दिल की अच्छी सेहत के लिए कब सोना है जरुरी? स्टडी में बताया गया बेस्ट स्लीप टाइम

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों का रूटीन बदल गया है. देर तक जागना और सुबह देर तक सोना ज्यादातर लोगों के डेली रूटीन का हिस्सा है.

Update: 2021-11-19 04:49 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों का रूटीन बदल गया है. देर तक जागना और सुबह देर तक सोना ज्यादातर लोगों के डेली रूटीन का हिस्सा है. क्या आप जानते हैं कि देर तक जागने से हार्ट अटैक (Heart Attack) और स्ट्रोक का खतरा रहता है. हालिया रिसर्च के मुताबिक, हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे को घटाना है, तो रात में 10 से 11 बजे के बीच सो जाना चाहिए. इंग्लैंड की एक्सेटर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपनी हालिया रिसर्च में ये दावा किया है. वैज्ञानिक इस समय को 'गोल्डन आवर' कहते हैं, उनका मानना है इंसान के सोने का समय और दिल की बीमारियों के बीच एक कनेक्शन पाया गया है. शोधकर्ताओं का कहना है, अगर आप आधी रात में या काफी देर से सोने के लिए जाते हैं तो हार्ट डैमेज हो सकता है.

इंसान की नींद और दिल की बीमारी के बीच है ये कनेक्शन
शोधकर्ताओं का कहना है, इंसान की नींद और दिल की बीमारी के बीच एक कनेक्शन है. जो लोग देरी से सोते हैं वो सुबह देरी से उठते हैं, उनकी बॉडी क्लॉक डिस्टर्ब हो जाती है. हार्ट पर बुरा असर पड़ता है. इस तरह रात में जल्दी सोकर दिल की बीमारियों का खतरा कम कर सकते हैं.
88 हजार लोगों पर हुई रिसर्च
शोधकर्ताओं का कहना है, 'हमनें 43 से 74 साल के बीच के 88 हजार ब्रिटिश वयस्कों पर रिसर्च की. रिसर्च में शामिल लोगों के हाथ में ट्रैकर पहनाया गया. ट्रैकर के जरिए उनके सोने और उठने की एक्टिविटी को मॉनिटर किया गया. इसके अलावा उनसे लाइफस्टाइल से जुड़े सवाल-जवाब भी किए गए. ऐसे लोगों में 5 साल तक हार्ट डिजीज, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, हार्ट फेल्योर का मेडिकल रिकॉर्ड रखा गया और इसकी तुलना की गई.'
क्या कहते हैं रिसर्च के परिणाम
रिसर्च के रिजल्ट बताते हैं कि जिन मरीजों में हर रात 10 से 11 बजे के बीच नींद लेना शुरू किया, उनमें हृदय रोग के मामले सबसे कम थे. वहीं, जो लोग आधी रात के बाद सोते हैं, उनमें यह खतरा 25 फीसदी तक अधिक होता है.
यूरोपियन हार्ट जर्नल में पब्लिश रिसर्च कहती है, 'हम लोगों को प्रेरित कर रहे हैं कि जल्दी सोकर दिल की बीमारियों का खतरा कम किया जा सकता है.' शोधकर्ता डॉ. डेविड प्लान्स कहते हैं कि 24 घंटे चलने वाली शरीर की अंदरूनी घड़ी ही हमें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखती है. इसे सरकेडियन रिदम कहते हैं. देर से सोने पर सरकेडियन रिदम बिगड़ती है. इसलिए इसे बेहतर करने की जरूरत है.
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