ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन संकष्टी चतुर्थी को खास माना जाता है जो कि प्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश की साधना आराधना को समर्पित होती है इस दिन गणपति की आराधना का विधान होता है मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से प्रभु की कृपा बरसती है।
पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर एकदंत संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है जो कि खास होता है। इस दिन गौरी पुत्र गणेश की विधि विधान के साथ उपासना और आराधना करने से जीवन के कष्टों का निवारण होता है और हर कार्य में भक्तों को सफलता हासिल होती है इस साल एकदंत संकष्टी चतुर्थी का पर्व 26 मई को मनाया जाएगा। ऐसे में आज हम आपको पूजन की संपूर्ण विधि से अवगत करा रहे हैं तो आइए जानते हैं।
एकदंत संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि—
आपको बता दें कि इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके साफ वस्त्रों को धारण करें फिर पूजा घर में ईशान कोण में चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर गणपति की प्रतिमा को स्थापित करें। अब पूजा और व्रत का संकल्प करें और भगवान श्री गणेश को पुष्प अर्पित कर पुष्प माला, दूर्वा की 11 गांठे चढ़ाएं।
फिर सिंदूर अक्षत लगाकर मोद और फल अर्पित करें इसके बाद जल चढऋाकर घी का दीपक जलाएं और धूप जलाएं। भगवान गणेश का ध्यान करें। पूरे दिन उपवास रखें और सूर्यास्त से पहले भगवान की पूजा करें श्री गणेश की आरती गाएं और गणेश चालीसा का पाठ भी करें। इस दिन चंद्र देव के दर्शन के बाद जल अर्पित कर अपने व्रत का पारण करें। पूजन के बाद भगवान श्री गणेश से सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।