
सावन में क्यों नहीं खाना चाहिए नॉनवेज
भगवान शिव को बेहद प्रिय सावन का महीना कल यानी सोमवार से शुरू हो रहा है. कल ही सावन का पहला सोमवार भी है. इस महीने में लोग अपने अपने तरीके से शिव की उपासना करते हैं. ऐसे में शिवभक्तों को यह जान और समझ लेना चाहिए कि इस महीने में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं. शिव पुराण में खुद भगवान शिव माता पार्वती से कहते हैं कि उन्हें अनन्य भक्ति करने वाले भक्त बहुत पसंद हैं, लेकिन जो भी भक्त मांस भक्षण करते हैं या फिर सुरा पान करते हैं, उनसे वह थोड़ी दूरी पर ही बैठना पसंद करते हैं.कहां मद्यपान और कहां शिव की उपासना. भगवान शिव तो मद्यपान करने वाले या मांस भक्षण करने वाले से दूर ही बैठना पसंद करेंगे. कुछ इसी तरह का विधान शिव पुराण में भी आता है. इसमें रुद्राक्षधारी यानी शिव भक्तों को लिए मांस मछली और सुरापान के लिए साफ तौर पर मना किया गया है. बल्कि इसे शिव भक्ति के लिए वर्जित खान पान की श्रेणी में रखा गया है.
शिवपुराण में भी वर्जित है मांस भक्षण
शिवपुराण के विद्येश्वरसंहिता में अध्याय 25 श्लोक 4 ” मद्यं मांसं तु लशुनं पलाण्डुं शिग्रुमेव च। श्लेष्मान्तकं विड्वराहं भक्षणे वर्जयेत्ततः।” में शुकदेव जी रुद्राक्षधारियों को अपने खान पान को लेकर बेहद सतर्क रहने की सलाह देते हैं. यहां रुद्राक्षधारी का तात्पर्य शिवभक्त से है. वह कहते हैं कि शिव की भक्ति के लिए मदिरा और मांस ही नहीं, लहसुन, प्याज, सहजन, लिसोड़ा और विड्वराह आदि का भी सेवन नहीं करना चाहिए. बता दें कि भगवान शिव सहज ही प्रसन्न होते हैं. उन्हें प्रसन्न करने के लिए लोग सावन के महीने में खूब अनुष्ठान भी करते हैं. इसमें कांवड़ यात्रा सबसे अहम है.
शिवभक्तों को चढ़ता है भक्ति का नशा
ज्यादातर लोग इस महीने में सात्विक भोजन करते हैं और संयम से रहते हैं. वहीं कई बार भगवान शिव के साथ तमाम बुराई भी जोड़ कर खुद भी उसमें शामिल हो जाते हैं. अक्सर देखने को मिलता है कि कांवड़ यात्रा के दौरान शराब का सेवन करते हैं या फिर गांजा आदि भी फूंकते रहते हैं. जबकि शिव पुराण में शिव भक्ति के लिए किसी भी नशीले पदार्थ के सेवन को वर्जित किया है. बल्कि यहां तो कई जगह यह कहा गया है कि शिव भक्त को तो भोलेनाथ की भक्ति का नशा चढ़ता है. इस नशा के सामने कोई और नशा चढ़ ही नहीं सकता.