डायनासोर की ये प्रजाति गर्दन पर बड़ी फ्रिल से यौन संबंध के लिए साथी को करता था आकर्षित
धरती का सबसे बड़ा प्राणी डायनासोर किस तरह का भोजन करता था और शिकार करने की कैसी आदतें थीं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| डायनासोर (Dinosaurs) के बारे में अब तक कई जानकारियां मिल चुकी है. ये जानकारी केवल जीवाश्मों (Fossil) के अध्ययन से ही पता लगाई जा चुकी है. धरती का सबसे बड़ा प्राणी डायनासोर किस तरह का भोजन करता था और शिकार करने की कैसी आदतें थीं, ये सभी जानकारियां हमारे जीवश्म विज्ञानियों (Palaeontologists) ने पता लगाया है. अब एक नए शोध में पता चला है कि एक भेड़ के आकार (Sheep-Sized) वाले डायनासोर ने साथी को आकर्षित करने के लिए गर्दन पर एक बड़ी फ्रिल (Neck Frill) या झालर को विकसित कर लिया था.
कहां पाई जाती थी डायनासोर की ये प्रजाति
प्रोटोसेरैप्टॉप डायनासोर (Protoceratops Dinosaurs) लगभग 7 करोड़ साल पहले पाया जाता था. पौधे खाने वाला 18 मीटर लंबा यह डायनासोर मंगोलिया (Mangolia) के गोबी रेगिस्तान में घूमा करता था. अब से पहले ऐसा मना जाता रहा है कि प्रोटोसेरैप्टॉप की गर्दन पर यह फ्रिल शिकारियों से बचाव या शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए था. लेकिन ताजा अध्ययन कुछ और ही कहता है.
इस काम के लिए था फ्रिल
हाल में हुए अध्ययन के अनुसार, जानकारी मिली है कि प्रोटोसेरैप्टॉप की फ्रिल का सबसे महत्वपूर्ण काम अपने साथी को आर्कषित करना होता था. जिस तरह से मोर अपने पंखों का उपयोग करते हैं वैसे ही साथी को लुभाने के लिए प्रोटोसेरैप्टॉप की फ्रिल थी. नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के डॉ एंड्रयू नैप (Mark Nap Of The Natural History Museum) के मुताबिक, बहुत सारे जीवाश्म जानवरों में असामान्य शारीरिक संरचनाएं और विशेषताएं हैं जो आज के जानवरों दिखाई नहीं देती हैं.
बहुत से कारण बताए गए थे पहले
सींग के बिना भी प्रोटोसेरैप्टॉप की बहुत बड़ी फ्रिल हुआ करती थी. इससे पहले की स्टडी बताती है कि इन डायनासोर में इस तरह की फ्रिल आखिर कैसे निकल आई. कुछ का मानना था कि ये सुरक्षा के लिए थी वहीं कुछ का मत था कि ये शरीर को गर्मी से बचने के लिए थी. वहीं कुछ के मुताबिक यह दूसरी प्रजातियों में अपने साथियों की पहचान करने के लिए जिम्मेद्दार थी.
30 खोपड़ियों का किया गया स्कैन
नैप और उनकी टीम ने प्रोटोसेरैप्टॉप की 30 संपूर्ण खोपड़ियों का थ्रीडी स्कैन किया और निष्कर्ष पाया कि गर्दन की फ्रिल समय के साथ बढ़ती गई थीं. यह वृद्धि यौन चुनाव (Sexual Selection) का स्पष्ट नतीजा था. यह विशेषता तेजी से बढ़ती गई क्योंकि यह विपरित लिंगियों के लिए पसंद बनती गई.
रंगों का भी अंतर
वैज्ञानिकों को यौन द्विरूपता ( Sexual Dimorphism) के स्पष्ट प्रमाण तो नहीं मिले हैं जहां दो विपरीत लिंग के यौनांगों के अलावा भी अलग-अलग विशेषताएं होती हैं. डॉ नैप के अनुसार, इन जानवरों में नर और मादा में काफी अंतर था जैसे नर मादा से ज्यादा बड़े होते थे. इसके अलावा इनमें रंगों का भी अंतर हो सकता है जो जीवाश्म में पता नहीं चलता है.
शरीर पर विशेष वृद्धि
डायनासोर के शरीर के किसी एक अंग की बाकी शरीर की तुलना में तेजी से वृद्धि का कारन यौन संबंध हो सकती. बिलकुल ऐसा ही कुछ हिरण के सींगों के साथ भी है जो उनके शरीर के मुकाबले तेजी से बढ़ते हैं. प्रोटोसेरैप्टॉप के अलग अलग काल की खोपड़ियों की तुलना करने से शोधकर्ताओं ने पाया कि उनके गर्दन की फ्रिल के साथ भी ऐसा ही है.