नई दिल्ली: ब्रिटेन (Britain) के वैज्ञानिकों ने 'नकली सूर्य' बनाने का दावा किया है. वैज्ञानिकों ने कहा है कि उन्होंने प्रैक्टिकल न्यूक्लियर फ्यूजन (Nuclear Fusion) की खोज में एक बड़ी सफलता हासिल की है. ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने एक ऐसा रिएक्टर बनाने में सफलता हासिल की है जो सूर्य की तकनीक पर न्यूक्लियर फ्यूजन करता है, जिससे अपार ऊर्जा निकलती है. ये एक ऐसी उपलब्धि है, जिसके जरिए पृथ्वी पर सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा के लिए सितारों की शक्ति का इस्तेमाल करने की दिशा में मील का पत्थर कहा जा रहा है. इसके जरिए पृथ्वी पर 'छोटे सूर्य' तैयार किए जा सकेंगे.
यूके परमाणु ऊर्जा प्राधिकरण (UK Atomic Energy Authority) ने बुधवार को ऐलान किया कि मध्य इंग्लैंड में ऑक्सफोर्ड (Oxford) के पास ज्वाइंट यूरोपियन टोरस (JET) लेबोरेटरी ने पिछले साल के अंत में एक प्रयोग के दौरान 59 मेगाजूल ऊर्जा पैदा की. इस तरह इसने अपने खुद के 1997 के विश्व रिकॉर्ड से दोगुना अधिक ऊर्जा उत्पन्न की. एजेंसी ने एक बयान में कहा, 21 दिसंबर के परिणाम सुरक्षित और टिकाऊ लो-कार्बन ऊर्जा प्रदान करने के लिए फ्यूजन एनर्जी की क्षमता का दुनियाभर में सबसे स्पष्ट प्रदर्शन हैं. इतनी ऊर्जा पैदा करने के लिए 14 किलो टीएनटी का इस्तेमाल करना पड़ता है.
ब्रिटेन के विज्ञान मंत्री जॉर्ज फ्रीमैन (George Freeman) ने इस खोज की सराहना की है. फ्रीमैन ने कहा, ये इस बात के सबूत हैं कि ब्रिटेन में किए जा रहे रिसर्च और इनोवेशन फ्यूजन पावर को हकीकत बना रहे हैं. ऐसा यूरोपभर में हमारे सहयोगियों के साथ मिलकर किया जा रहा है. दरअसल, न्यूक्लियर फ्यूजन वही प्रक्रिया है, जिसका इस्तेमाल सूर्य गर्मी पैदा करने के लिए करता है. वहीं, वैज्ञानिकों का मानना है कि ये एक दिन ऊर्जा के प्रचुर, सुरक्षित और हरित स्रोत के रूप में मानवता को हासिल हो जाएगा. इसके जरिए जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से निपटने में मदद मिलेगी.
कल्हम सेंटर फॉर फ्यूजन एनर्जी में दशकों के परीक्षण के साथ इस उपलब्धि को हासिल किया गया है. यहां पर ही JET लेबोरेटरी मौजूद है. लेबोरेटरी अपनी स्टडी के लिए टोकामक नामक डोनट के आकार की मशीन का इस्तेमाल करती है. JET दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे शक्तिशाली ऑपरेशनल टोकामक मशीन है. इसके अंदर ड्यूटेरियम और ट्रिटियम से मिलकर तैयार हुए ईंधन की एक छोटी मात्रा को प्लाज्मा बनाने के लिए सूर्य के केंद्र की तुलना में 10 गुना अधिक गर्म तापमान पर गर्म किया जाता है. इसे सुपरकंडक्टर इलेक्ट्रोमैग्नेट्स के जरिए किया जाता है, क्योंकि ये प्लाज्मा चारों ओर घूमता है, फ्यूज करता है और गर्मी के रूप में जबरदस्त ऊर्जा छोड़ता है.