उत्पन्ना एकादशी में करें इस देवी का पूजा, आपके जीवन से दूर होगें दुख
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष स्थान है। इस दिन भगवान विष्णु के व्रत और पूजन का विधान है। मार्गशीर्ष या अगहन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है।
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष स्थान है। इस दिन भगवान विष्णु के व्रत और पूजन का विधान है। मार्गशीर्ष या अगहन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल उत्पन्ना एकादशी का व्रत 30 नवंबर, दिन मंगलवार को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु के साथ उनकी शक्ति योग माया या एकादशी माता का पूजन किया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन योग माया, भगवान विष्णु के शरीर से उत्पन्न हुई थी। उन्होंने मुर नाम के राक्षस का वध किया था। इसलिये इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम जाना जाता है।
उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ योग माया देवी या एकादशी माता का पूजन करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन पूजन में एकादशी माता की आरती का पाठ करने से मोह, माया के बंधन से मुक्ति मिलती है। सांसारिक दुखों की समाप्ति होती है तथा सभी मनो कामनाओं की पूर्ति होती है।
मां एकादशी की आरती
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।