दुनिया के कई देशों में 5G मोबाइल सर्विस शुरू हो गई है। भारत में अगले महीने से 5G सेवाएं शुरू हो सकती हैं। वहीं, अमेरिकी अरबपति बिजनेसमैन, एलन मस्क (Elon Musk) एक कदम आगे की सोच रहे हैं। सबकुछ योजना के मुताबिक हुआ उनकी कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) का स्टारलिंक सैटेलाइट नेटवर्क अगले साल से सीधे स्मार्टफोन पर सर्विस शुरू कर देगा। यानी फोन में सीधे सैटेलाइट से नेटवर्क आएगा। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, एलन मस्क और टी-मोबाइल के प्रेसिडेंट व सीईओ माइक सीवर्ट ने दक्षिणी टेक्सास में स्पेसएक्स की स्टारबेस फैसिलिटी में एक वेबकास्ट प्रोग्राम के दौरान गुरुवार रात इस योजना की घोषणा की।
स्पेसडॉटकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों कंपनियां कवरेज एबव एंड बियॉन्ड (Coverage Above and Beyond) नाम के एक प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं। इसका मकसद टी-मोबाइल कस्टमर्स को हर जगह स्मार्टफोन कनेक्टिविटी प्रदान करना है। इसके बारे में एलन मस्क ने कहा कि मुझे लगता है यह वास्तव में एक बड़ा गेम चेंजर है।
मौजूदा समय में मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी एक बड़ी समस्या है। खासतौर पर ग्रामीण और सुदूर इलाकों में लोगों को नेटवर्क की परेशानी से जूझना पड़ता है। सिग्नल नहीं मिलने से लोग बाकी दुनिया से कट जाते हैं। एलन मस्क इस समस्या को हल करते हुए स्टारलिंक की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस में एक और मील का पत्थर जोड़ना चाहते हैं।
अकेले अमेरिका में लगभग 500,000 वर्ग मील (1.3 मिलियन वर्ग किलोमीटर) इलाके में किसी भी टेलिकॉम ऑपरेटर का नेटवर्क नहीं है। भारत में भी ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में लोगों को फोन में सिग्नल नहीं आने की समस्या से जूझना पड़ता है। कवरेज एबव एंड बियॉन्ड इसी का सॉल्यूशन बनने की तैयारी है।
कवरेज एबव एंड बियॉन्ड के लिए स्टारलिंक वर्जन 2 की जरूरत होगी, जिसके अगले साल शुरू होने की उम्मीद है। 'स्टारलिंक वर्जन 2' करीब 23 फीट लंबा और 1.25 टन का होगा। यह मौजूदा स्टारलिंक सैटेलाइट से काफी बड़ा होगा, जो 300 किलोग्राम के हैं। 'स्टारलिंक वर्जन 2' को लॉन्च करने के लिए कंपनी को उसके नेक्स्ट जेन ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम की जरूरत पड़ेगी, जिसे स्टारशिप कहा जाता है। इसके बावजूद स्पेस से पृथ्वी पर मोबाइल फोन्स में नेटवर्क भेजना बेहद मुश्किल चुनौती है।
एलन मस्क के मुताबिक, इसके लिए बेहद एडवांस्ड एंटीना की जरूरत होगी। एंटीना को सेलफोन तक सिग्नल पहुंचाना होगा। फिर वह सिग्नल 800 किलोमीटर की यात्रा करके स्पेस में पहुंचेगा, जहां वह सैटेलाइट से कनेक्ट होगा, जो करीब 28 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से स्पेस में सफर कर रहा है। मस्क के मुताबिक यह वास्तव में काफी कठिन तकनीकी चुनौती है। लेकिन हम काम कर रहे हैं।
प्रोजेक्ट सफल होता है, तो टी-मोबाइल कस्टमर्स अपने मौजूदा फोन के साथ स्टारलिंक कनेक्टिविटी तक पहुंच सकेंगे। उन्हें अलग से कोई डिवाइस खरीदने की जरूरत नहीं होगी। स्टारलिंक के इस प्रोजेक्ट का मतलब यह नहीं है कि धरती पर मोबाइल टावर्स की उपयोगिता खत्म हो जाएगी। यह सिर्फ एक सपोर्ट है, जो मोबाइल कस्टमर्स को उन एरिया में फायदा पहुंचाएगा, जहां टावर के सिग्नल नहीं आते।