नए शोध में खुलासा: युवा लड़के-लड़कियों के ब्रेन टेस्ट में सामने आया कि मस्तिष्क के कार्य या गणित की क्षमता में कोई अंतर

लंबे समय से यह धारणा रही है कि लड़कियों का दिमाग गणित और तकनीकी विषयों में तीव्र प्रतिक्रिया नहीं करता। इससे माना जाता रहा है

Update: 2020-10-19 08:04 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| लंबे समय से यह धारणा रही है कि लड़कियों का दिमाग गणित और तकनीकी विषयों में तीव्र प्रतिक्रिया नहीं करता। इससे माना जाता रहा है कि उनके लिए जैविक रूप से गणित जैसे तकनीकी विषयों को समझना मुश्किल होता है। पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय की शोधकर्ता जेसिका कैंटन का अध्ययन इस धारणा को झुठलाता है। लड़के-लड़कियों के मस्तिष्क के विकास की व्यापक जांच करने पर उन्होंने पाया कि उम्र बढऩे के साथ दोनों के मस्तिष्क के कार्य करने और गणित संबंधी उनकी क्षमता में कोई अंतर नहीं आता है।

पहला न्यूरोइमेजिंग शोध

कैंटन ने छोटे बच्चों के गणित कौशल में बायोलॉजिकल जेंडर डिफरेंस का मूल्यांकन करने के लिए न्यूरोइमेजिंग अध्ययन किया। टीम ने 3 से 10 साल के लड़के-लड़कियों और वयस्कों के समूह की मस्तिष्क गतिविधि को कार्यात्मक एमआरआई से मापा। उन्होंने लड़कियों को गिनती और जोड़ जैसे सामान्य वीडियो दिखाए। बच्चों और वयस्कों के ब्रेन स्कैन की जांच में पाया कि दोनों के मस्तिष्क विकास में कोई अंतर नहीं है। यानि जटिल विषय भी एकाग्रता के साथ समझे जा सकते हैं।

एक जैसी ही प्रतिक्रिया देता है

कैंटन का यह भी कहना है कि शोध केवल यह दिखाने के लिए नहीं किया गया था कि लड़के-लड़कियों का दिमाग एक जैसी ही प्रतिक्रिया देता है बल्कि यह समानता पूरे मस्तिष्क में स्पष्ट थी। शिकागो विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग का कहना है कि की एलिसा कर्सी और शोध की पहली लेखक ने कहा कि यह इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह स्पष्ट करता है कि मनुष्य अंतर की बजाय दरअसल एक-दूसरे से समानता ज्यादा रखते हैं। कैंटन ने यह भी कहा कि उन्हें लगता है कि समाज और संस्कृति भी यही चाहते हैं कि लड़कियां और युवा महिलाएं गणित और एसटीईएम क्षेत्रों से दूर रहें। पूर्व के कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि परिवार युवा लड़कों के साथ खेलने में अधिक समय बिताते हैं जिसमें वे उन्हें बहुत कुछ सिखाते हैं। कई शिक्षक भी गणित की कक्षाओं में लड़कों के साथ अधिक समय बिताते हैं।



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