शोध: जिन देशों में 'जेंडर बराबरी' है, वहां महिलाऐं सोती हैं अच्छी और गहरी नींद में
एक पुरानी ग्रीक कहावत है, “जिसे रात में चैन की नींद आए वो दुनिया का सबसे खुशकिस्मत इंसान है
एक पुरानी ग्रीक कहावत है, "जिसे रात में चैन की नींद आए वो दुनिया का सबसे खुशकिस्मत इंसान है." नींद की जरूरत और नींद के महत्व पर हजारों शोध हो चुके हैं. वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने हजारों पन्ने काले किए हैं सिर्फ ये बताने के लिए नींद आनी कितनी जरूरी है. नींद न आए तो क्या-क्या हो सकता है. यहां तक कि मौत भी. और एक अच्छी, गहरी नींद की जिंदगी में क्या अहमियत है.
लेकिन क्या कभी ऐसे सोचा है कि महिलाएं और पुरुष किस तरह के देश और समाजाें में बेहतर नींद सोते हैं. हाल ही में हुआ एक सर्वे इस सवाल का जवाब दे रहा है कि अगर आप एक स्त्री हैं तो आपकी बेहतर नींद का राज क्या है और अगर आप एक पुरुष हैं तो आपको अच्छी खुशहाल नींद कैसे आएगी.
क्या है ये सर्वे
ऑस्ट्रेलिया की मेलबर्न यूनिवर्सिटी में कुछ शोधकर्ताओं ने मिलकर नींद का ये जेंडर अध्ययन किया, जिसका आधार बना मुख्य रूप से यूरोपियन स्लीप पैटर्न पर किया गया एक पुराना अध्ययन. इस अध्ययन के पीछे प्रमुख मकसद तो ये समझना था कि क्या नींद का अलग-अलग जेंडर के साथ भी कोई सीधा कनेक्शन है. क्या एक समान परिस्थितियों में स्त्री और पुरुष, दोनों की नींद भी एक जैसी होती है.
मेलबर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 2012 में यूरोप में हुए एक यूरोपियन सोशल सर्वे को अपना आधार बनाया और इस पर काम करना शुरू किया. इस सर्वे में यूरोप के 29 देशों के 18,000 से ज्यादा लोगों ने भाग लिया. सर्वे में लोगों ने उनकी सोने की आदतों और पैटर्न को लेकर कई सारे सवाल पूछे गए थे.
सर्वे में पूछे गए सवाल
सर्वे में लोगों से शुरू में ऐसे सवाल पूछे गए, जिसे उनकी जॉब, पद, जिम्मेदारियों, फैमिली हिस्ट्री, आर्थिक जिम्मेदारियों और स्थिति के बारे में स्थिति स्पष्ट हो. फिर नींद की प्रकृति, घंटों और नींद के पैटर्न से जुड़े सवाल पूछे गए. जैसेकि
1- आप रात में औसत कितने घंटे सोते हैं.
2- कितने घंटे की गहरी नींद होती है?
3- क्या नींद में भी सोचते रहते हैं या मस्तिष्क लगातार सक्रिय रहता है?
4- क्या सोते हुए सपने आते हैं?
5- किस तरह के सपने आते हैं?
6- क्या रात में सोते हुए नींद टूटती है?
7- एक बार नींद टूट जाए तो दोबारा आने में दिक्कत आती है?
8- क्या सुबह उठने के बाद तरोताजा महसूस होता है?
9- क्या सुबह उठने का मन नहीं करता और ऐसा लगता है कि नींद अभी भी पूरी नहीं हुई है और थकान महसूस हो रही है.
10- क्या दिन के समय भी नींद जैसा महसूस होता रहता है?
ये सवाल महिला और पुरुष दोनों से अलग-अलग पूछे गए. सवालों के जवाब को उनकी उम्र, जेंडर, कॅरियर, पद और वरिष्ठता के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में रखा गया.
