दिल्ली-एनसीआर

16 दिन बाद पुलिस की खुली नींद, युवक की मौत के बाद अब जाकर रिपोर्ट दर्ज

Admin Delhi 1
26 Oct 2022 9:10 AM GMT
16 दिन बाद पुलिस की खुली नींद, युवक की मौत के बाद अब जाकर रिपोर्ट दर्ज
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एनसीआर क्राइम न्यूज़: नंदग्राम थाना क्षेत्र में घर से बुलाकार जानलेवा हमले में घायल युवक की 16 दिन बाद दिवाली की रात मौत हो गई। बीते 8 अक्टूबर को बदमाशों ने लाठी और सरिया से वार कर युवक के सिर और शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर चोटें पहुंचाई थी। करीब 16 दिन तक दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में वह जिंदगी के लिए जूझता रहा, लेकिन सोमवार उसने रात दम तोड़ दिया। युवक की मौत के बाद पुलिस की नींद खुली है और मामले को लेकर रिपोर्ट दर्ज की गई है।

15 अक्टूबर को पुलिस को दी शिकायत: नूर शांति नगर के मामले में थाना नंदग्राम पुलिस को 15 अक्टूबर को पुलिस को शिकायत दे दी थी। जिसके बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। मगर जब सोमवार को युवक की मौत हो गई तो परिजनों के हंगामे के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की। पुलिस ने आनन-फानन में रिपोर्ट दर्ज की और शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा।

चंद्रभान ने बताई पूरी घटना: नूर शांति नगर में रहने वाले चंद्रभान ने बताया कि उनके छोटे बेटे मोनू को आठ अक्टूबर को कालोनी का ही रहने वाला कुलदीप बाइक पर अपने साथ ले गया था। कुछ देर बाद शाम सात बजे बाइक सवार दो युवक मोनू को बेसुध हालत में लेकर आए और घर के बाहर पड़ी चारपाई पर लिटाकर चले गए? युवक की गंभीर हालत देख स्वजनों ने उसे तुरंत पास के क्लीनिक ले गए, फिर उसे एमएमजी अस्पताल में भर्ती कराया। मोनू को गंभीर हालत में दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में रेफर कर दिया गया।

इलाज के दौरान मौत: चिकित्सकों ने बताया कि सिर में भारी चोट लगने से खून जम गया है। इसके अलावा उसके हाथ में भी फ्रैक्चर था। इलाज के दौरान कुछ देर के लिए मोनू को होश आया तो उसने बताया कि कुलदीप व उसके साथियों ने उस पर हमला किया है और उसका मोबाइल नंबर डेढ़ लाख रुपये लूट लिए हैं।

23 अक्टूबर की रात आया था होश: युवक के पिता ने बताया कि 11 अक्टूबर को मोनू के दिमाग की सर्जरी हुई, जिसके बाद से वह बेहोश था। 23 अक्टूबर की रात को उसे होश आया तो माता-पिता से बातचीत की। थोड़ा सा खाना भी खाया, लेकिन फिर अचानक बेहोश हो गया।

पुलिस को शिकायत दी, लेकिन कुछ नहीं हुआ: चंद्रभान के मुताबिक 24 अक्टूबर को तड़के चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। चंद्रभान ने बताया कि उन्होंने 15 अक्टूबर को थाना नंदग्राम में शिकायत दी थी। यहां से उन्हें मोरटा पुलिस चौकी पर भेज दिया, लेकिन चौकी कोई नहीं मिला। अस्पताल से फोन आने पर वह लौट गए। जानलेवा हमले की जानकारी मिलने के बाद भी पुलिस ने कोई तहकीकात नहीं की। न ही अस्पताल जाकर मोनू की हालत के बारे में पूछा।

पीड़ित परिजनों का पुलिस पर आरोप: आरोप है कि नंदग्राम पुलिस मिलीभगत कर कुलदीप व उसके साथियों को बचा रही है। मोनू की मौत के बाद स्वजन उसका शव घर ले आए। आसपास के लोगों ने रोष जताया और शव को मेरठ हाइवे पर रखकर जाम लगाने की बात कही, जिसके बाद पुलिस पहुंची। लोगों ने भारी विरोध जताया और शव को हाथ नहीं लगाने दिया। आसपास कई थानों की फोर्स बुलाई गई। कार्रवाई का आश्वासन दे लोगों को शांत कराया और शव का पंचनामा भरा।

कोतवाली प्रभारी का बयान: एसएचओ नंदग्राम रमेश सिंह सिद्धू का कहना है कि मामला संज्ञान में आते ही कुलदीप व उसके साथियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर ली है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर छानबीन कर आरोपितों को गिरफ्तार किया जाएगा।

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