कम हो गए अमेरिका के पास हथियार, यूक्रेन की कर रहा है लगातार सैन्य मदद

आज सबसे पहले उन धमकियों की बात करेंगे जो क्रेमलिन एंड कंपनी की तरफ से लगतार वेस्टर्न वर्ल्ड को दी जा रही थीं.

Update: 2022-05-04 02:49 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज सबसे पहले उन धमकियों की बात करेंगे जो क्रेमलिन एंड कंपनी की तरफ से लगतार वेस्टर्न वर्ल्ड को दी जा रही थीं. इन धमकियों के सेंटर प्वाइंट में अमेरिका (America), नाटो और यूरोपियन कंट्रीज थी. ब्रिटेन से लेकर पेरिस और जर्मनी तक की बात की गई थी, लेकिन अभी तक वेस्टर्न कंट्रीज (western countries) की तरफ से कोई बडा रिएक्शन नहीं आया था. लीडर्स इन धमकियों को इग्नोर करते गए. ब्रिटेन ने इसे रूस (Russia) का bravado बताया, लेकिन अब पहली बार अमेरिका ने न्यूक्लियर हमले की आशंका पर न्यूक्लियर वॉर लाइक सिचुएशन पर रिएक्ट किया.

व्हाइट हाउस ने पुतिन और उनके करीबियों की धमकियों को downplay करने की कोशिश की. व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने न्यूक्लियर युद्ध से जुड़े सवालों पर जवाब दिया. उनसे पूछा गया था कि एक सर्वे में अमेरिका के 10 में से 8 लोगों ने परमाणु युद्ध पर चिंता जताई, इसपर अमेरिका का क्या कहना है, वो प्रॉक्सी वॉर की बात को कैसे देखता है. इस पर व्हाइट हाउस ने साफ कर दिया है न्यूक्लियर वॉर को लेकर रूस और अमेरिका सेम पेज पर हैं. व्हाइट हाउस की प्रवक्ता ने कहा कि रूस पहले ही कह चुका है कि न्यूक्लियर जंग में किसी की जीत नहीं होगी, इसलिए अमेरिका भी यही सोच रखता है.
अमेरिका लगातार यूक्रेन की कर रहा सैन्य मदद
व्हाइट हाउस की तरफ से कहा गया कि अमेरिका लगातार यूक्रेन की सैन्य मदद कर रहा है. आगे भी करता रहेगा, लेकिन जहां तक युद्ध में जाने का सवाल है तो अमेरिका ये युद्ध नहीं लड़ रहा है. बाइडेन की स्पोक्सपर्सन ने क्लियर कर दिया कि युद्ध रूस-यूक्रेन के बीच है, नाटो इसमें शामिल नहीं है. ये भी कहा कि रूस के खिलाफ अमेरिका ने सेना नहीं भेजी, ना ही भेजने का कोई इरादा है. अब इन बयानों को समझने की जरूरत है, क्योंकि एक नई रिपोर्ट ये कहती है कि अमेरिका के पास अब हथियारों की कमी होने लगी है.
कहा जा रहा है कि जिस तरह यूक्रेन को लगातार जेवलिन और स्टिंगर मिसाइल दी गई. उसके चलते अमेरिका के पास अभी स्टॉक कम होने लगा. अगले साल तक कमी रहने की बात सामने आई है. शायद यही वजह है कि अमेरिका फिलहाल के लिए रूसी धमकियों को इग्नोर कर रहा है और फोकस हथियारों के प्रोडक्शन पर है, लेकिन इसका दूसरा मतलब ये भी है कि क्या अब रूस को यूक्रेन में ग्रीन सिग्नल मिल गया. क्या पुतिन यही चाहते है कि अमेरिका कुछ वक्त के लिए शांत रहे ताकि वो यूक्रेन पर अपनी पकड़ मजबूत कर लें.
क्या पुतिन को यूक्रेन में रोकने वाला अब कोई नहीं?
क्या रूस की एटमी हमले वाली धमकियां काम कर गईं? क्या पुतिन को यूक्रेन में रोकने वाला अब कोई नहीं? पुतिन के सामने अमेरिका का डर? क्या पुतिन को Licence to kill मिल गया? इन सवालों का ओरिजन प्वाइंट व्हाइट हाउस का वो लेटेस्ट बयान है, जिसमें यूक्रेन वॉर को लेकर अमेरिका ने अपनी पोजिशन क्लियर कर दी. यूक्रेन वॉर के दसवें हफ्तें में यूक्रेन की भीषण बर्बादी के बाद अमेरिका ने दुनिया के सामने साफ-साफ कह दिया कि ये रूस और अमेरिका के बीच प्रॉक्सी वॉर नहीं है. ये जंग रूस और यूक्रेन के बीच ही है. इस जंग में अमेरिका शामिल नहीं होगा. अमेरिका के सैनिक यूक्रेन में नहीं जाएंगे. साथ ही नाटो भी इस जंग में शामिल नहीं है.
