गुलाम के रूप में खरीदी पांच साल की बच्ची, धूप में जंजीरों से बांधकर की हत्या, कोर्ट ने सुनाई सजा
जर्मनी की एक अदालत ने पांच साल की बच्ची की मौत के मामले में इस्लामिक स्टेट के पूर्व आतंकी को नरसंहार और युद्ध अपराध का दोषी करार दिया है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जर्मनी की एक अदालत ने पांच साल की बच्ची की मौत के मामले में इस्लामिक स्टेट (IS) के पूर्व आतंकी को नरसंहार और युद्ध अपराध का दोषी करार दिया है. आतंकी ने बच्ची को गुलाम के तौर पर खरीदा था और सजा के लिए उसे कड़ी धूप में जंजीरों से बांध दिया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी. फ्रैंकफर्ट की क्षेत्रीय अदालत ने इराकी नागरिक ताहा अल-जे को उम्रकैद की सजा सुनाई और बच्ची की मां को 50,000 यूरो (57,000 अमेरिकी डॉलर) देने का आदेश दिया है. दोषी का उपनाम गोपनीयता नियमों के कारण सार्वजनिक नहीं किया गया है.
Wife को भी हुई है सजा
जर्मन समाचार एजेंसी 'DPA' की रिपोर्ट के अनुसार, मामले की सुनवाई कर रहे जज क्रिस्टोफर कोल्लर ने कहा कि यजीदी धार्मिक अल्पसंख्यकों का आईएस द्वारा सुनियोजित रूप से दमन किए जाने में भूमिका के लिए पूरी दुनिया में किसी को दोषी करार दिए जाने की यह पहली घटना है. वहीं, बचाव पक्ष के वकील ने अपने मुवक्किल के खिलाफ आरोपों से इनकार किया था. उक्त दोषी की जर्मन पत्नी को भी इसी मामले में पिछले महीने 10 साल कैद की सजा सुनाई गई. बता दें कि मारी गई बच्ची यजीदी समुदाय से थी.
Islam नहीं अपनाने पर मारा
संयुक्त राष्ट्र (UN) ने उत्तरी इराक में अपनी ही धरती पर यजीदी समुदाय के लोगों के खिलाफ 2014 में IS के हमलों को नरसंहार करार देते हुए कहा था कि 4,00,000 आबादी वाले यजीदी समुदाय के लोग या तो भागने पर मजबूर हुए हैं, यह पकड़े गए हैं या फिर उनको मार दिया गया है. इनमें से हजारों लोगों को आईएस ने पकड़ा था और उसने उन्हें अपने पक्ष में लड़ने पर मजबूर किया. जिन पुरुषों ने इस्लाम नहीं अपनाया उन्हें मार डाला गया और महिलाओं तथा बच्चियों को गुलामी के लिए बेच दिया गया.
2015 में बच्ची को खरीदा था
अल-जे ने 2015 में सीरिया में आईएस के एक शिविर से यजीदी महिला और उसकी पांच साल की बेटी को गुलाम के रूप में खरीदा था. दोनों को आतंकवादी संगठन ने 2014 के अगस्त में उत्तरी इराक से पकड़ा था जिसके बाद मां-बेटी को बार-बार खरीदा-बेचा गया. तय आरोप के अनुसार, अल-जे मां-बेटी को अपने साथ इराक के फलुजा शहर में अपने घर ले गया और उन्हें मकान की देखभाल करने और कठोर इस्लामिक कानून के अनुरूप रहने को मजबूर किया.
चंगुल से बच निकली थी महिला
रिपोर्ट के अनुसार, शख्स ने मां-बेटी को भर पेट भोजन भी नहीं दिया और सजा के तौर पर लगातार उनकी पिटाई की. अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि 2015 के अंत में अल-जे ने बच्ची को 50 डिग्री सेल्सियस की तेज धूप में खिड़की की छड़ से जंजीरों से बांध दिया और इसी सजा के दौरान बच्ची की मौत हो गई. बच्ची को यह सजा कथित रूप से रात को बिस्तर गीला करने के कारण दी गई थी. तमाम प्रताड़ना झेलने के बाद सुरक्षित बच गई बच्ची की मां ने दोनों ही मुकदमों में गवाही दी है.