वैज्ञानिकों ने किया अलर्ट, अचानक आए सूखे मचाएंगे दुनिया में तबाही
जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम के स्वरूप में कई तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण मौसम के स्वरूप में कई तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं. जिस तरह से दुनिया गर्म (Global Warming) हो रही है बाढ़ और सूखे भी बार बार देखने को मिल रहे हैं और उनकी भीषणता भी पहले से ज्यादा हो रही है. अचनाक आने वाली बाढ़ से तो लोग वाकिफ हैं, लेकिन अचानक आने वाले सूखे (Flash Drought) के बारे में लोग कम जानते हैं. लेकिन अब ऐसे सूखों के आने की गति तेजी से बढ़ रही है जिसने वैज्ञानिकों को भी हैरत में डाला हुआ है. आने वाले समय में इनके प्रभाव क्षेत्र में विस्तार भी देखने को मिल सकता है.
क्या होते हैं ये सूखे
नए विश्लेषण में अचानक आने वाले सूखे पर विशेष अध्ययन किया गया है. इसमें पाया गया हैकि पिछले दो दशकों में सूखे ज्यादा तेजी और अचानक से आ रहे हैं इनमें से 33 से 46 प्रतिशत इस तरह के सूखे केवल 5 दिन के भीतर ही आ रहे हैं. सूखे बारे में परंपरागत जानकारी के मुताबिक सूखा लंबे समय से बारिश ना होने की वजह से धीरे धीरे पनपे हालात को कहते हैं वहीं फ्लैश ड्रॉट यानि अचानक आने वाले सूखे बहुत तेजी से ऐसे हालात पैदा कर देते हैं जिससे जमीन में नमी को भारी नुकसान होता है.
सब जगह देखने को मिल रहे हैं ये
इस तरह के सूखे केवल थोड़ी सी ही गर्मी बढ़ने से पैदा हो जाते हैं. इस तरह की परिघटना कई देशों में देखी गई है इसमें साल 20112-13 में उत्तरी अमेरिका में आया सूखा भी शामिल है जिसमें मध्य अमेरिका में तेजी से कुछ ही हफ्तों में सूखे के हालात विकसित हो गए थे. ऐसा ही कुछ ऑस्ट्रेलिया, चीन और अफ्रीका में भी देखने को मिला है.
बहुत कम हुए हैं अध्ययन
इस तरह के तेजी से होने वाली घटनाएं कई जगह देखने को मिल रही हैं, अभी तकयह स्पष्ट नहीं हो सका है कि ये तेजी से कैसे विकसित हो जाते हैं. हॉन्ग कॉन्ग पॉलीटेक्निक यूनिवर्सिटी के यामिन क्विंग और शाउ वांग की अगुआई में हुए इस अध्ययन में अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं ने बताया कि इस विषय पर बहुत कम अध्ययन हुए हैं.
21 साल के आंकड़े
शोधकर्ताओं का कहना है कि अचानक आने वाले सूखे के बारे में वैश्विक तस्वीर स्पष्ट होना बहुत जरूरी है जिससे इसके विकास और स्वरूपों की जानकारी मिल सके और पता चल सके कि ये वैश्विक स्तर पर कैसे विकसित हो रहे हैं. इस तरह की जानकारी हासिल करने केलिए शोधकर्ताओं ने 21 साल के हाइड्रोक्लाइमेट आंकड़ों का अध्ययन किया.
बढ़ती जा रही है रफ्तार
शोधकर्ताओं ने साल 2000 से 2020 तक दुनिया भर में मिट्टी में नमी की जानकारी सैटेलाइट से जमा की और हाइड्रोक्लाइमेट आंकड़े जुटाए. इन नतीजों से पता चलता है कि अचानक आने वाले सूखे संख्या में तो नहीं बढ़ रहे हैं, लेकिन इनकी गति समय के सात साथ और भी तेज होती जा रही है. उन्होंने बताया कि पिछले 20 सालों में 33 से 46 प्रतिशत तक के इस तरह के सूखे पांच दिनों में आने लगे हैं.
क्या होती है दर
सामान्यतः 70 प्रतिशत से अधिक फ्लैश ड्रॉट केवल एक पखवाड़े में ही विकसित हो जाते हैं. और 30 प्रतिशत से ज्यादा ही केवल 5 दिन में पनप जाते हैं. वहीं दूसरी तरफ सामान्य सूखा पनपने में पांच से छह महीने का समय लेता है जो जलवायु के विभिन्न कारकों के संयुक्त प्रभाव के कारण पनप पाता है. वहीं वायुमंडल में नमी की कमी, उच्च तापमान, कम बारिश और उच्च वाष्प दबाव की कमी की कारण जमीन से नमी कम होने लगती है जो सूखा सबसे प्रमुख लक्षण है.
नेचर कम्यूनिकेशन्स में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार ऐसे सूख दक्षिण पूर्व एशिया, पूर्वी एशिया, अमेजन बेसिन, पूर्वी उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी दक्षिण अमेरिका में मुख्यतया पाए जाते हैं लेकिन इनके अलावा दूसरे इलाकों में भी हो सकते हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि और ज्यादा निगरानी और अवलोकन इनका पूर्वानुमान लगाने में मददगार होगा. यह दुनिया भर में बदलते जलवायु के स्वरूप के लिहाज से भी बहुत जरूरी है.