व्हाइट हाउस की तरफ से जारी हुआ ये कोई छोटा मोटा बयान नहीं है, जिसे रूटीन समझकर इग्नोर कर दिया जाए बल्कि इसका बहुत बड़ा और गहरा मतलब है. अमेरिका के बयान का मतलब आपको समझाएं, उससे पहले इसकी टाइमिंग समझना जरूरी है. व्हाइट हाउस की तरफ से ये बयान ऐसे वक्त में आया जब रूस की तरफ से लगातार न्यूक्लियर थ्रेट्स सामने आ रहे हैं. रशियन टेलीविजन पर लगातार एटमी हमले की बात हो रही है. रूसी मिसाइल के नाम पर लंदन, वॉशिंगटन तक को टारगेट करनेवाली डिबेट्स हो रही हैं. अंडरग्राउंड अटैक के जरिए देश तबाह करने के वीडियो जारी हो रहे हैं. एक्सपर्ट्स कहने लगे हैं कि यूक्रेन में रूसी हार के चलते पुतिन न्यूक्लियर ऑप्शन को एक्सप्लोर कर सकते हैं.
मॉस्को में उड़ान भरता नजर आया पुतिन का DOOMSDAY PLANE
इतना ही नहीं पुतिन के न्यूक्लियर वॉरफेयर की तैयारी का एक और सबूत आज सामने आया. डेली मेल ने एक वीडियो रिलीज किया, इसमें पुतिन का DOOMSDAY PLANE मॉस्को में उड़ान भरता नजर आया. ये वही प्लेन है जिसपर न्यूक्लियर हमले का भी असर नहीं होता और इसमें पुतिन रहकर वॉर की कमांड जारी कर सकते हैं. नोट करनेवाली बात ये है कि 9 मई की विक्ट्री परेड के लिए IL 80 मैक्सडोम को निकाला गया. 2010 के बाद पहली बार 'फ्लाइंग क्रेमिलन' विक्ट्री परेड में हिस्सा लेगा. एनालिस्ट मानते हैं कि डूम्सडे प्लेन का मॉस्को में दिखना वेस्टर्न कंट्रीज को डायरेक्ट मैसेज है कि रूस न्यूक्लियर वॉरफेयर की तैयारी कर चुका है.
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा कि मैं तो ये कहूंगी कि रूस ने पिछले साल ये बात साफ कर दी थी कि एटमी जंग जीती नहीं जा सकती. हम इससे सहमत हैं और ये बात हर देश को, हर देश के नेता को कहनी चाहिए और राष्ट्रपति यही कह रहे हैं कि हम यूक्रेन में अमेरिकी सैनिकों को लड़ने के लिए नहीं भेजेंगे. अब सवाल बनता है कि आखिर व्हाइट हाउस को पोजिशन क्लियर करने की जरूरत क्यों पड़ गई तो इसकी भी कुछ वजह हैं. कुछ दिन पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव ने प्रॉक्सी वॉर को लेकर बयान दिया था. लावरोव ने कहा कि था रूस के खिलाफ नाटो युद्ध की तैयारी कर रहा है. यूक्रेन के नाम पर नाटो रूस के खिलाफ जंग कर रहा है. इस बीच US स्पीकर नैंसी पेलोसी ने कीव में जाकर जेलेंस्की से मुलाकात की. नैंसी पेलोसी ने कहा यूक्रेन की जीत तक यहां मौजूद रहेंगे.
इन सारे बयानों ने अलग-अलग संकेत दिए. ऐसा लगने लगा कि अब अमेरिका रूस के साथ सीधी अदावत के मूड में है, लेकिन जैसे ही बात न्यूक्लियर जंग की होती है तो अमेरिका पांव पीछे खींच लेता है. जब खुलकर सामना करने की बात आती है तो अमेरिका की मदद खोखली नजर आती है और आखिरकार..रूस की सेना के सामने वॉर जोन में अकेले सिर्फ जेलेंस्की और उनके मुट्ठी भर सैनिक नजर आते हैं.
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