गुप्त नवरात्रि के पहले दिन इस तरह करें मां शैलपुत्री की पूजा, घर में आएगी सुख और समृद्धि
माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गुप्त नवरात्रि प्रारंभ होती है। इस प्रकार, कल घटस्थापना है। इस दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा-उपासना की जाती है।
माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गुप्त नवरात्रि प्रारंभ होती है। इस प्रकार, कल घटस्थापना है। इस दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा-उपासना की जाती है। मां शैलपुत्री का जन्म प्रजापति दक्ष के घर हुआ है। अत: मां को शैलपुत्री कहकर पुकारा जाता है। ऐसी मान्यता है कि श्रद्धापूर्वक मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्रती के सभी मनोरथ शीघ्र सिद्ध हो जाते हैं। मां ममता का रुप हैं, जो भक्तों पर अपनी कृपा हमेशा बनाए रखती हैं। इनके मुखमंडल पर कांतिमय तेज प्रकाशित होता है, जिससे समस्त संसार में ममता फैल रही है। मां ने अपने दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं में कमल पुष्प धारण कर रखा है। मां की सवारी वृषभ है। आइए, मां की पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और विधि जानते हैं-
पूजा शुभ मुहूर्त
आज शुभ मुहूर्त प्रात:काल है। ज्योतिषों की मानें तो घटस्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः काल 7 बजकर 9 मिनट से लेकर 8 बजकर 31 मिनट तक है। इस दौरान साधक कलश स्थापना कर मां की पूजआराधना कर सकते हैं।
महत्व
इस दिन मंदिरों और मठों को सजाया जाता है। गाजे-बाजे से वातावरण संगीतमय रहता है। मां का आह्वान कर उनकी पूजा की जाती है। तंत्र मंत्र सीखने वाले साधक को मां की कठिन भक्ति कर उन्हें प्रसन्न करते हैं। मां समस्त मानव जगत का कल्याण करती हैं। अपने भक्तों को संकट से उबारती है।
पूजा विधि
माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को प्रात: काल उठकर सर्वप्रथम मां को प्रसन्न कर दिन की शुरुआत करें। अब घर की साफ-सफाई करें। इससे मां प्रसन्न होती हैं। इसेक बाद नित्यों कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आमचन कर अपने आप को पवित्र करें। इसके पश्चात, लाल रंग के वस्त्र धारण करें। अब पूजा स्थली पर चौकी बिछाकर उस पर मां की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। फिर मां शैलपुत्री की पूजा फल, फूल, धूप-दीप, कुमकुम, अक्षत आदि से करें। मां को लाल पुष्प अति प्रिय है। अत: मां को लाल पुष्प जरूर भेंट करें। माता शैलपुत्री का आह्वान निम्न मंत्र से करें-
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
अंत में मां की आरती कर उनसे परिवार के मंगल की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। आप चाहें तो एक फल और एक बार जल ग्रहण कर सकते हैं। शाम में आरती-अर्चना करने के बाद फलाहार कर सकते हैं।