इस वृहदाकार सर्वे के नतीजों के साथ मेलबर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक और सर्वे की रिपोर्ट को अटैच किया. ये रिपोर्ट थी यूनाइटेड नेशंस का जेंडर डेवलपमेंट इंडेक्स.
यूएन हर दो साल पर यह सर्वे कर अपनी रिपोर्ट जारी करता है कि जेंडर डवलपमेंट और इक्वैलिटी यानी बराबरी के मामले में दुनिया के तमाम देश कहां खड़े हैं. वो महिलाओं के स्वास्थ्य, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और राजनीति में उनकी भागीदारी जैसे बुनियादी सवालों के गिर्द विकास के आंकड़ों को पता कर, उन्हें परखकर अपनी रिपोर्ट जारी करता है. यह जेंडर डेवलपमेंट इंडेक्स किसी भी देश में महिलाओं की स्थिति को समझने का सबसे प्रामाणिक तरीका है.
नींद और जेंडर इक्वैलिटी
ये काफी बुद्धिमत्तापूर्ण कदम था कि नींद से जुड़े सर्वे के नतीजों को जेंडर इक्वैलिटी इंडेक्स के समानांतर रखकर देखा जाए कि क्या दोनों में कोई रिश्ता दिखाई देता है. नतीजे काफी चौंकाने वाले थे. हालांकि सामान्य तर्कबुद्धि से भी सोचें तो इतनी भी कोई चौंकाने वाली बात नहीं है.
तो इन दो अपनी तरह की रिपोर्टों को आमने-सामने रखकर मेलबर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि जो देश जेंडर बराबरी के इंडेक्स में ऊंचे पायदानों पर हैं यानी कि जहां जेंडर बराबरी है, औरतों को पुरुषों के बराबर मौके और अधिकार मिले हुए हैं, उन देशों में बड़े, जिम्मेदार और मैनेजेरियल पदों पर काम कर रही महिलाओं की नींद का पैटर्न स्वस्थ है. वो लंबी, गहरी नींद सोती हैं, सुबह ताजा महसूस करती हैं, उन्हें बीमारियां कम हैं और उनका स्वास्थ्य अच्छा है. ये स्थिति उन देशों के मुकाबले कहीं बेहतर थी, जहां स्त्री-पुरुष के बीच गैरबराबरी है, पुरुषों का आधिपत्य है, उनके अधिकार ज्यादा हैं, ज्यादा बड़ी जगहों, पदों पर वही काबिज हैं और महिलाएं बस कुछ ही कॅरियर में उस ऊंचाई तक पहुंच पाई हैं.
पुरुषों को कैसे आती है बेहतर नींद
इस अध्ययन में पाया गया कि जेंडर इक्वैलिटी का तो मर्दों की नींद के साथ कोई सीधा कनेक्शन नहीं था, लेकिन इकोनॉमिक ग्रोथ का जरूर था. जिन देशों की जीडीपी बेहतर थी, उन देशों में जिम्मेदार, मैनेजेरियल पदों पर बैठे हुए पुरुषों की नींद का पैटर्न और क्वालिटी दोनों बेहतर थे. हालांकि महिलाओं की नींद का भी देश के इकोनॉमिक ग्रोथ के साथ रिश्ता था, लेकिन वो पुरुषों की तरह बिलकुल डायरेक्ट नहीं था. अगर कोई देश आर्थिक रूप से उन्नत होने के बावजूद भी अगर जेंडर बराबरी के मोर्चे पर पीछे है तो वहां महिलाओं की नींद का पैटर्न खराब पाया गया.
तो कुल मिलाकर इस अध्ययन का नतीजा ये निकला कि पुरुषों को बेहतर जीडीपी वाले यानी आर्थिक रूप से समृद्ध देशों में अच्छी नींद आती है और महिलाओं को ऐसे देशों में, जहां ज्यादा जेंडर बराबरी है और मर्दों का शासन नहीं है.