वैज्ञानिकों ने रिकॉर्ड किया मकड़ी के जाले का संगीत...देखे वीडियो

मकड़ियों को मारने और उनका घर जलाने या हटाने के अलावा हमने कभी उनकी दुनिया को समझने का प्रयास नहीं किया. ये जब अपना घर बनाते हैं तब उसमें से संगीत पैदा होता है.

Update: 2022-03-26 06:16 GMT

मकड़ियों को मारने और उनका घर जलाने या हटाने के अलावा हमने कभी उनकी दुनिया को समझने का प्रयास नहीं किया. ये जब अपना घर बनाते हैं तब उसमें से संगीत पैदा होता है. जाले के हर तार के निर्माण के समय बाकी के तार हवा के कंपन और मकड़ी के चलने से आवाजें निकालते हैं. ये किसी हैवी मेटल संगीत से कम नहीं लगता. आप चाहे तो इसे इस स्टोरी को पढ़ने के दौरान सुन सकते हैं.

मकड़ियों जब इस जाल का निर्माण करती है, तब अलग आवाज आती है. शिकार करती है तब अलग संगीत बजता है. दूसरी मकड़ी को अपनी तरफ बुलाती हैं तब अलग संगीत बजता है. कंपकंपी होती है, तब अलग संगीत बजता है. यानी मकड़ियों के घर में हर काम के दौरान संगीत निकलता है. बस दिक्कत ये है कि आप उसे सुन नहीं सकते. 

कुछ साल पहले वैज्ञानिकों ने मकड़ी के जाले का थ्री डायमेंशनल ढांचा तैयार किया था. ताकि उससे निकलने वाले संगीत को सुन सकें. उसे सुनने के लिए उन्होंने संगीतज्ञ टोमास सारासेनो को अपनी टीम में शामिल किया था. उन्हें काम दिया गया था कि आप मकड़ी के जाले से निकलने वाले संगीत के आधार पर एक म्यूजिकल यंत्र बनाइए. टोमास ने बनाया भी. इस यंत्र को नाम दिया स्पाइडर कैनवस. 

फिर इस टीम ने रिकॉर्ड किए गए संगीत को फिर से रीफाइंड किया. नए वर्चुअल रिएल्टी कंपोनेंट जोड़े गए. ताकि लोग इस मकड़ी के जाले में अपने मनचाहे संगीत को सुन सके. उसे बजा सके. वैज्ञानिकों का मानना था कि यह संगीत न सिर्फ जाले के थ्री डायमेंशनल ढांचे को बनाने में मदद करेगा. बल्कि मकड़ियों की कंपन आधारित भाषा को समझने में भी आसानी होगी. 

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के इंजीनियर मार्कस बुहलर ने कहा कि मकड़ियां कांपती हुए तारों के वातावरण में रहती हैं. वो बहुत ढंग से देख नहीं पाती. वो कंपन के जरिए अपने आसपास के वातावरण को महसूस करती हैं. हर कंपन अलग-अलग फ्रिक्वेंसी की होती है.

 Full View

मार्कस ने बताया कि जब आप किसी मकड़ी के जाले को देखते हैं तो आपको वह फ्लैट, गोलाकार, षटकोण या रेडियल स्पोक्स के साथ बने हुए दिखते हैं. कई बार मकड़ियां स्पाइरल जाल भी बनाती हैं. यानी पूरी तरह से गोलाकार. लेकिन कई मकड़ियां ऐसी भी होती हैं, जो थ्रीडी जाल बनाती है. शीट वेब, टैंगल वेब या फनेल वेब की तरह. ये किसी भी शिकार को पकड़ने के लिए ज्यादा सटीक और मजबूत होती हैं. 

इस संगीत को समझने के लिए और जाल के निर्माण की प्रक्रिया को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने ट्रॉपिकल टेंट-वेब स्पाइडर (Cyrtophora citricola) को एक आयताकार डिब्बे में रखा. ताकि वह थ्री डायमेंशनल जाल बना सके. उन्होंने शीट लेजर का उपयोग किया ताकि मकड़ी के मूवमेंट के हिसाब से वो भी उसके जाल का हाई-डेफिनिशन इमेज बना सके. वह भी 2डी क्रॉस सेक्शन में. बार में उसे खास एल्गोरिदम से थ्रीडी में बदल दिया गया

इसके बाद इन थ्रीडी जालों को संगीत के अलग-अलग नोट्स के साथ जोड़ दिया गया. जैसे-जैसे जाले का निर्माण होता गया, वैसे-वैसे संगीत भी सामने आता रहा. साथ ही संगीत के हर कंपन को मकड़ी की भाषा के रूप में ट्रांसलेट भी किया जा रहा था. ताकि यह समझा जा सके कि मकड़ी किस समय किस मूड में है और क्या कहना चाहती है. इससे यह भी पता चला कि मकड़ी कैसे कदम-दर-कदम अपना थ्रीडी जाल बनाती है. 

स्पाइडर कैनवास लोगों को वर्चुअली मकड़ी के जाले से निकलने वाला संगीत सुनने का मौका देती है. लेकिन उसमें जो संगीत भरा गया है, वह असली जाले के निर्माण के समय रिकॉर्ड किया गया है. आपको पता चलता है कि जाले से कैसे संगीत निकल रहा है. आपको सुनने के साथ जाल बनता हुआ भी दिखाई देगा. जैसे कि आप किसी तार को अगर ज्यादा खीचेंगे तो उसकी आवाज बदल जाएगी. उसे तोड़ेंगे तो अन्य तारों पर क्या असर होगा, ये भी पता चलेगा

Tags:    

Similar News

-->