स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकते है साबुत अनाज, डेयरी उत्पाद और फल-सब्जियां
एक तरफ जहां पशुओं से प्राप्त होने वाले फैट के ज्यादा सेवन से स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है, वहीं एक शोध में यह बात सामने आई है कि वेजिटेबल फैट या पोलीअनसैचरैटिड फैट से उसका जोखिम कम होता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एक तरफ जहां पशुओं से प्राप्त होने वाले फैट (वसा) के ज्यादा सेवन से स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है, वहीं एक शोध में यह बात सामने आई है कि वेजिटेबल फैट या पोलीअनसैचरैटिड फैट से उसका जोखिम कम होता है। इस संबंध में किए गए शोध का यह निष्कर्ष 13 से 15 नवंबर को वचरुअल माध्यम से होने वाले अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के वैज्ञानिक सत्र 2021 में पेश किया जाएगा। इस अध्ययन में वेजिटेबल, डेयरी तथा नान-डेयरी एनिमल स्त्रोतों से मिलने वाले फैट का स्ट्रोक के जोखिम पर होने वाले असर का व्यापक विश्लेषण किया गया है।
बोस्टन स्थित हार्वर्ड के टीएच चान स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ के पोषण विभाग के शोधकर्ता और इस अध्ययन के लेखक फेंगलेई वांग ने बताया, हमारे अध्ययन का निष्कर्ष इस बात की ओर इशारा करता है कि स्ट्रोक समेत अन्य कार्डियोवस्कुलर डिजीज की रोकथाम के लिए भोजन में लिए जाने वाले वसा की मात्रा से ज्यादा महत्वपूर्ण उसका स्त्रोत होता है।
अध्ययन के आधार पर सलाह : वांग ने कहा कि हम अपने अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर लोगों को सलाह देते हैं कि स्ट्रोक का जोखिम कम करने के लिए रेड मीट का सेवन कम करें। यदि खाते भी हैं तो प्रोसेस्ड मीट के वसा वाले अंश को न्यूनतम करें। खाने में वेजिटेबल आइल, कार्न या सोयाबीन तेल का प्रयोग करें।
एक अन्य शोधकर्ता एलिस एच. लिचेंस्टीन ने कहा कि कई सारे प्रोसेस्ड मीट में नमक और सैचरैटिड फैट काफी मात्र में होते हैं, जबकि वेजिटेबल फैट में काफी कम। शोध में यह बात सामने आई है कि प्रोसेस्ड मीट के बदले यदि प्रोटीन के स्त्रोत खासकर वनस्पति वाले स्त्रोत का उपयोग किया जाए तो उससे मौत का खतरा काफी कम हो जाता है। हृदय को स्वस्थ रखने की दृष्टि से साबुत अनाज, वनस्पति आधारित प्रोटीन के साथ ही विभिन्न प्रकार की फल और सब्जियों का सेवन ज्यादा लाभकारी है।
विश्लेषण का निष्कर्ष
अध्ययन के दौरान 6,189 प्रतिभागियों को स्ट्रोक हुआ।
इनमें नान-डेयरी एनिमल फैट लेने वालों को ज्यादा स्ट्रोक का सामना करना पड़ा।
पनीर, मक्खन, दूध, आइसक्रीम तथा क्रीम जैसे डेयरी उत्पाद का स्ट्रोक के ज्यादा जोखिम से कोई संबंध नहीं पाया गया।
जिन प्रतिभागियों ने ज्यादातर वेजिटेबल फैट तथा पोलीअनसैचरैटिड फैट खाया, उनमें स्ट्रोक के मामले ऐसे पदार्थों का बहुत ही अल्प सेवन करने वालों की तुलना में 12 प्रतिशत कमतर थे।
जिन प्रतिभागियों ने रोजाना कम से कम एकबार रेड मीट का सेवन किया, उनमें स्ट्रोक का जोखिम आठ प्रतिशत ज्यादा था। जिन लोगों ने रोजाना एक बार से अधिक प्रोसेस्ड मीट का सेवन किया, उनमें स्ट्रोक का खतरा 12 प्रतिशत ज्यादा था।
रूस में कोरोना संक्रमण के कारण हालात बेहद खराब हो गए हैं।
रूस में कोरोना से एक दिन में सर्वाधिक 1,239 मौतें, अस्पतालों में आक्सीजन की किल्लत, यूरोपीय देशों में बढ़ा खतरा
अध्ययन का स्वरूप
विज्ञानियों ने इस शोध के लिए 1,17,136 प्रतिभागियों का 27 वर्षो (1984 से 2016) तक फालोअप अध्ययन किया। अध्ययन की शुरुआत में प्रतिभागियों की औसत उम्र 50 वर्ष थी और उनमें 63 प्रतिशत महिलाएं थीं। इनमें से 97 प्रतिशत गोरे थे और इनमें से किसी को भी हार्ट डिजीज और कैंसर नहीं था। इन सभी से हर चार साल के अंतराल पर एक प्रश्नावली भरवाई गई, जिससे कि उनके द्वारा भोजन में लिए गए वसा की मात्र और उसके स्त्रोत का आकलन किया जा सके। भोजन में लिए गए वसा की मात्र को पांच समूहों में बांटा गया। इसमें रेड मीट, प्रोसेस्ड मीट के अलावा अन्य खाद्य पदार्थो के असर का विश्लेषण किया गया।