NASA ने मंगल पर ढूंढ़ा रहस्यमयी पत्थर, जानिए क्या कहते वैज्ञानिक

अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के परसिवरेंस रोवर (Perseverance Rover) ने अपने नए घर मंगल ग्रह (Mars) पर काम शुरू कर दिया है

Update: 2021-05-15 10:32 GMT

अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के परसिवरेंस रोवर (Perseverance Rover) ने अपने नए घर मंगल ग्रह (Mars) पर काम शुरू कर दिया है. पिछले पांच हफ्तों से वह Ingenuity हेलिकॉप्टर की गतिविधियों को रिकॉर्ड और उसकी मदद करने का काम कर रहा था. हालांकि, इस दौरान भी परसिवरेंस रोवर ने अपने साइंटिफिक काम को जारी रखा. उदाहरण के लिए, परसिवरेंस ने अपने आस-पास के इलाके की मास्टकैम-जेड इमेजिंग सिस्टम के जरिए हाई-रेजोल्यूशन वाली तस्वीरों को लिया.

परसिवरेंस रोवर द्वारा इन तस्वीरों में 45 किमी चौड़े जेजेरो क्रेटर की पत्थरों से भरी चट्टानी सतह को देखा जा सकता है. ये पत्थर काफी रहस्यमयी नजर आ रहे हैं. बता दें कि इस जगह 18 फरवरी को रोवर ने लैंड किया था. रोवर ने अपने भीतर लगे दो अन्य उपकरणों की मदद से आस-पास के पत्थरों का विस्तृत रूप से अध्ययन किया. वैज्ञानिक इस बात को जानने के लिए उत्साहित हैं कि ये पत्थर ज्वालामुखी की वजह से यहां मौजूद हैं या फिर किसी नदी के तलछट की वजह से यहां बिखरे हुए हैं.
क्या होती हैं ज्वालामुखीय और तलछटी वालीं चट्टानें?
ज्वालामुखीय चट्टानें ज्वालामुखी में विस्फोट के बाद बनती हैं. ये भूवैज्ञानिक घड़ियों के तौर पर काम कर सकती हैं. इनकी मदद से वैज्ञानिक जेजेरो क्रेटर के इतिहास और उसके विकास को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं. जेजेरो क्रेटर को लेकर माना जा रहा है कि यहां अरबों साल पहले एक झील और नदी का डेल्टा रहा होगा. दूसरी ओर, तलछटी चट्टानें समय के साथ गंदगी और रेत के जमाव की वजह से बनती हैं. यदि जेजेरो क्रेटर में जीवन रहा होगा, तो इन चट्टानों में मंगल ग्रह पर जीवन को बचाकर रखने की अधिक क्षमता है.
2031 तक इन पत्थरों को पृथ्वी पर लाने की संभावना
परसिवरेंस रोवर के दो प्रमुख मिशन हैं. जिसमें पहला मंगल पर जीवन के निशान तलाशना है, जबकि दूसरा मिशन संभावित एस्ट्रोबायोलॉजिकल महत्व के कई दर्जन सैंपल्स इकट्ठा करना है. इसमें इन पत्थरों को भी शामिल किया जा सकता है. NASA और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के संयुक्त अभियान द्वारा इस प्राचीन मंगल सामग्री को पृथ्वी पर लाया जाएगा. शायद इसके लिए 2031 तक एक मिशन शुरू किया जाएगा. पसादेना में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के और परसिवरेंस परियोजना के वैज्ञानिक केन फार्ले ने एक बयान में कहा, जब आप इन पत्थरों के देखते हैं तो आपको मंगल की एक कहानी नजर आती है.


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