आखिर मंगल ग्रह पर करोड़ों वर्ष पहले कैसे बदली लाल ग्रह पर पानी की स्थिति
कैसे बदली लाल ग्रह पर पानी की स्थिति
न्यूयार्क (आईएएनएस)। मंगल या लाल ग्रह पर कितना पानी मौजूद था इसको लेकर लगातार बहस चल रही है। हालांकि वैज्ञानिक ये जरूर मानते हैं कि यहां पर कभी पानी काफी मात्रा में मौजूद था। लेकिन, अब एक नए शोध में कहा गया है कि मंगल पर पहले जो दावा किया जा रहा था उससे कम पानी रहा होगा। ये शोध यूनिवर्सिटी आफ टेक्सास में किया गया है। नई रिसर्च के मुताबिक करोड़ों वर्ष पहले मंगल ग्रह पर जबरदस्त टक्कर हुई थी। इसको लेट हैवी बंबार्डमेंट कहा था। ये वो वक्त था जब मंगल की ही तरह इस ब्रह्मांड के दूसरे ग्रह जिसमें बुध, शुक्र, धरती और मंगल पर बड़ी संख्या में विशाल उल्का पिंड टकराए थे।
इन उल्का पिंडों के टकराने से लाल ग्रह पर बड़े आकार के क्रेटर का निर्माण हुआ था। माना ये भी जाता है कि इन टकरावों के बाद ही लाल ग्रह के उत्तर में इतने बड़े क्रेटर बने जिनको आसानी से देखा जा सकता था। इसका नतीजा ये हुआ कि मंगल ग्रह की धरती पर कटी फटी दिखाई देने लगी। यहां पर इन टकराव के बाद जहां पर काफी मात्रा में पानी हुआ करता था वहां पर बेसिन का भी निर्माण हुआ और काफी मात्रा में पानी बर्फ में बदल कर रह गया। हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि इस ग्रह पर बर्फ की सूरत में पानी पहले भी मौजूद रहा था।
टेक्सास यूनिवर्सिटी के ओडन इंस्टिटयूट के छात्र मोहम्मद अफहल शादाब और उनकी टीम ने गणित के फार्मूले के जरिए इस बात का पता लगाया है कि यहां पर कितनी तादाद में पानी रहा होगा। इसके लिए उन्होंने कर्वीलाइनर कार्डिनेट फार्मूले का इस्तेमाल किया है। इसके आधार पर ही टीम का कहना है कि लाल ग्रह पर उतना पानी नहीं था जितना पूर्व में अनुमान लगाया गया था। शादाब का कहना है कि चार करोड़ वर्ष पहले की स्थिति को जानने के लिए उन्होंने ग्राउंडवाटर फ्लो डायनामिक का इस्तेमाल किया और फिर उससे मिले आंकड़ों का विश्लेषण किया। इसके अलावा लाल ग्रह पर होने वाली वर्षा और इससे रिचार्ज होने वाले पानी का भी अनुमान लगाया गया। इस आधार पर उन्होंने पाया कि यहां पर पानी की स्थिति पहले की जानकारी के मुकाबले अलग रही होगी।