बिना आरती अधूरी है भगवान विष्णु की पूजा, सारी मनोकामनाएं

Update: 2024-05-23 10:27 GMT
ज्योतिष न्यूज़  : सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की साधना आराधना को समर्पित होता है वही गुरुवार का दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं
 मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु की असीम कृपा बरसती है लेकिन इसी भी देवी देवता की पूजा बिना आरती के पूर्ण नहीं मानी जाती है ऐसे में अगर आप गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा कर रहे हैं और इस पूजा का पूर्ण फल पाना चाहते हैं तो ऐसे में गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा के बार उनकी आरती जरूर करें ऐसा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और व्रत पूजा का फल भी हासिल होता है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं विष्णु आरती पाठ।
 भगवान विष्णु जी की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भगवान विष्णु की आरती
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
 स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
 
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