दशामाता की पूजा: हिंदू धर्म में अनेक व्रत, त्योहार, पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व होता है। सभी व्रत घर-परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए मिलते हैं। मित्रता में एक व्रत है दशामाता व्रत। यह व्रत-पूजन चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के दिन किया जाता है। इस व्रत में पीपल के पेड़ की विष्णु स्वरूप में पूजा की जाती है और घर की दशा से मनोकामना की जाती है।
इस बार दशामाता पूजन 4 अप्रैल 2024 गुरुवार को किया जाता है। गुरुवार को भगवान विष्णु का दिन होता है इसलिए गुरुवार के दिन दशामाता व्रत आना विशेष महत्व रखता है। इस दिन सर्वकार्य में सिद्धि देने वाला सिद्ध योग भी बना है।
दशामाता का व्रत सुहागिन महिलाएं करती हैं। इस दिन महिलाएं प्रात: स्नानादि से निवृत्त कच्चा कच्चा सुत का दस तार का डोरा लेकर दस पेट का कपड़ा। इस डोरे को लेकर पीपल के पेड़ के घाट। और सबसे पहले पीपल के पेड़ का पूजन करें। इसके बाद डोरे का पूजन करें और पीपल की छाया में दशामाता की कथा बताएं। कथा के बाद डोरे को अपने गले में बांध लें और अगली दशामाता तक बांध लें।
अगली दशामाता पर इसी तरह नया डोरा बांध लें और पुराने प्रकार के नदी-तालाब, पौराणिक आदि में विसर्जित कर दें। इस दिन व्रत रखा जाता है और एक समय भोजन किया जाता है। भोजन में आटे की बनी वस्तुएं ही खाई जाती हैं और भोजन में नमक का प्रयोग नहीं किया जाता है।
खबरों के अपडेट के लिए जुड़े रहे जनता से रिश्ता पर |