पूजा करते वक्त क्यों बजाई जाती है घंटी, क्या है इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
सनातन धर्म में आरती के दौरान घंटी बजाने का चलन है. इतना ही नहीं जब कभी हम किसी मंदिर में जाते हैं
जनता से रिश्ता वेबडेसक | सनातन धर्म में आरती के दौरान घंटी बजाने का चलन है. इतना ही नहीं जब कभी हम किसी मंदिर में जाते हैं तो वहां भी हमें तरह-तरह के आकार के घंटे और घंटियां मिलती हैं. जिन्हें लोग मंदिर में प्रवेश से पहले और आरती के दौरान बजाते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों किया जाता है? आइए जानते हैं इसके धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व के बारे में.
पुराणों में कहा गया है कि जिस समय सृष्टि का निर्माण हुआ, तब एक नाद की गूंज सुनाई दी थी. घंटी उसी नाद का प्रतीक मानी जाती है. वहीं ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक घंटी बजाकर भक्त भगवान के समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है.
शरीर के चक्र होते सक्रिय
मान्यता है कि इससे ईश्वर की प्रतिमा में चेतना आ जाती है. इसके अलावा वहां मौजूद लोगों में भी भक्तिभाव स्वयं ही उत्पन्न होने लगता है. भगवान आपकी प्रार्थना और आपके भोग को स्वीकार करते हैं. ज्योतिष शास्त्र की मानें तो घंटियों की गूंज हमारे शरीर के सातों चक्र को कुछ समय के लिए सक्रिय कर देती है, जिससे नकारात्मक विचार खत्म होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा से शरीर लबरेज हो जाता है.
वातावरण होता शुद्ध
घंटी बजाने से वातावरण में एक कंपन होता है. ये कंपन दूर दूर तक पहुंचता है. इससे उस क्षेत्र के विषाणु, जीवाणु और सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं. इससे वहां का वातावरण पवित्र होता है, साथ ही नकारात्मकता दूर हो जाती है. वहीं घंटी बजाने का आपके मन और मस्तिष्क पर भी विशेष प्रभाव पड़ता है. घंटी की ध्वनि मस्तिष्क के दाएं और बाएं हिस्से को संतुलित करती है. आपके दिमाग को तनाव मुक्त करती है और एकाग्रता बढ़ाती है.
जानिए कितनी तरह ही होती हैं घंटियां
1. घरों में बजाई जाने वाली छोटे आकार की घंटियां जिन्हें हाथ से बजाया जाता है, वे गरुड़ घंटी कहलाती हैं.
2. घंटी का बड़ा स्वरूप जिसे बजाने पर दूर-दूर तक आवाज पहुंचती है, इसे घंटा कहा जाता है. आमतौर पर ये मंदिरों में लगा मिलता है.
3. पीतल की गोल प्लेट जिसे एक लकड़ी या हथोड़े से पीटा जाता है, इसे हाथ घंटी कहा जाता है. इसका प्रयोग अक्सर कथा वगैरह में होता है.
4. मंदिर के द्वार पर लटकी घंटी जो छोटे और बड़े दोनों आकार की हो सकती हैं. इन्हें द्वार घंटी कहा जाता है. तमाम लोग इसे घर के मंदिर में भी लगाते हैं.