जानें Titan के सबसे बड़े सागर के बारे में NASA के कैसिनी आंकड़ों ने क्या बताया
कितना बड़ा है ये सागर
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हमारे सौरमंडल (Solar System) में शनिग्रह (Saturmn) पृथ्वी (Earth) से 1.639 अरब किलोमीटर दूर है. इस ग्रह के कुल 82 चंद्रमा (Moons) हैं. इनमें से एक टाइटन (Titan) चंद्रमा का सबसे बड़ा और सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा चंद्रमा है. खगोलविदों ने टाइटन के सबसे बड़े सागर की गरहाई का अनुमान लगाने में सफलता पाई है. क्रैकन सागर (Kraken Mare) नाम के इस सागर के केंद्र की गहराई एक हजार फुट है.
कितना बड़ा है ये सागर
क्रैकन सागर टाइटन के उत्तरी ध्रुव के पास स्थित है और यह 154 हजार वर्ग मील का इलाके में फैला है, लेकिन यह पानी का सागर नहीं है बल्कि यह सागर में तरल ईथेन और मीथेन से भरा है. इस अध्ययन में कोर्नेल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने टाइटन के पास से गुजरने वाले नासा के कैसिनी अभियान के आंकड़ों से किए अध्ययन के नतीजे "द बैथीमेटरी ऑफ द मोरे सिनस एट टाइटन्स क्रैकन मारे' शीर्षक से जियोफिजिकल रिसर्च जर्नल में प्रकाशित किए हैं.
केवल यही सागर रह गया था
कोर्नल सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स एंड प्लैनेटरी साइंसेस (CCAPS) में रिसर्च एसोसिएट और प्रमुख लेखक वालेरिया पोगियाली ने बताया कि टाइटन के बाकी सागरों की गहराई और संरचना के बारे में पहले ही पता लगाया जा चुका है, लेकिन टाइटन के सबसे बड़ा सागर, क्रैकन सागर रह गया था. यह सागर शनि के इस चंद्रमा की सतह के 80 प्रतिशत भाग को घेरता है
ऐसे हैं टाइटन के हालात
नासा के मुताबिक अरबों किलोमीटर दूर स्थित बहुत ही ठंडा टाइटन नाइट्रोजन गैस की सुनहरी चादर से ढका है, जिसके अंदर झांकने से पृथ्वी जैसे हालात दिखाई देते हैं, जहां सागर, नदियां झीलें सब हैं, लेकिन वे पानी की नही बल्कि तरल मीथेन की हैं.
2014 के आंकड़े
टाइटन के इस सागर के बारे में आंकड़े नासा के कैसिनी मिशन के T104 फ्लायबाय से मिले हैं. कैसिनी टाइटन के पास से 21 अगस्त 2014 में आखिरी बार गुजरा था. कैसिनी यान के राडार ने टाइटन के छोटे सागर लीजिया (Ligeia Mare) का सर्वेक्षण किया था. यह सागर टाइटन के उत्तरी ध्रुव के इलाके में स्थित है. इसके जरिए वैज्ञानिक टाइटन के मैजिक द्वीप के रहस्मय तरह से गायब होने और फिर वापस आने की कारणों का अध्ययन करना चाहते थे.
राडार से नापी गहराई
कैसिनी ने टाइटन की सतह के 600 मील ऊपर 13000 मील प्रतिघंटा की रफ्तार से चक्कर लगाया. यान ने अपने एल्टीमीटर राडार का उपयोग कर क्रेकन सागर और मोरे साइनस की गहराई नापी. कॉर्नेल वैज्ञानिकों और नासा के जेट प्रपल्शन लैबोरेटरी के इंजीनियरों ने क्रेकन सागर के केंद्र क गहराई एक हजार फुट निकाली. इसके अलावा शोधकर्ता क्रेकन की संरचना का भी आंकलन कर सके.
पृथ्वी के शुरुआती वातावरण से मेल
शोधकर्ताओं का कहना है कि क्रेकन की गहराई इतनी है कि उसमें एक सक्षम रोबोटिक पनडुब्बी आसानी से घूम सकती है. गहराई के अलावा क्रेकन का इलाका टाइटन की पांच बड़ी झीलों को मिलाकर बने क्षेत्र से भी ज्यादा है. वालेरियो का कहना है कि टाइटन का वातावरण पृथ्वी के शुरुआती वातावरण से काफी मेल खाता लगता है.
नासा टाइटन पर एक पनडुब्बी भेजने की संभावनाएं खंगाल रहा है. शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि उनके अध्ययन के नतीजे नासा को टाइटन के लिए सही पनडुब्बी का निर्माण कर सकेगी. और इस अभियान के लिए यह अध्ययन काफी मददगार साबित हो सकेगा.