कैसे बादल और पृथ्वी के ऊर्जा बजट तक प्रभावित करते हैं सूर्य और तारे, जानिए
पृथ्वी (Earth) पर ऊर्जा आमगन और निर्गमन के संतुलन को पृथ्वी का ऊर्जा बजट (Energy Budget of Earth) कहते हैं
पृथ्वी (Earth) पर ऊर्जा आमगन और निर्गमन के संतुलन को पृथ्वी का ऊर्जा बजट (Energy Budget of Earth) कहते हैं. सामान्यतया जितनी भी ऊर्जा पृथ्वी पर सूर्य और अन्य स्रोतों से आती है उतनी ही वापस भी जानी चाहिए, लेकिन ऐसा ना होने पर कहा जाता है कि पृथ्वी का ऊर्जा बजट असंतुलित हो गया है. पृथ्वी पर अधिकांश ऊर्जा सूर्य से ही आती है, लेकिन सुदूर तारों से आने वाले विकिरण भी इस पर असर डालते हैं. नए अध्ययन में साबित किया गया है कि इस सौर और कॉस्मिक विकिरणों का बादलों के निर्माण की प्रक्रिया पर पड़ने वाला प्रभाव जलवायु को भी प्रभावित करता है.
इस शोध में बादलों (Clouds) में अवलोकित की गईं विविधताओं और पृथ्वी के ऊर्जा बजट (Energy Budget of Earth) का सैद्धांतिक रूस से और डैनिश प्रयोगशाला के प्रयोगों में संबंध पाया गया. इस अध्ययन ने दर्शाया कि कैसे कॉस्मिक विकिरणें (Cosmic Rays) सभी अहम ऐरोसॉल बनाने में मदद करती है. इसके अलावा ये विकिरण बादलों के संघनित करने वाला केंद्रकों की वृद्धि को तेज करने में भी सहायक होते हैं.
टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क (DTU) के डीटीयू स्पेस और हब्रू यूनिवर्सिटी ऑफ येरुशलम के शोधकर्ताओं के नए अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि सूर्य की सौर गतिविधियों (Solar Activity) का पृथ्वी के ऊर्जा बजट (Energy budget of Earth) को बहुत बड़े पैमाने पर प्रभावित करती हैं. इसके लिए वैज्ञानिको ने सौर प्रस्फोट का बादलों (Clouds) और पृथ्वी के ऊर्जा संतुलन पर पर प्रभाव का अध्ययन किया.
नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशि इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और वरिष्ठ शोधकर्ता हेनरिक स्वेन्समार्क ने बताया, "हमने पृथ्वी के वायुमंडल (Earth Atmosphere)पर कॉस्मिक विकिरणों (Cosmic Rays) के प्रभाव का दो सप्ताह तक अध्ययन किया. जब सौर विस्फोटों (Solar erruptions) की वजह से पृथ्वी पर कॉस्मिक विकिरणों का प्रवाह कम हो जाता है. इससे कुछ समय के लिए छोटे ऐरोसॉल का उत्पादन कम हो जाता है. ऐरोसोल हवा में अणुओं के समूह होते हैं जो निचले बादलों में पानी की बूंदों के निर्माण के लिए काम आते हैं. इस प्रभाव से बादलों में सघनता में अंतर आता है जो जलवायु को प्रभावित करता है.
शोधकर्ताओं ने नासा के टेरा और एक्वा सैटेलाइट के CERES उपकरण के विस्तृत सैटेलाइट अवलोकनों (Satellite observations) का उपयोग कर पृथ्वी के ऊर्जा बजट (Energy Budget of Earth) पर हुए प्रभाव का सीधा मापन किया. उन्होंने पाया कि पृथ्वी कॉस्मिक रे मिनिमम (Cosmic Rays Minimum) के 4 से 6 दिनों में 2 वाट प्रतिवर्ग मीटर की अतिरिक्त ऊर्जा अवशोषित करती है.
इस शोध में बादलों (Clouds) में अवलोकित की गईं विविधताओं और पृथ्वी के ऊर्जा बजट (Energy Budget of Earth) का सैद्धांतिक रूस से और डैनिश प्रयोगशाला के प्रयोगों में संबंध पाया गया. इस अध्ययन ने दर्शाया कि कैसे कॉस्मिक विकिरणें (Cosmic Rays) सभी अहम ऐरोसॉल बनाने में मदद करती है. इसके अलावा ये विकिरण बादलों के संघनित करने वाला केंद्रकों की वृद्धि को तेज करने में भी सहायक होते हैं.
शोधकर्ताओं का कहना है कि घटती कॉस्मिक किरणों (Cosmic Rays) , ऐरोसॉल, बदालों और ऊर्जा बजट का लगातार अवलकोन काफी कुछ जानकारी देने वाला है. वहीं स्वेन्समार्क का मानना है कि इस शोध में किया गया सौर प्रभाव (Solar Effect) बहुत कम समय तक का था. लेकिन इस अध्ययन से कॉस्मिक किरणों और बादलों के प्रणाली (Cloud mechanism) के बारे में अहम जानकारी मिलती है, उम्मीद की जा सकती है कि इससे सौर गतिविधि और कॉस्मिक किरणों के जलवायु पर प्रभाव के बार में धारणा में बदलाव जरूर आएगा.