नोएडा के 14 वर्षीय दक्ष ने खोजा 'एस्टेरॉइड,' NASA ने दिया नाम रखने का मौका

Update: 2025-01-28 09:10 GMT
Noida नोएडा। नोएडा के शिव नादर स्कूल में नौंवी क्लास में पढ़ने वाले 14 वर्षीय छात्र, दक्ष मलिक ने मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच एक क्षुद्रग्रह खोजा था. अब नासा ने दक्ष को ही इस क्षुद्रग्रह का नाम रखने का मौका दिया है. क्षुद्रग्रह को वर्तमान में '2023 OG40' नाम दिया गया है, जो इसकी खोज के वर्ष को दर्शाता है, लेकिन दक्ष मलिक को जल्द ही इसे एक स्थायी नाम देने का सम्मान मिलेगा.
उन्होंने पिछले साल क्षुद्रग्रह की प्रारंभिक खोज प्रस्तुत की थी, और अब नासा ने इसकी आधिकारिक तौर पर पुष्टि की है. मीडिया से बात करते हुए, दक्ष ने कहा कि उनहें बचपन से ही स्पेस डॉक्यूमेंट्रीज पसंद है और यह अवसर उनके लिए एक सपने के सच होने जैसा था.
हार्डिन सिमंस विश्वविद्यालय के डॉ. पैट्रिक मिलर की देखरेख में अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह खोज परियोजना (IDAP) के तहत दक्ष मलिक और उनके दो सहपाठी लगभग डेढ़ साल से क्षुद्रग्रहों की तलाश कर रहे थे. IADP अंतर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञान खोज सहयोग (IASC), पैन-स्टारआरएस और NASA के सिटीजन साइंस प्रोजेक्ट के बीच एक सहयोग है. स्कूल के एस्ट्रोनोमी क्लब ने उन्हें 2022 में IASC के बारे में एक ईमेल भेजा, तब उन्हें इसकी जानकारी हुई.
नासा के इसी प्रोजेक्ट के तहत दक्ष ने क्षुद्रग्रह की खोज की. यह नासा का एक सिटीदन साइंस प्रोग्राम है जिसके तहत छात्रों और आम लोग अनदेखे क्षुद्रग्रहों को खोजने के लिए नासा के सॉफ़्टवेयर और डेटासेट का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह प्रोजेक्ट दुनिया भर के प्रतिभागियों को नए क्षुद्रग्रहों की खोज के लिए हवाई में पैन-स्टार्स टेलीस्कोप से वास्तविक तस्वीरों के साथ-साथ हाई क्वालिटी एस्ट्रोनोमिकल डेटा भी उपलब्ध कराता हैय
इसमें हर साल 80 से ज्यादा देशों के लगभग 6500 प्रतिभागी क्षुद्रग्रह खोजने की उम्मीद करते हैं, लेकिन कुछ ही इसमें सफल हो पाते हैं, और नोएडा के दक्ष इन लोगों में से एक हैं.
दक्ष ने अभी भी क्षुद्रग्रह के नामकरण पर फैसला नहीं लिया है. वह 'डेस्ट्रॉयर ऑफ द वर्ल्ड' और 'काउंटडाउन' के बीच कंफ्यूज हैं. हालांकि, वह जो भी नाम चुने, नाम परिवर्तन तुरंत नहीं होगा. इसमें समय लगेगा. क्षुद्रग्रह की "प्रारंभिक पहचान" के बाद नासा वेरिफिकेशन प्रोसेस में चार या पांच साल तक का समय लग सकता है. नासा पहले क्षुद्रग्रह को एक और बार देखेगा और अगर यह क्षुद्रग्रह साबित होता है, तो माइनर प्लैनेट सेंटर (एमपीसी) इसे प्रोविजनल स्टेट्स देता है.
उसके बाद, इसे आधिकारिक खोज के रूप में मान्यता दी जाएगी. उसके बाद, पेरिस में अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ इसे वैश्विक रिकॉर्ड में सूचीबद्ध करेगा. पूरे वेरिफिकेशन के बाद ही दक्ष मलिक आधिकारिक तौर पर क्षुद्रग्रह का नाम बता पाएंगे.
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