफिकिंग के पीड़ितों की भागीदारी पर जोर। ट्रैफिकिंग के पीड़ितों के लिए मनोवैज्ञानिक सहायता और प्रवासी मजदूरों के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर की सिफारिश। परामर्श में 16 राज्यों के 250 से ज्यादा लोगों ने भागीदारी की जिसमें ज्यादातर सीमावर्ती राज्यों के थे•परामर्श में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, राज्यों के बाल अधिकार संरक्षण आयोग, रेलवे सुरक्षा बल, पुलिस और अन्य सरकारी विभागों के अफसरों ने भी लिया हिस्सा।
ऐसे समय में जबकि पूरी दुनिया बच्चों और मनुष्यों की ट्रैफिकिंग और इसके वैश्विक रूप लेने की चुनौती से जूझ रही है, जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस ने नई दिल्ली में ट्रैफिकिंग से मुकाबले के लिए सुरक्षित प्रवासन (Safe Migration to Combat Trafficking) विषय पर एक परामर्श में ट्रैफिकिंग की चुनौती का सामना करने और सुरक्षित प्रवासन को प्रोत्साहित करने के लिए तकनीकी पहल ‘टैक्ट- टेक्नोलॉजी अगेंस्ट चाइल्ड ट्रैफिकिंग’ का एलान किया। पांच सूत्रीय इस तकनीकी पहल में विशेष जोर पीड़ितों के पुनर्वास और इस चुनौती का सामना करने के लिए हर स्तर पर ट्रैफिकिंग के पीड़ितों की भागीदारी सुनिश्चित करने और उनसे मिली सूचनाओं के आधार पर ट्रैफिकिंग गिरोहों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने पर है। इस परामर्श का आयोजन एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन ने किया जो पूरे देश में बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए काम कर रहे 180 गैरसरकारी संगठनों के गठबंधन जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस का सहयोगी संगठन है।
परामर्श में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो, रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक मनोज यादव, तेलंगाना के सीआईडी की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक शिखा गोयल, प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता और जस्ट राइट्स एलायंस के संस्थापक भुवन ऋभु, असम राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. श्यामल प्रसाद सैकिया, मध्यप्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष दविंद्र मोरे सहित सरकार के प्रतिनिधि, कानून प्रवर्तन एजेंसियां, बाल अधिकारों से जुड़े प्राधिकारी, विशेषज्ञ, प्रवासी महिला मजदूर और नागरिक समाज संगठन भी शामिल थे।
टैक्ट पहल जिन पांच अहम चीजों पर ध्यान केंद्रित करती है, वे हैं : सूचनाओं का आदान-प्रदान (ट्रैफिकिंग गिरोहों के बारे में ग्लोबल डेटाबेस बनाना और उसे साझा करना), पैसे के लेन देन (बैंकों व वित्तीय संस्थानों के जरिए किए गए अवैध भुगतान) पर नजर रखना, तकनीकी सहयोग (ट्रैफिकिंग के तकनीक आधारित रुझानों की पहचान में मदद के लिए तकनीकी कंपनियों के साथ साझेदारी), सुरक्षित प्रवासन (सुरक्षित प्रवासन के लिए वैश्विक पोर्टल को मजबूत करना और सरकारी योजनाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना) और पीड़ितों की मदद (पीड़ितों को मनोवैज्ञानिक सहायता और सलाह उपलब्ध कराना और उसे ट्रैफिकिंग गिरोहों के बारे में जानकारी हासिल करना)।
ट्रैफिकिंग के बारे में उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि मादक पदार्थों और हथियारों के अवैध धंधे के बाद यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध है। बंधुआ मजदूरी और जबरया देह व्यापार के अवैध धंधे से इन गिरोहों की सालाना अनुमानित वैश्विक कमाई 236 बिलियन डॉलर है। अनुमान है कि दुनिया में किसी भी समय कम से कम 2 करोड़ 76 लाख से ट्रैफिकिंग गिरोहों के चंगुल में फंसे होते हैं और इनमें एक तिहाई संख्या बच्चों की है।
