Working of the planets: आकाश में बैठे और कुण्डली में स्थित ग्रह आपको किस तरह करते हैं प्रभावित

Update: 2024-06-21 19:07 GMT
Planets in the Kundali : अगर आप ज्योतिष शास्त्र में नए हैं और आपको सरलता पूर्वक ज्योतिष शास्त्र को समझना है, तो ये समझ लीजिए कि जिस प्रकार आपके आस-पास आपके मित्र, शत्रु, सम, सगे-सम्बन्धी इत्यादि रहते हैं, उसी प्रकार से प्रत्येक ग्रह का कोई न कोई ग्रह शत्रु है अथवा मित्र है, या फिर एक-दूसरे ग्रहों में सम सम्बन्ध देखे जाते हैं। मान लीजिए, आप एक क्रोधी और ताकतवर मनुष्य हैं, इसका ये मतलब तो नहीं हुआ कि आपके सामने जो भी मनुष्य आएगा आप उस पर क्रोध ही करेंगे। आप किसी व्यक्ति पर क्रोध करने से पहले ये देखेंगे, कि मनुष्य आपको
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है या फिर शत्रु।
आप यह भी देखेंगे कि वह व्यक्ति आपका सगा-सम्बन्धी अथवा परिवार का सदस्य है या बाहर का कोई व्यक्ति। इस प्रकार कई समीकरणों पर विचार करने के बाद आप या तो क्रोध करेंगे अथवा अपने क्रोध को अपने अन्दर दबा लेंगे। इसी प्रकार birth certificate देखते समय एक कुशल ज्योतिषी ग्रहों के बहुत सारे समीकरणों को सिद्धान्त के रूप में जांचता और परखता है। ज्योतिष शास्त्र में अपनी स्वराशि, उच्च राशि, नीच राशि जैसी शब्दावली अवश्य सुनी होंगी। सूर्य और चन्द्रमा केवल इन दोनों ग्रहों के पास एक-एक राशियां हैं, शेष सभी ग्रहों के पास दो-दो राशियों का स्वामित्व प्राप्त है। जैसे सिंह सूर्य की स्वराशि है, कर्क चन्द्रमा की स्वराशि है, मेष और वृश्चिक, इन दोनों राशियों का स्वामी मंगल है, यानी कि अगर मंगल किसी की जन्मपत्री में मेष या वृश्चिक राशि में बैठा होगा, तो मंगल को ज्योतिषी शब्दावली में स्वराशि कहा जाएगा।
इसी प्रकार से प्रत्येक ग्रह के लिए समझना चाहिए। सभी ग्रह अपनी स्वयं की राशि यानि स्वराशि स्थिति में बैठकर उस घर या भाव को शुभ फल देते हैं। अगर कोई ग्रह अपनी स्वयं की राशि को पूर्ण दृष्टि से देखता है, तो भी उस भाव के लिए अच्छा माना जाता है, जैसे कि आप किसी दूसरी जगह बैठकर अपने घर अथवा shop पर पूर्ण रूप से नज़र रखते हैं। इसी तरह से ग्रहों की पूर्ण दृष्टि को भी ध्यान में रखना चाहिए।
प्रत्येक ग्रह अपने स्थान से सप्तम स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखते हैं। तीन ग्रहों के पास सप्तम पूर्ण दृष्टि के साथ दो अतिरिक्त दृष्टियां भी हैं, जिनकी गणना पूर्ण दृष्टि में की जाती है। मंगल अपने स्थान से चतुर्थ भाव, सप्तम भाव एवं अष्टम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है, शनि जहां बैठा होता है, वहां से तृतीय भाव, सप्तम भाव और दशम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है, तथा गुरु जिस घर में बैठता है, उस घर से पंचम घर, सप्तम घर और नवम घर को पूर्ण दृष्टि से देखता है। इसी प्रकार धीरे-धीरे अभ्यास करने से ग्रहों की भाषा एवं संकेत समझ में आने पर व्यक्ति फलादेश में माहिरता प्राप्त करता है।
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