जीवाश्म वैज्ञानिकों के हाथ लगा ड्रैगन, 10 करोड़ साल पहले ऑस्ट्रेलिया के आसमान में भरता था उड़ान
ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय में जीवाश्म वैज्ञानिकों के हाथ कुछ ऐसे जीवाश्म लगे हैं जो असली ड्रैगन के अस्तित्व की ओर इशारा करते हैं
ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय में जीवाश्म वैज्ञानिकों के हाथ कुछ ऐसे जीवाश्म लगे हैं जो असली ड्रैगन के अस्तित्व की ओर इशारा करते हैं। यह उतना ही शानदार है जितना सुनने में लगता है। एक जीवाश्म वैज्ञानिक और रिसर्च के वरिष्ठ लेखक टिम रिचर्ड्स ने जीव के जबड़े के जीवाश्म की जांच की और पाया कि यह ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा उड़ने वाला सरीसृप था।
23 फीट तक फैला सकता था पंख
माना जाता है कि Thapunngaka Shawi नाम का टेरोसॉर 105 मिलियन यानी करीब 10 करोड़ 50 लाख साल पहले क्वींसलैंड के आसमान में उड़ता था। इसका मुंह भाले जैसा था और यह 23 फीट तक अपने पंख फैला सकता था। टिम ने कहा कि टेरोसॉर की 3 फीट लंबी खोपड़ी थी जो लंबी गर्दन और दो लंबे पंखों से जुड़ी थी। उन्होंने कहा कि खोपड़ी में करीब 40 दांत थे जो ऑस्ट्रेलिया के एरोमंगा सागर में मछलियों को पकड़ने के लिए एकदम सही थे।
जीवाश्म देख वैज्ञानिक चौंके
उन्होंने एक बयान में कहा कि टेरोसॉर सरीसृपों का एक सफल और विविध समूह था, रीढ़ की हड्डी वाले पहले जानवर जो तेजी से उड़ान भरने के दौरान हमला करने में सक्षम थे। टिम, जिन्होंने सरीसृप को बेहद क्रूर कहा, ने बताया कि यह ऑस्ट्रेलिया में खोजी गई एंहेंगुरियन टेरोसॉर की तीसरी प्रजाति है। तीनों ही प्रजातियां पश्चिमी क्वींसलैंड से हैं। इस खोज ने टिम को चौंका दिया क्योंकि जीव के जीवाश्म अभी भी मौजूद हैं। इसकी हड्डियां खोखली और पतली थीं इसलिए इन्हें संरक्षित करना मुश्किल हो गया था।
खुल सकते हैं कई राज
उन्होंने कहा कि थापुन्गका शावी के जीवाश्म की खोज से टेरोसॉर के बारे में समझने में मदद मिलेगी क्योंकि ऑस्ट्रेलिया से प्रजातियों का रिकॉर्ड विशेष रूप से खराब है। टिम के पीएचडी सुपरवाइजर और टेरोसॉर पर रिसर्च के सह-लेखक स्टीव सैलिसबरी ने कहा कि एन्हेंगुरियन परिवार की नई प्रजातियों के बारे में उन्हें जो सबसे दिलचस्प लगा, वह उसके निचले जबड़े की हड्डी की छाती का विशाल आकार है।