परामर्श के उद्घाटन सत्र में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा, “भारत ने आदि काल से ही पुनर्वास का रास्ता दिखाया हैl ट्रैफिकिंग से पीड़ित बच्चों का पुनर्वास सुनिश्चित करने और उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ने में शिक्षा सबसे सबसे अहम औजार है। पिछले दस साल में हमने आधारभूत ढांचे और डिजिटल निगरानी के विकास में काफी प्रगति की है और आज हम इस स्थिति में हैं कि हम प्रतिक्षण स्थिति पर निगरानी रख सकते हैं। सुरक्षित प्रवासन और सभी बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हमें बस राज्य सरकारों के सक्रिय सहयोग की जरूरत है ताकि सभी बच्चों चाहे वे किसी भी राज्य या इलाके के हों, का स्कूलों में दाखिला कराया जा सके। ट्रैफिकिंग से पीड़ित बच्चों को मुक्त कराने और आरोपियों पर मुकदमे के अलावा समाज की भी यह जिम्मेदारी है कि ट्रैफिकिंग की रोकथाम के लिए सामूहिक कदम उठाए। यदि आप किसी महिला को किसी सरकारी योजना का लाभ उठाने में मदद करते हैं तो इस तरह आप उसके बच्चे का जीवन संवारने में भी मदद करते हैं। ट्रैफिकिंग से मुकाबले के लिए इस तरह के कदम हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।”
मौजूदा हालात में ‘टैक्ट’ जैसी पहल की जरूरत को रेखांकित करते हुए प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता और जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन एलायंस के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा, “एक भी बच्चे की ट्रैफिकिंग बहुत से अपराधों को जन्म देती है। किसी भी पीड़ित बच्चे को सहज और सामान्य बनाने की दिशा में पहले कदम के तौर पर मनोवैज्ञानिक सहायता सबसे जरूरी है। इस संगठित वैश्विक आर्थिक अपराध के खिलाफ हमारी रणनीतियों में इसके पीड़ितों को सबसे अग्रिम कतार में होना चाहिए। हमें पीड़ितों को सभी स्तरों पर इसमें भागीदार बनाना होगा क्योंकि ट्रैफिकिंग गिरोहों के बारे में पीड़ितों से ज्यादा कोई नहीं जानता जो उनके शिकार रहे हैं। इस वैश्विक संगठित और आर्थिक अपराध से लड़ने के लिए खुफिया जानकारी इकट्ठा करने, पैसे के रास्ते और प्रौद्योगिकी-संचालित तस्करी के पैटर्न की पहचान करने में उनकी भागीदारी महत्वपूर्ण है।”
प्रख्यात बाल अधिकार कार्यकर्ता भुवन ऋभु ने एक समग्र और व्यापक एंटी-ट्रैफिकिंग कानून की जरूरत पर जोर देते हुए इंटरनेट और सोशल मीडिया मंचों के जरिए ट्रैफिकिंग के उभरते रुझानों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश को ट्रैफिकिंग की रोकथाम, पीड़ितों के पुनर्वास, क्षतिपूर्ति और अपराधियों को पर मुकदमे के लिए एंटी-ट्रैफिकिंग कानून की जरूरत है।
परामर्श को संबोधित करते हुए तेलंगाना के सीआईडी विभाग की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक शिखा गोयल ने कहा, “ प्रवासन प्रगति का इंजन है और सुरक्षित प्रवासन इसकी चाभी है। प्रवासी राष्ट्र निर्माता होते हैं और उनकी गरिमा व कल्याण सुनिश्चित करना हमारी साझा जिम्मेदारी है। हालांकि इस बीच ट्रैफिकिंग के कुछ नए आयाम सामने आए हैं और हमें तत्काल इससे निपटने की आवश्यकता है। शुरुआती तौर पर प्रवासी मजदूरों के लिए एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर बनाया जा सकता है जिस पर जरूरत पड़ने पर वे मदद या सूचनाएं मांग सकें। साथ ही हमें प्रत्येक जिले, प्रत्येक राज्य में लक्षित जागरूकता की जरूरत है ताकि मजदूर अपने अधिकारों और नियोक्ता अपने कर्तव्यों के बारे में जान सकें और मजदूरों और उनके परिवार का शोषण नहीं होने पाए।”
इस परामर्श में उपस्थित अन्य प्रमुख लोगों में अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन की अंकिता सुरभि; असम राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. श्यामल प्रसाद सैकिया, तेलंगाना की महिला एवं बाल विकास की संयुक्त निदेशक जी सुनंदा, मध्यप्रदेश पुलिस के डीआईजी विनीत कपूर, हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अद्यक्ष परवीन जोशी, दिल्ली के अतिरिक्त श्रम आयुक्त एससी यादव, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के साफ निजाम, उत्तराखंड के महिला एवं बाल कल्याण विभाग के मुख्य परिवीक्षा अधिकारी मोहित चौधरी, आंध्र प्रदेश के श्रम विभाग के संयुक्त आयुक्त एसएस कुमार, मानव सेवा संस्थान के जटाशंकर और दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अजय चौधरी भी मौजूद थे।
भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक देश में 45 करोड़ लोग प्रवासी हैं और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के कड़ों के अनुसार देश में रोजाना 8 बच्चे ट्रैफिकिंग के शिकार होते हैं।
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